राजसथान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि जघन्य अपराधों के त्वरित एवं तुरंत प्रभावी अनुसंधान तथा न्यायालय में प्रभावी पैरवी सुनिश्चित करने के लिये जघन्य अपराध मानीटरिंग यूनिट का गठन किया है। श्री गहलोत ने आज पत्रकारों को बताया कि पुलिस महानिरीक्षक स्तर का अधिकारी इस यूनिट का प्रभारी रहेगा। यूनिट में एक पुलिस उपमहानिरीक्षक, दो पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी, दो विधि अधिकारी, प्रत्येक रेंज एवं पुलिस कमिश्नरेट क्षेत्र में एक एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक या पुलिस उपाधीक्षक स्तर का अधिकारी शामिल होगा।
श्री गहलोत ने अलवर जिल के पहलू खां के मामले में पिछली सरकार की कई कमियां बताते हुए कहा कि पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार करने में तत्परता नहीं दिखाई। एक अप्रैल 2017 को हुई इस घटना की प्राथमिकी 16 घंटे बाद दर्ज की गई। चार दिन बाद मेडीकल कराया गया। मामले की जांच की तीन अधिकारियों ने की। और तीनों ने नामजद आरोपियों को घटना में शरीक माना, लेकिन छह व्यक्तियों को किया गया और गिफ्तार ही नहीं किया गया। घटना का वीडियो बनाने वाले मोबाइल को भी जब्त नहीं किया गया।
भारतीय जनता पार्टी द्वारा पहलू खां की मौत के मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो से कराने की मांग के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसकी जरूरत नहीं है। उच्च न्यायालय में भी निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील की जा रही है। उन्होंने बताया कि इस प्रकरण में गठित विशेष जांच दल उन कमियों की तलाश भी करेगा जिसकी वजह से मुकदमा कमजोर हुआ।
उन्होंने कहा कि लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि हर मुकदमे की प्राथमिकी दर्ज करना अनिवार्य किया गया है तथा पुलिस अधीक्षक कार्यालय में भी मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इससे मुकदमों की संख्या बढ़ सकती है, लेकिन इससे अपराधों में कमी आयेगी। श्री गहलोत ने कहा कि पुलिस अधीक्षकों को मातहत अधिकारियों पर नजर रखने के लिये कहा गया है ताकि उनके व्यवहार और अनुशासन का पता चल सके। पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट आधार पर ही दोषी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी।