नई दिल्ली: एशियन चैंपियनशिप और कामनवेल्थ खेलों में भाग लेने वाले पहलवानों के चयन हेतु आयोजित ट्रायल में हुई मारपीट और धांधली, आरोप के बाद कुश्ती में घमासान की आशंका बढ़ी है। ज़ाहिर है अब कुश्ती फेडरेशन, कोचों, रेफरी, जजों को पहले से ज़्यादा चौकस रहना होगा। कुछ पहलवानों और उनके गुरुओं ने दबे सुर में ही सही, फेडरेशन पर मिलीभगत और पक्षपात के आरोप मढ़े हैं। खासकर, सुशील के प्रतिद्वंदी आक्रामक रूप ले रहे हैं जिनमे प्रतिबंधित नरसिंह यादव, प्रवीण राणा और जितेंद्र जैसे नाम शामिल हैं। फिलहाल यह कहना मुश्किल है कि फेडरेशन कहां तक कुसूरवार है।
फिर भी यह तो कहा ही जा सकता है कि बड़े नाम और बड़ी उपलब्धि वाले पहलवान या अन्य खिलाड़ी हमेशा से दबदबा बनाते आए हैं। देश की तमाम खेल इकाइयों में यही सब चल रहा है। ओलंपिक या विश्व स्तर पर पदक जीतने वाले खिलाड़ी बड़े सम्मान के हकदार है पर उन्हें सिर चढ़ाना कहां तक वाजिब है। कुश्ती फेडरेशन को जल्दी ही एक बड़ी परेशानी से दो-चार होना पड़ सकता है। तीसरी कुश्ती लीग में सुशील और प्रवीण राणा और अन्य पहलवान आमने-सामने होंगे। यदि सुशील सचमुच लीग में उतरे तो सारा ध्यान उन पर केंद्रित होना स्वाभाविक है।
उनके अलावा बजरंग पूनिया, महिला पहलवान साक्षी मलिक और गीता फोगाट और कई अन्य पहलवानों के भार वर्ग भी विवादों से घिर सकते हैं। कारण साक्षी पर विदेशी पहलवानों से बचने के आरोप लगे हैं जबकि गीता फोगाट क्वालीफाइंग मुकाबला हार कर अपनी खराब फार्म का परिचय दे चुकी है। इनमें से कुछ एक नाम वापस लेकर लीग का रोमांच बिगाड़ सकते हैं। कुश्ती लीग में बड़े कद वाले भारतीय पहलवान पीठ दिखाने और बहाना बनाने के लिए खासे बदनाम रहे हैं। कई एक ने विदेशियों के विरुद्व नही लड़ने का फ़ैसला किया और चर्चा में रहे। हालांकि फेडरेशन अध्यक्ष ब्रज भूषण ने किसी भी प्रकार की ढील और विवाद से निपटने का आश्वासन दिया है।
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(राजेंद्र सजवान)