भोपाल : मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कहा कि जनता और जन-प्रतिनिधियों को जोड़कर शासकीय योजनाओं और कार्यक्रमों का संचालन जन-अभियान के रूप में किया जाना चाहिये। जनता की सहभागिता से किये गये कार्यों की सफलता सुनिश्चित होती है। यह सफलता अन्य किसी तरीके से किये गये प्रयासों से कई गुना अधिक होती है। श्री चौहान ने यहां सिविल सर्विस-डे कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि जन-प्रतिनिधि जन-भावनाओं से अवगत होते हैं। उनके साथ संतुलित ताल-मेल और समन्वय जरूरी है।
जन-प्रतिनिधियों से शासकीय प्रयासों के प्रभावों और जन-भावनाओं का बेहतर फीडबैक मिलता है। योजनाओं एवं कार्यक्रमों की सफलता सुनिश्चित करना सिविल सेवक का दायित्व है। शासन की नीतियों का क्रियान्वयन तभी सफल होगा, जब उसका लाभ लक्षित वर्ग को मिलें, मंशा के अनुरूप जनता को योजना का लाभ नहीं मिलने से विफलता ही हाथ लगेगी। श्री चौहान ने विभिन्न योजनाओं के उद्देश्यों और प्रक्रियाओं के प्रसंगों के आधार पर सिविल सेवक की सकारात्मक सोच की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि सिविल सेवा नौकरी नहीं, मिशन है।
आम आदमी का भविष्य उज्जवल बनाने की जिम्मेदारी सिविल सेवक की है। उन्होंने कहा कि जनतंत्र की समस्त व्यवस्थाएँ जन के लिये हैं। इसलिये तंत्र को जन-भावनाओं के अनुरूप ही चलना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार नीतियाँ बनाती हैं। उन्हें जमीनी हकीकत देने का कार्य सिविल सेवक द्वारा किया जाता है।
समाज की प्रगति और जन-कल्याण सिविल सेवा का उद्देश्य है। इसलिये सकारात्मक सोच और संवेदना के साथ निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये रोडमेप बनाकर कार्य करना आवश्यक है। निर्धारित लक्ष्यानुसार नियम, प्रक्रियाओं का निर्माण और क्रियान्वयन हो। उन्होंने मुख्यमंत्री असंगठित मजदूर सुरक्षा योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि इस योजना के जरिये आधी आबादी के भविष्य को उज्जवल बनाने का उपक्रम प्रारंभ किया गया है।
इसमें हर गरीब को रहने के लिये भूमि का टुकड़े, मकान, शिक्षा और उपचार आदि की अत्यंत मानवीय व्यवस्थाएं की गई हैं। हर प्रसूता को पोषण आहार और विश्राम का हक है, जो उसे मिलना ही चाहिए।श्री चौहान ने कहा कि सिविल सेवक में कार्य के प्रति तड़प का भाव होना सबसे ज्यादा जरूरी है।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द, मोदी की कार्य-प्रणाली का उल्लेख करते हुए कहा कि देश का प्रधानमंत्री किसी राज्य के कुछ पिछड़े जिलों की प्रगति के प्रति कितना चिंतित हो सकता है, इस का अभूतपूर्व उदाहरण प्रधानमंत्री ने प्रस्तुत किया है। राज्य के कुछ पिछड़े जिलों की प्रगति की वे स्वयं समीक्षा कर रहे है। मुख्यमंत्री ने ऐतिहासिक संदर्भों का उल्लेख करते हुये कहा कि हर युग में हर तंत्र में सुशासन के लिये प्रयास किये गये हैं।
मध्यप्रदेश में इस दिशा में हुए कार्यों पर गर्व करने योज्ञ अनेक उपलब्धियाँ हैं, जिनका देश-दुनिया में अनुसरण हुआ है और अभी भी हो रहा है। कार्यशाला में विशेष विशेषज्ञों द्वारा योजनाओं का प्रस्तुतीकरण किया गया। कार्यशाला में अकादमी की महानिदेशक कंचन जैन, पुलिस महानिदेशक ऋषि कुमार शुक्ला, प्रधान मुख्य वन संरक्षक अनिमेष शुक्ला भी मौजूद थे। अंत में अपर सचिव के.के। कतिया ने आभार प्रदर्शन किया सिविल सेवक में कार्य के प्रति तड़प का भाव होना सबसे ज्यादा जरूरी
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