लुधियाना- अमृतसर : पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व सचिव व प्रवक्ता मनदीप सिंह मन्ना ने कहा कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के मर्यादा नियम अपने पदाधिकारियों और दूसरों के लिए अलग अलग है। अपने स्वार्थों और पैसे की दौड़ के लिए एसजीपीसी के अधिकारी खुलेआम पंथक मर्यादाओं की धज्जियां उड़ा कर अपनी जेबें भरने की आड़ मेें धर्म का सहारा लेकर आम श्रद्धालुओं को धोखा देते हुए खुलेआम गुरु की गोलक की कथित लूटपाट कर रहे है। धर्म की आड़ में आम श्रद्धालुओं को धार्मिक सजा का कथित डरावा देकर खुद ही एसजीपीसी के संस्थानों में अपनी जेब भरने के लिए मीट, मछली आदि की दुकान चला रहे है।
जो सिख धार्मिक मर्यादा का घोर उल्लंघन है। मन्ना मंगलवार को एसजीपीसी के प्रबंधों के अधीन चल रही श्री गुरु राम दास मेडिकल विश्वविद्यालय वल्ला की कंनटीन और मैस मेें विद्यार्थियों को मीट, मछली, मुर्गा , बकरा और सुअर आदि का मास सिख धर्म मर्यादा के खिलाफ विस्तृत करके अपनी जेबें भर रहे है पदाधिकारियों की सबूतों और वीडियो फिल्म की रिकार्डिंग के साथ मीडिया कर्मियों के समक्ष खुलासा कर रहे थे। मन्ना ने खुल कर आरोप लगाया कि एसजीपीसी का बड़ा नेतृत्व सभी कुछ जानते हुए भी आंखे मूंदे बैठा है क्योंके यह कंटीन का निजी प्रबंध किसी और के पास नहीं बल्कि एक एसजीपीसी के पदाधिकारी के पास हिस्सा दारी में है।
मन्ना ने सारे मामले संबंधी सबूत दिखाते हुए कहा कि सिख संगत ने वल्ला में अस्पताल और मेडिकल कालेज व विश्वविद्यालय बनाने के लिए एसजीपीसी को अपनी धार्मिक भावनाओं को मुख्य रखते हुए जमीन दान पर दी थी। इस संस्थान के अंदर ही गुरूद्वारा साहिब भी है। यहां हर रोज श्री गरुु ग्रंथ साहिब का प्रकाश होता है। कैंपस में स्थित गुरुद्वारा साहिब की दीवार के साथ ही एक कंटीन बनाई हुई है। इस कंटीन का ठेका एसजीपीसी के ही एक कथित कट्टर पदाधिकारी के पास , अकाली दल के एक नेता के साथ हिस्सेदारी में है। कैंपस के अंदर गुरुद्वारा साहिब की सांझी दीवार के साथ बनी इस कंटीन में खुलेआम मीट, मटन, मछली, सुअर का मास व बकरा आदि का मास विद्यार्थियों से पैसे लेकर परोसा जाता है ।
मन्ना ने सबूत दिखाते हुए कहा कि इतना हीं नहीं इस संस्थान की मैस में भी हर शुक्रवार को विद्यार्थियों को मास खाने के लिए सप्लाई किया जाता है। जबकि एसजीपीसी अपने संस्थानों में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों के उपर कई तरह की धार्मिक कट्टरता के नियम थोपते हुए विद्यार्थियों से कैंपस में नशा , मीट , मछली , शराब आदि के उपयोग करने के खिलाफ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवा ही अपने संस्थानों में दाखिला देती है। मन्ना ने कैंटीन और होस्टल में बनने वाली सामग्री का मीनू दिखाते हुए कहा कि एसजीपीसी के पदाधिकारियों के नियम अपने इकट्ठा किए जाने वाले पैसों और संगत के लिए अलग अलग अर्थ रखते है।
मन्ना ने कहा कि एक ओर तो एसजीपीसी के कथित आदेशों पर श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार अस्ट्रेलिया की एक कंपनी की ओर से मछली की डिश के उपयोग होने वाले महज मसाले की डिब्बी पर श्री हरिमंदिर साहिब की तस्वीर प्रकाशित किए जाने पर हुक्मनामे जारी कर देते है। जबकि अपने ही शहर में अपने ही पदाधिकारियों की ओर से एसजीपीसी के संस्थानों के अंदर भोजन में बरताए जा रहे मास , मछली, बकरे और सुअर के मास की बिक्री पर चुप्पी धारण किए हुए है।
मन्ना कहा कि कितनी हैरानी की बात है कि अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार की ओर से जारी हुक्तनामे के संबंध में अगर कोई आरेापी श्री अकाल तख्त साहिब पर पेश होकर माफी नहंीं मांगता को उसे धार्मिक सजा का डरावा देकर श्री अकाल तख्त साहिब पर तलब कर लिया जाता है। परंतु मछली की डिश में उपयोग हेाने वाले मसाले की डिब्बी पर श्री हरिमंदिर साहिब की तस्वीर प्रकाशित करने वाले की माफी कथित मिली भुगत से ईमेल पर ही स्वीकार कर ली जाती है। जबकि यह जरूरी नहीं कि मछली की डिश में उपयोग होना वाला मसाल सिर्फ मछली की डिश में उपयोग होता है। इस मासले को किसी और भी डिश में उपयोग किया जा सकता हैँ।
मन्ना ने कहाकि यह तो एसजीपीसी के बाहर के लोगों के लिए नियम परंतु इनके पदाधिकारी खुद ही अपने स्थानों की ठेके पर ली गई कंटीनों में मास , मीट ,मछली , सुअर का मास गुरुद्वारा साहिब की सांझी दीवार के साथ बेच रहे है यह बात न तो एसजीपीसी के अध्यक्ष और न ही श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार को दिखाई दे रही है। मन्ना ने कहा कि एसजीपीसी के कई नेता धर्म की कथित आड़ और धार्मिक सजा का आम लोगों को डरावा देकर जिस उत्पाद की राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मश्हूरी करनी होती है उत्पाद व फिल्म आदि के मामले पर खुद ही विवाद पैदा करवा देते है। बाद में सब कुछ कथित लेनदेन के तहत सैटल कर दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि सिख संगठन को एसजीपीसी और उसके संस्थानों पर काबिज लोगों की कथित गंदी चालों और पैसे के स्वार्थ की राजनीति को समझते हुए इनके खिलाफ आवाज उठाते हुए धर्म की रक्षा के लिए मैदान में आना होगा। ताकि अपनी की कौम की वेशभूषा का नकाब पहन कर गुरु की गोलक की लूट करने वालों के मनसूबे सफल न हो सके । क्यों कि गुरु घर और एसजीपीसी की सहातया से चलाए जाते संस्थानों की कंटीनों का पैसे गुरु की गोलक में ही जाते है। गुरु के इस धन को एसजीपीसी के उच्च पदों पर बैठे लोग अपवित्र कर रहे है।
– सुनीलराय कामरेड