INX मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम से सीबीआई गुरुवार सुबह से ही पूछताछ कर रही है। उनका मेडिकल चेकअप भी करवाया गया है। दोपहर बाद सीबीआई उन्हें अदालत में पेश करेगी और उनकी रेग्युलर कस्टडी की मांग करेगी।
अभी कार्ति सीबीआई रिमांड पर हैं। कल गिरफ्तार करने के बाद सीबीआई ने पटियाला हाउस कोर्ट से 15 दिन की रिमांड पर भेजने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने कार्ति को एक दिन की रिमांड पर भेज दिया। सीबीआई की विशेष अदालत के जज सुमित आनंद से मामले की सुनवाई कर रहे हैं।
बता दे कि इससे पहले कल आईएनएक्स मीडिया केस में आरोपी इंद्राणी मुखर्जी ने सीबीआई को बताया कि कार्ति चिदंबरम ने एफआईपीबी (फॉरन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड) क्लीयरेंस के लिए करीब साढ़े 6 करोड़ रुपये ($1 मिलियन) की मांग की थी।
पटियाला हाउस कोर्ट में कार्ति की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी और सीबीआई के बीच जोरदार बहस चली। कार्ति की ओर से एक याचिका दाखिल की गई कि सीबीआई की रिमांड पर लेने की अर्जी खारिज की जाए। सीबीआई की विशेष अदालत के जज सुमित आनंद कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई ने उन्हें 15 दिन की कस्टडी में लेने की मांग की है।
जहां सीबीआई ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा कि कार्ति चिदंबरम के जवाब देने से बच रहे हैं। उन्होंने सबूतों के खिलाफ गलत बयान दिए हैं जिस वजह से जांच में देरी हो रही है। कार्ति चिदंबरम की ओर से वकील कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी हैं।
कार्ति चिदंबरम की गिरफ्तारी पर सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा, ‘सीबीआई ने उन्हें बहुत से मौके दिए लेकिन उन्होंने अपने खिलाफ सभी सबूत पेश होने के बावजूद अपना झूठ जारी रखा। उन्हें निश्चित रूप से जेल जाना होगा और सीबीआई चार्ज शीट फाइल करेगी। यह बहुत बड़ी उपलब्धि है।
आपको बता दे की कार्ति पर आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश में गैर-वाजिब मंजूरी देने के बदले घूस लेने का आरोप है। दोनों मामले 2007 के हैं। उस वक्त पी चिदंबरम वित्त मंत्री थे। आरोप है कि उन्होंने ही कार्ति का काम आसान बनाया था। ऐसे में माना जा रहा है कि अब पी. चिदंबरम पर भी शिकंजा कसा जा सकता है।
आरोप है कि 2007 में चिदंबरम के वित्त मंत्री रहने के दौरान आईएनएक्स मीडिया को विदेश से 305 करोड़ रुपये की रकम दिलाने के लिए विदेशी निवेश से जुड़े एफआईपीबी (फॉरन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड) की मंजूरी दिलाने और इस कंपनी को जांच से बचाने के लिए कार्ति ने 10 लाख रुपये लिए थे। उस दौरान कंपनी के मालिक इंद्राणी मुखर्जी और पीटर थे। सूत्रों का कहना है कि इंद्राणी ने सीबीआई को बयान दिया है कि कार्ति ने एफआईपीबी क्लीयरेंस के लिए उनसे एक मिलियन डॉलर (6.5 करोड़ रुपये) की मांग की थी। सीबीआई ने इसी बयान को आधार बनाकर कार्ति को गिरफ्तार किया है।
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