नई दिल्ली : भारतीय राष्ट्रीय राइफ़ल संघ (एनआरएआई) के अध्यक्ष रणइंदर सिंह द्वारा राष्ट्रमंडल खेल 2022 का बहिष्कार करने का आह्वान अलग-थलग पड़ता नज़र आ रहा है। बर्मिंघम मे आयोजित होने वाले खेलों से निशानेबाज़ी को बाहर किया जा चुका है,जिसके विरोध में रणइंदर चाहते हैं कि भारत सरकार अपने स्तर पर प्रयास करे और निशानेबाज़ी को फिर से खेलों में शामिल किया जाए। उन्होंने खेल मंत्रालय और भारतीय ओलंपिक संघ से भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होने और और ज़रूरत पड़ने पर बहिष्कार करने का आग्रह किया है। लेकिन उनकी इस लड़ाई को भारतीय ओलंपिक संघ ने बहुत हल्के में लिया है।
एक अधिकारी के अनुसार विरोध का वक्त पीछे छूट गया है। बेहतर होता गोल्ड कोस्ट खेलों से पहले यह मामला उठाया जाता या बहिष्कार जैसी बात पिछले खेलों से पहले की जाती तो इस बारे में सोचा जा सकता था। खेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का भी कुछ ऐसा ही मानना है। उनकी राय में रणइंदर ने विरोध के लिए गलत समय का चयन किया है और इस लड़ाई में उनका साथ शायद अपने भी ना दे सकें। आईओए और मंत्रालय के अनुसार उन्हें अभी तक कोई लिखित विरोध भी नहीं मिला है।
दो दिन पहले उन्होंने नाराज़गी व्यक्त की थी। गोल्ड कोस्ट खेलों में शानदार प्रदर्शन करने वाले भारतीय निशानेबाजों के सम्मान में आयोजित समारोह में निशानेबाज़ी प्रमुख राष्ट्रमंडल खेल आयोजकों पर जमकर बरसे। हालांकि उन पर शो बिगाड़ने का आरोप भी लगा। तब सम्मान समारोह शिकवे-शिकायत में बदल गया जिसे लेकर कुछ पदक विजेता निशानेबाजों ने लुक-छिप कर नाराज़गी भी जताई। गोल्ड कोस्ट में निशानेबाजों ने सात स्वर्ण सहित 16 पदक जीते थे जोकि किसी भी भारतीय खेल की रिकार्डतोड़ उपलब्धि है। लेकिन उनके अपने अध्यक्ष पर सम्मान समारोह में रंग में भंग डालने का आरोप लगा। उन्हें यह जानलेना चाहिए कि राष्ट्रमंडल खेल उन देशों का बड़ा मंच हैं जोकि ब्रिटेन के गुलाम थे। फिर भला बर्मिंघम खेलों का बहिष्कार कौन कर सकता है । भले ही भारत को कई पदकों का नुकसान होगा पर बहिष्कार के बारे में सरकार भी शायद ही सोचे।
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– राजेंद्र सजवान