बिहार

जातीय जनगणना के आंकड़े में वैश्य समाज की आबादी को कम दर्शाया गया है: डॉ. जगन्नाथ प्रसाद गुप्ता

Desk Team

पटना : अंतर्राष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन, बिहार इकाई ने बिहार में कराए गए जातीय जनगणना के जारी किए गए आंकड़े पर सवाल उठाते हुए घोर आपत्ति दर्ज कराई है। महासम्मेलन के प्रदेश अध्यक्ष प्रो. डॉ. जगन्नाथ प्रसाद गुप्ता, कार्यकारी अध्यक्ष प्रिंस कुमार राजू, संगठन मंत्री विवेक हर्ष, देवेंद्र कुमार गुप्ता, उपाध्यक्ष नागेंद्र शाह, डॉ. सुनंदा केसरी, कोषाध्यक्ष सौरभ भगत एवं युवा अध्यक्ष रामबाबू प्रसाद गुप्ता ने बुधवार को संयुक्त रूप से प्रेस बयान जारी कर जातीय आंकड़े को भ्रम फैलाने वाला करार दिया है।
प्रदेश अध्यक्ष डॉ. जगन्नाथ प्रसाद गुप्ता ने कहा कि बिहार सरकार के जातीय जनगणना के आंकड़े में वैश्य समाज की आबादी को कम दर्शाया गया है, जिससे वैश्य समाज में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने वैश्य जातियों का सही आंकड़ा एकत्रित नहीं किया है। राज्य सरकार ने सिर्फ अपने हित साधने के लिए वैश्य समाज को नीचा दिखाने का काम किया है, जिससे समाज के लोगों में सरकार के प्रति गहरा आक्रोश व्यापत है। उन्होंने कहा कि बिहार में वैश्यों की 22 प्रतिशत आबादी है। वैश्य की 56 उपजातियां हैं। सरकार ने सभी को कानू, तेली व अति पिछड़ा करके अलग-अलग बांटने का काम किया है। उन्होंने कहा कि जातिगत गणना में क्रमांक संख्या 122 पर वैश्यों की सिर्फ 12-13 उपजातियां को ही वैश्य में रखा, जबकि अन्य उपजातियां को अलग-अलग रखा गया, जो वैश्यों के साथ घोर अन्याय है।
उन्होंने आगे कहा कि आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में वैश्य समाज राज्य सरकार को सबक सिखाने का काम करेगी, साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट एवं पटना हाई कोर्ट से इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए बिहार में हुई जातीय गणना को रद्द करने और फिर से जातीय गणना कराने का आदेश बिहार सरकार को देने की मांग की है ताकि आम लोगों के सामने जातियों के सही आंकड़े