पटना बिहार प्रादेशिक मारवाड़ी सम्मेलन की ओर से आयोजित मरणोपरांत अंगदान कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जीते जी रक्तदान और मरने के बाद नेत्रदान/अंगदान कर कोई व्यक्ति अमर हो सकता है।
जीवन में अगर किसी को कोई अच्छा काम करने का मौका नहीं मिला तो वह मरने के बाद अंगदान के जरिए दूसरों को जीवन देकर अच्छा काम कर सकता है। अंगदान के लिए दानकर्ता के साथ उसके परिजनों को भी संकल्प लेने की जरूरत होती है। इस मौके पर मारवाड़ी सम्मेलन के 35 सदस्यों ने अंगदान का संकल्पपत्र भर कर दधीचि देहदान समिति को समर्पित किया।
श्री मोदी ने कहा कि बिहार अंगदान के मामले में काफी पीछे हैं। पश्चिम बंगाल में 10 लाख लोगों ने देहदान का संकल्प लिया है। मेडिकल छात्रों को अध्ययन के लिए मृत मानव शरीर नहीं मिल पाता है। जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में एक नानाजी देशमुख ने देहदान किया था। मैंने भीं देहदान का संकल्प लिया है।
मानव के भीतरी अंग कृत्रिम तौर पर किसी लैब में नहीं बनाए जा सकते हैं। कोई व्यक्ति ये अंग दान देकर ही किसी की जिन्दगी को बचा सकता है। समान्य मृत्यु की स्थिति में अंगदान नहीं,छह घंटे के अंदर केवल नेत्रदान संभव है।
दुर्घटना के बाद डाॅक्टरों की टीम द्वारा ब्रेनस्टेम डेथ घोषित करने के बाद ही अंगदान संभव है। भारत सरकार मोटर व्हेकिल एक्ट में बदलाव करने जा रही है, जिसके अन्तर्गत अब ड्राइविंग लाइसेंस के कार्ड पर ही अंगदान का संकल्प अंकित करने का प्रावधान होगा।
श्री मोदी ने कहा कि भारत दानियों का देश है। पहला अंगदानी महर्षि दधीचि रहे हैं। विष्णु ने अपना नेत्र निकाल कर भगवान शिव को अर्पित कर दिया था। अंगदान के अभियान से जुड़ कर हम सही मायने में मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।
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