रायपुर : छत्तीसगढ़ में माओवादियों के बढ़ते प्रभाव ने सरकार को चिंता में डाल दिया है। राजधानी में नेटवर्क के विस्तार की सूचनाओं ने भी खलबली मचाई है। राज्य के उत्तरी क्षेत्र सरगुजा अंचल में पहले ही नक्सलवाद खत्म हो चुका है। इसके बाद एक बार फिरसरगुजा क्षेत्रा में माओवादियों की गतिविधियों को लेकर मिली सूचनाओं ने सरकार को सतर्क कर दिया है। दरअसल, सरगुजा और रायपुर रेंज में माओवादियों ने अपनी सक्रियता बढ़ानी शुरू कर दी है।
राज्य में इस वर्ष के अंत में विधानसभा के चुनाव होंगे। ऐसी स्थिति में बस्तर और सरगुजा में नक्सलियों की सक्रियता भी परेशानी बढ़ाने वाली हो सकती है। बस्तर में पहले ही माओवादियों ने अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। सूत्रों के मुताबिक खुफिया सूचनाओं के बाद पुलिस और प्रशासन को सतर्क कर दिया गया है। वहीं किसी भी स्थिति में तैयार रहने के लिए कहा गया है। नक्सलियों का उत्तरी क्षेत्र में मूवमेंट राज्य के लिए बेहतर संकेत नहीं है। हालांकि सरकार ने माओवादियों के खात्मे के लिए पहले ही कार्ययोजना तैयार की हे।
बस्तर के दुर्गम जंगलों में फोर्स ने अभियान चलाकर अपने इरादे साफ कर दिए। वहीं बीते दिनों लगातार अभियान में भी जवनों को अच्छी सफलता मिली है। से लगातार आपरेशन चलाने की रणनीति तय हुई है। सरगुजा अंचल में झारखंड के सरहदी इलाकों के रास्ते ही छत्तीसगढ़ में प्रवेश करते रहे हैं।
सरगुजा के जंगलों में माओवादियों का पहले ठिकाना भी रहा है। हालांकि करीब पांच साल पहले यहां से नक्सलियों को खदेडऩे में सफलता मिली थी। इसके बाद यहां गतिविधियां थम सी गई। माना जा रहा है कि चुनावी वर्ष होने की वजह से माओवादी फिर से शांत इलाकों में दहशत फैलाने की कोशिशें कर सकते हैं। इस वजह से पहले ही घेरेबंदी को लेकर कवायदें शुरू हुई है।
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