यू पी के मुस्लिम समाज के प्रतिनिधियों के एक दल ने आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर से बेंगलुरु में मुलाकात की है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में जहां एक तरफ अयोध्या मामले की सुनवाई चल रही थी, वहीं दूसरी तरफ यह प्रतिनिधिमंडल बेंगलुरु में श्री श्री के साथ समझौतापूर्ण ढंग से मामले को निपटाने पर चर्चा कर रहा था।
मीटिंग में विवादित जगह पर ही राम मंदिर बनाने की बात हुई है लेकिन मस्जिद बनाने के लिए अलग-अलग जगहें बताई गई हैं। फॉर्मूले को लेकर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है इसलिए बातचीत आगे भी जारी रहेगी। अतहर हुसैन ने बताया, बैठक में विवाद के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। हिंदुओं और मुसलमानों के बीच बढ़ती दूरियों पर बात की गई। इस मुद्दे पर अब अगली बैठक मार्च में रखी गई है। यह बैठक अयोध्या में होगी, जहां संत और मौलाना मिलकर बात करेंगे।
आपको बता दे कि अयोध्या के भूमि विवाद पर दोनों पक्षों की बैठक करीब 4 घंटे तक चली। इसमें 6 सदस्यीय इस प्रतिनिधि मंडल में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यकारी अधिकारी मौलाना सलमान हुसैनी नदवी, उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जफर फारूकी, पूर्व आईएएस अधिकारी अनीस अंसारी, अधिवक्ता इमरान अहमद, टीले वाली मस्जिद के मौलाना वासिफ हसन वैजी, ऑब्जेक्टिव रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट के निदेशक अतहर हुसैन शामिल रहे। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के एग्जिक्यूटिव मेंबर मौलाना सईद सलमान हुसैन नदवी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के समर्थन में उतर आए हैं।
मीटिंग में मौलाना ने कहा कि राम मंदिर के लिए मस्जिद को कहीं और शिफ्ट किया जा सकता है। अगर आपसी बातचीत से रास्ता निकले तो मुसलमान जमीन छोडऩे के लिए तैयार हो सकते हैं। मौलाना ने कहा कि मजहब में जगह बदलने की गुंजाइश है लेकिन इस बात का करार हो कि आगे से कहीं किसी भी मस्जिद, मदरसे के साथ छेड़छाड़ ना हो।
अयोध्या के मंदिर-मस्जिद विवाद के हल के लिए तीन सूत्रीय फार्मूला सामने आया है। फार्मूले में आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के समक्ष तीन प्रस्ताव रखे गए हैं।
पहले प्रस्ताव में कहा गया है कि मंदिर वहीं बने जहां रामलला विराजमान हैं, मुसलमान विवादित स्थल पर दावेदारी छोड़ दें और बदले में अयोध्या विधानसभा क्षेत्र में सरयू के पार गोरखपुर हाइवे पर बहादुर शाह जफर के नाम से एक अन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय स्थापित किया जाए और उसी परिसर के अन्दर मस्जिद भी बनवाई जाए।
दूसरा प्रस्ताव है कि अयोध्या स्थित विद्याकुंड के पास निर्मोही अखाड़े की विवादित जमीन है उस जमीन को मुस्लिम समाज ले ले और 40 गुणा 80 वर्गमीटर के जिस भूभाग का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, जहां रामलला विराजमान हैं उसे संयुक्त रूप से हिन्दू पक्षकारों को सौंप दिया जाए।
तीसरा प्रस्ताव यह है कि अयोध्या के विवादित स्थल जहां रामलाल विराजमान हैं, वहां भगवान राम का मंदिर बने और यूसुफ आरामशीन के स्थान पर मस्जिद बने। इस प्रस्ताव पर आधारित आठ पृष्ठों का एक पत्र हाल ही में अयोध्या सदभावना समन्वय महासमिति के महासचिव डा. अमरनाथ मिश्र ने आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की कार्यकारिणी के सदस्य मौलाना सलमान नदवी को सौंपा है।
आपको बता दे कि पत्र में तर्क है कि मुस्लिम समाज में मान्यता है कि लोकहित में, जनहित में, राष्ट्र और समाज हित और धर्म के हित में मस्जिद को किसी दूसरे स्थान पर स्थानांतरित किया जा सकता है। डा.अमरनाथ मिश्र इस विवाद को हल करवाने के लिए पिछले साल सक्रिय हुए आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर के समर्थक हैं। उन्होंने ही पिछले साल 15 से 17 नवंबर के बीच श्री श्री रविशंकर की लखनऊ और अयोध्या की यात्रा भी करवाई थी।
सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को एक बार फिर अयोध्या विवाद में नई तारीख दे दी गई है पिछले साल 5 दिसंबर की सुनवाई में 8 फरवरी की तारीख दी गई थी। अब 8 फरवरी की सुनवाई में 14 मार्च की तारीख मिली है। अब अगली सुनवाई 14 मार्च को होगी। इसके बाद रोजाना सुनवाई होने की उम्मीद है।
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