इस साल के अंत में देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव है और अगले साल लोकसभा चुनाव होने है। ऐसे में एक राष्ट्र एक चुनाव का विधेयक आना राजनीति की सरगर्मिया बढ़ा रहा है। इस विधेयक पर राजनीतिक विश्लेषक प्रशांत किशोर ने अपनी प्रतिक्रया देते हुए कहा अगर एक राष्ट्र , एक चुनाव सही इरादे से किया जाता है तो यह देश हित में है। अगर यह सही नियत से किया जाता है और 4-5 साल का परिवर्तन चरण होता है, तो यह देश के हित में है।
यह देश में 17-18 साल तक प्रभावी था। यह एक बार प्रभाव में था। दूसरी बात, भारत जैसे बड़े देश में, हर साल लगभग 25 प्रतिशत लोग मतदान करते हैं। इसलिए, सरकार चलाने वाले लोग चुनाव के इस चक्र में व्यस्त रहते हैं। अगर इसे 1-2 बार तक सीमित रखा जाए, तो यह बेहतर होगा। इससे खर्चों में कमी आएगी और लोगों को केवल एक बार ही निर्णय लेना होगा। उन्होंने आगे कहा कि अगर सरकार रातोंरात बदलाव की कोशिश करेगी तो दिक्कतें होंगी।
"यदि आप रातोंरात परिवर्तन का प्रयास करते हैं, तो समस्याएं होंगी। सरकार शायद एक विधेयक ला रही है। इसे आने दीजिए। अगर सरकार के इरादे अच्छे हैं, तो ऐसा होना चाहिए और यह देश के लिए अच्छा होगा… लेकिन यह निर्भर करता है जिस इरादे से सरकार इसे ला रही है।