बिहार

SC Reservation में उप-समूह बनाने के फैसले को चुनौती देंगे Chirag Paswan, सुप्रीम कोर्ट में करेंगे अपील

Pannelal Gupta

SC Reservation: केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का विरोध किया, जिसमें राज्यों को अनुसूचित जातियों के आरक्षण के भीतर क्रीमी लेयर बनाए जाने की अनुमति दी गई है। उन्होंने घोषणा की कि उनकी लोक जनशक्ति पार्टी इसके खिलाफ अपील करेगी।

Highlights

  • सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देंगे चिराग पासवान
  • SC Reservation में उप-समूह बनाने के फैसले को SC में करेंगे अपील
  • चिराग पासवान ने जाति जनगणना का किया समर्थन

लोक जनशक्ति पार्टी सुप्रीम कोर्ट में डालेगी पुनर्विचार याचिका- Chirag Paswan 

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान(Chirag Paswan) ने कहा कि उनकी पार्टी जल्द ही इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका डालने जा रही है। उन्होंने कहा, हमारी पार्टी सर्वोच्च न्यायालय से अनुरोध करेगी कि वह अपने हाल के फैसले की समीक्षा करे, जिसमें अनुसूचित जाति कोटे के तहत 15 प्रतिशत उप-समूहों को अनुमति दी गई है। एससी कोटे में क्रीमी लेयर को अनुमति नहीं दी जा सकती। एससी कोटे में उप-समूहों को अनुमति देने से सामाजिक रूप से हाशिए पर पड़े वर्ग के उत्थान का उद्देश्य पूरा नहीं होगा, जो छुआछूत की प्रथा का शिकार रहा है।

'SC Reservation में उप-समूहों की अनुमति देना न्यायोचित नहीं'

चिराग पासवान(Chirag Paswan) ने आश्चर्य व्यक्त किया कि शीर्ष अदालत के फैसले में अस्पृश्यता शब्द का उल्लेख तक नहीं है। उन्होंने कहा, अनुसूचित जाति के अधिकांश लोग, यहां तक ​​कि संपन्न परिवारों से आने वाले और शिक्षा तक पहुंच रखने वाले लोग भी अस्पृश्यता का सामना करते हैं। इसलिए, अनुसूचित जाति के भीतर उप-समूहों की अनुमति देना न्यायोचित नहीं है।

चिराग पासवान ने जाति जनगणना का किया समर्थन

जाति जनगणना की मांग को लेकर चिराग पासवान ने कहा कि मुझे लगता है कि हमें जाति जनगणना करानी चाहिए। हम इसके समर्थन में हैं। लेकिन मेरा मानना है कि इसके निष्कर्षों को सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए। एकत्रित आंकड़ों का इस्तेमाल सरकार को नीतियां बनाने में करना चाहिए। चिराग पासवान ने कहा कि वो जातीय जनगणना के पक्षधर सिर्फ इसलिए हैं ताकि उस आधार पर सब की बेहतरी के लिए नीतियां बन सके। इसलिए नहीं कि आरक्षण के भीतर आरक्षण हो।

क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला

एक ऐतिहासिक फैसले में बीते गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन और सरकारी नौकरियों में कम प्रतिनिधित्व के आधार पर अनुसूचित जातियों के भीतर जातियों को उप-वर्गीकृत करने की अनुमति दी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि 15 फीसदी एससी कोटे का बड़ा हिस्सा पिछड़ों को मिले। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि राज्यों को अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है, ताकि उन जातियों को आरक्षण दिया जा सके जो सामाजिक और शैक्षणिक रूप से अधिक पिछड़ी हैं।

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