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Tejashwi Yadav: नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एनडीए सरकार से स्मार्ट मीटर और बिजली दरों पर सवाल किए। उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में स्मार्ट मीटर के जरिए बिजली की दरें दोगुनी की जा रही हैं। यादव ने सरकारी लूट और…
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने रविवार को स्मार्ट मीटर लगाने को लेकर नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार पर हमला बोला। उन्होंने दावा किया कि नीतीश-बीजेपी सरकार बिहार के लोगों पर अत्याचार कर रही है और स्मार्ट मीटर के नाम पर सरकार की लूट से हर बिहारी परेशान है।
स्मार्ट मीटर पर हमारे सवालों का जवाब दे एनडीए सरकार! देश में सबसे कम प्रति व्यक्ति आय वाले राज्य में स्मार्ट मीटर लगाकर, बिजली की दरें दोगुनी करके और सबसे महंगी बिजली बेचकर नीतीश-भाजपा सरकार बिहार की जनता पर अत्याचार कर रही है। स्मार्ट मीटर के नाम पर हो रही सरकारी लूट से हर बिहारी परेशान है। पूरे बिहार से शिकायतें आ रही हैं कि बिजली बिल दोगुना हो गया है। सरकार बताए कि ऐसा क्यों हो रहा है? अगर यह मान लिया जाए कि स्मार्ट मीटर में गड़बड़ी की वजह से हर घर से सिर्फ 100 रुपए की ठगी हो रही है तो नीतीश सरकार पूरे बिहार में उपभोक्ताओं से हर महीने हजारों करोड़ रुपए की अवैध वसूली कर रही है।
स्मार्ट मीटर का मुद्दा हर घर से जुड़ा है और हर घर से स्मार्ट मीटर के खिलाफ आवाज उठ रही है। स्मार्ट मीटर के नाम पर बिजली कंपनियों, अधिकारियों और सत्ताधारी नेताओं की मिलीभगत को तुरंत खत्म किया जाना चाहिए। बिहार विद्युत विनियामक आयोग और केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग के गजट में स्मार्ट मीटर लगाने की अनिवार्यता नहीं है तो फिर सरकार किसके फायदे के लिए ऐसा कर रही है? बिहार का बिजली इंफ्रास्ट्रक्चर पुराना हो चुका है। उपभोक्ता कहता है कि मीटर तेज है, सरकार कह रही है कि मीटर तेज नहीं है, तो मीटर तेज है या नहीं, इसका फैसला कौन करेगा? जो विभाग गलत काम कर रहा है, वह खुद कह रहा है कि सब ठीक है। हमारी मांग है कि इस मसले को सुलझाने के लिए निष्पक्ष कमेटी बने।"
यादव ने आगे तंज कसते हुए कहा कि बिहार में 2 करोड़ बिजली उपभोक्ता हैं, जिसमें से मात्र 50 लाख उपभोक्ताओं ने ही स्मार्ट मीटर लगवाए हैं। नए मीटर लगाने से पहले सरकार को पहले मौजूदा 50 लाख उपभोक्ताओं की शंकाओं और संशय को दूर कर उन्हें संतुष्ट करना चाहिए। उन्होंने पूछा, "बिजली कंपनियों के साथ सरकार की क्या मिलीभगत है? क्या मीटर का कैलिब्रेशन गलत नहीं हो सकता? क्या बिजली मंत्री के सुपौल स्थित घर में स्मार्ट मीटर लगा है? अगर लगा है, तो कब लगा? कितने माननीयों और अफसरों के सरकारी और निजी आवास में स्मार्ट मीटर लगा है? पिछले 20 सालों में तीन बार मीटर बदला गया, हर बार मीटर बदलने की जरूरत क्यों पड़ी? क्या मीटर कंपनियों, बिल वसूली एजेंसियों, सत्तारूढ़ जेडीयू नेताओं और अधिकारियों के बीच कोई व्यावसायिक संबंध है? बिजली कंपनियां पहले दो-तीन महीने में उपभोक्ताओं से स्मार्ट मीटर लगाने का चार्ज वसूलती हैं, लेकिन यह क्यों नहीं बतातीं? 200 रुपये के मीटर पर उपभोक्ताओं से वसूले जाने वाले मीटर की कुल कीमत कितनी है? स्मार्ट मीटर की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए यादव ने कहा, "यदि तथाकथित स्मार्ट मीटर वाकई स्मार्ट है तो इसका यूजर इंटरफेस और सिस्टम इतना धीमा और दोषपूर्ण क्यों है कि हर जगह भ्रम, परेशानी, जानकारी का अभाव और पैसे की बर्बादी हो रही है? और यह परेशानी और अधिक लूट और भ्रष्टाचार को जन्म देती है। प्रीपेड स्मार्ट मीटर के इंटरफेस और सिस्टम में इतना भ्रम और गड़बड़ी क्यों है कि जनता को पता ही नहीं चलता कि उनका पैसा कहां गया? कितना पैसा बचा है?
(Input From ANI)