गुजरात के रहने नंदलाल मेघानी, डॉ. विशानदास मनकानी और किशनलाल अंदानी उन 114 लोगों में से हैं जिन्हें भारत की नागरिकता शुक्रवार को मिल गई। आपको बता दे कि 1955 सिटिजनशिप एक्ट के तहत जिला मजिस्ट्रेट ने इन सभी की नागरिकता पर फैसला लिया है। इन सभी लोगों को शुक्रवार को भारत की नागरिकता का प्रमाण पत्र मिलेगा।
इन सभी देश में रहने का परमानेंट अधिकार मिलने पर खुशी जाहिर की और उन हालातों को बयां किया जो उन्होंने इस संघर्ष के दौरान झेले। 50 साल के नंदलाल मेघानी का कहना है कि 16 साल पहले पाकिस्तान के सिंध से मैं अपनी पत्नी और बेटी के साथ भारत आ गया था। भारत में नई शुरुआत करने के लिए वहां हमने अपना घर और बिजनस बेच दिया। हम भारत में आम लोगों की जिंदगी से प्रभावित थे और यहां आकर नागरिकता के लिए आवेदन कर दिया। भारत में शरण लेने की प्रमुख वजह पाकिस्तान में अपराध की उच्च दर है। यही नहीं लगातार बढ़ते आतंकवाद के चलते पाकिस्तान के हमारे मुस्लिम दोस्तों ने भी हमें भारत में शिफ्ट होने के लिए प्रेरित किया।’ मेघानी पाकिस्तान में ऑटो पार्ट्स का बिजनस करते थे।
पाकिस्तान में ऑटो पार्ट्स का बिजनेस करने वाले मेघानी ने बताया कि हालात इतने बदतर हो गए थे कि उनके मुस्लिम दोस्तों ने उन्हें भारत जाने की सलाह दे डाली। वहीं 2005 में भारत आए 59 साल के किशनलाल अंदानी ने भी अपनी आपबीती बयां की।
वही 59 साल के किशनलाल अडानी ने बताया कि मैं 2005 में पत्नी और 4 बेटों के साथ भारत आया था। मेरे बेटे कल आ रहे हैं और हम बहुओं समेत भारतीय नागरिकता के लिए अप्लाइ करने की योजना बना रहे हैं।’ अडानी पाक के सिंध सूबे के थारपकड़ कस्बे में जनरल स्टोर चलाते थे। भारत में अपने बेटों के साथ उन्होंने बर्तन की दुकान शुरू की है। भावुक अडानी ने बताया कि मैं अब भी अपने उस घर और दोस्तों को याद करता हूं जिन्हें छोड़कर हम यहां आ गए हैं।
वही आपको बता दे अडानी का ये भी कहना था कि आतंकवाद के चलते हमारे लिए बचे रहना मुश्किल हो गया था। जब हम बाहर निकलते थे तो सोचते थे कि वापस घर आ भी पाएंगे या नहीं।