नई दिल्ली: घाटी में आतंक के पोस्टर ब्वाय बुरहान वानी के मारे जाने के साल भर बाद भी हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं। अब उसकी बरसी पर घाटी का माहौल बिगाड़ने की तैयारी है। पाकिस्तान में बैठा सलाहुद्दीन अगले हफ्ते को ‘शहीदों का हफ्ता’ के तौर पर मनाने की बात कर रहा है। हालात बेकाबू न हों, इसके लिए सरकार ने अभी से कमर कस ली है।
किसी भी अप्रिय घटना से निपटने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पर्याप्त संख्या में सुरक्षाबलों को तैनात करते हुए प्रशासन ने सभी एहतियाती कदम उठाना शुरू कर दिए हैं।
सुरक्षा बलों की कुल 214 कम्पनियां घाटी में भेजी गई
केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक राज्य प्रशासन के कहने पर सुरक्षा बलों की कुल 214 कम्पनियां घाटी में भेजी गई हैं। दक्षिण कश्मीर – खासकर त्राल, पुलवामा, कुलगाम और श्रीनगर के कुछ इलाकों में सर्च अभियान जारी है। यासीन मलिक को गिरफ्तार और गिलानी और मीरवाइज़ को नजरबंद कर लिया गया है, साथ ही सोशल मीडिया साइटें बंद कर दी गई हैं। बताया जा रहा है कि पिछले 30 महीने में 41 बार सोशल साइटे बैन की जा चुकी हैं।
हुर्रियत का अपना कैलेंडर दुबारा जारी
उधर लम्बे समय के बाद हुर्रियत ने अपना कैलेंडर दुबारा जारी कर दिया है। इस बार कैलेंडर 13 जुलाई तक का है। इसमें हर रोज कहीं न कहीं चलने की अपील है। 8 जुलाई को त्राल चलो का नारा है। बुरहान त्राल का रहने वाला था। गृह मंत्रालय के एडवाइज़र अशोक प्रसाद ने कहा कि ”राज्य प्रशासन से खास तौर पर कहा गया है कि हालात न बिगड़ें इसलिए जितनी फोर्स उन्होंने मांगी थी, उन्हें दे दी गई।”
डीजीपी ने की हिंसा से दूर रहने की अपील
उधर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने भी एक अपील जारी की है जिसमें नौजवानों को हिंसा से दूर रहने को कहा गया है। डीजीपी जम्मू कश्मीर एसपी वैद्य ने अपील में कहा है कि ”इस्लाम में एक शख़्स का कत्ल करना पूरी इंसानियत के कत्ल के बराबर है। हमारी पुलिस कई भटके हुए नौजवानों को वापस राह पर लाई है।” उनके मुताबिक नौजवानों को दहशतगर्दी का रास्ता इख़्तियार नहीं करना चाहिए बल्कि अच्छे कल की और बढ़ना चाहिए। वैद्य ने कहा ”मैं यकीन दिलाता हूं जो बच्चे वापस अपनी जिंदगी ठीक करना चाहते हैं और अगर उन्होंने कुछ अपराध नहीं किए हैं तो हम पूरी कोशिश करेंगे कि वे वापस अपनों के साथ दुबारा मिल जाएं।”
घाटी में स्कूल-कॉलेज बंद
वैसे प्रशासन को अंदेशा है कि घाटी में हालात बिगड़ सकते हैं। इसलिए स्कूल-कॉलेज बंद किए जा चुके हैं। बुरहान ने आतंकियों को बांट दिया है। कुछ आजादी के लिए लड़ रहे हैं, कुछ इस्लाम के नाम पर खिलाफत के लिए। ऐसे में इन भटके हुए नौजवानों को रास्ते पर लाना केंद्र और राज्य प्रशासन के लिए चुनौती है।