भारत ने पाकिस्तान से बार-बार कहा था कि मुंबई हमले के मामले की फिर से जांच की जाए और उसने अपनी ओर से प्रदान किए गए सबूतों के आधार पर सईद और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी जकीउर रहमान लखवी के खिलाफ सुनवाई की मांग की थी।
बोर्ड के फैसले से पहले संघीय विथ मंत्रालय के एक अधिकारी इसके समक्ष पेश हुए और सईद की नजरबंदी को जायज ठहराते हुए कुछ महत्वपूर्ण साक्ष्य सौंपे। बहरहाल, बोर्ड ने इस अधिकारी की दलीलों को नहीं माना। इससे पहले पंजाब प्रांत की सरकार ने कहा था कि अगर सईद को छोड़ गया तो पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है।
इस बीच, पंजाब सरकार के एक सूत्र ने पीटीआई को बताया कि सईद शायद बाहर नहीं आए क्योंकि सरकार उसे एक अन्य मामले में हिरासत में लेने पर विचार कर रही है। आधिकारिक सूत्र ने कहा, सरकार मौजूदा हालात में सईद को आजाद करने का जोखिम मोल नहीं ले सकती। सईद को रिहा करने पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया हो सकती है।
इस साल 31 जनवरी को सईद और चार साथियों अब्दुल्ला उबैद, मलिक जफर इकबाल, अब्दुल रहमान आबिद और काजी कासिफ हुसैन को पंजाब की सरकार ने आतंकवाद विरोधी कानून-1997 और आतंकवाद विरोधी कानून की चौथी अनुसूची के तहत 90 दिनों के लिए नजरबंद किया था। सईद के चार साथियों को अक्तूबर के आखिरी सप्ताह में रिहा कर दिया गया था। अमेरिका ने सईद पर एक करोड़ डॉलर का ईनाम घोषित कर रखा है।