सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी को भी देशभक्ति साबित करने के लिए उसे हर वक्त बाजू में पट्टा लगाकर घूमने की जरूरत नहीं है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देशभक्त होने के लिए राष्ट्रगान गाना जरूरी नहीं है। ये टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गत वर्ष नवंबर में दिए उस अंतरिम आदेश में बदलाव के संकेत दिए हैं जिसमें देशभर के सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने और दर्शकों को उस दौरान खड़े होने के लिए कहा गया था।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि सिनेमाघरों में राष्ट्रगान न गाने और उस दौरान खड़े न होना राष्ट्रविरोधी नहीं है। किसी को भी देशभक्ति का प्रमाण देने के लिए बाजू में पट्टा लगाकर घूमने की जरूरत नहीं है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश लागू रहेगा जिसमें सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि लोग सिनेमाघर सिर्फ मनोरंजन के लिए जाते हैं। हम क्यों देशभक्ति को अपनी बांहों में रखें।
ये सब मामले मनोरंजन के हैं। फ्लैग कोड काफी नहीं है, सरकार एग्जीक्यूटिव आदेश जारी करने चाहिए। कोर्ट क्यों इसका बोझ उठाए। लोग शॉर्टस पहनकर सिनेमा जाते हैं, क्या आप कह सकते हैं कि वो राष्ट्रगान का सम्मान नहीं करते। आप ये क्यों मानकर चलते हैं कि जो राष्ट्रगान के लिए खड़ा नहीं होता वो देशभक्त नहीं होते। सभी जो नहीं गाते या खड़े नहीं होते वो भी कम देशभक्त नहीं हैं। इस दौरान इस आदेश का विरोध देखते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि हम अपने आदेश में संशोधन करते हुए shall को may कर देंगे।
लेकिन AG के के वेणुगोपाल ने कहा कि ये केंद्र सरकार का अधिकारक्षेत्र है और केंद्र पर इसे छोड़ दिया जाए। AG ने कहा कि देश में विभिन्न धर्मों के लोग हैं और क्षेत्रीय और जातियों में विविधता है कि जब लोग सिनेमाघर से बाहर आएं तो वो सब भारतीय होंगे। सिनेमाघरों में राष्ट्रगान के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश पर रोक लगाने और उसे वापस लेने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि किसी सिनेमा, न्यूजरील या डॉक्यूमेंटरी में राष्ट्रगान का इस्तेमाल किया गया है तो लोगों को खड़े होने की जरूरत नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ किया कि सिनेमाघरों में राष्ट्रगान के वक्त लोगों को खड़ा होना पड़ेगा लेकिन ये जरूरी नहीं कि वे राष्ट्रगान गाएं। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का समर्थन किया। मामले में कोर्ट में सुनवाई के दौरान तत्कालीन अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा था कि ये सवाल देश के नागरिकों की देशभक्ति की भावना दिखाने का है। जब इसे लेकर कोई कानून नहीं है तो सुप्रीम कोर्ट का आदेश अहम हो जाता है। राष्ट्रगान को सिनेमाघरों के अलावा सभी स्कूलों में जरूरी किया जाए क्योंकि देशभक्ति की भावना की शुरुआत बच्चों से की जानी चाहिए।