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क्या है OTT का मतलब.. कब लांच हुआ भारत का पहला OTT प्लेटफार्म…और भी बहुत कुछ

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है OTT का मतलब क्या है..?भारत में इसकी शुरुआत कब हुई..? भारत का पहला ओटीटी प्लेटफार्म क्या है..? अगर हां तो चलिए आपको बताते हैं इन सभी प्रश्नों के जबाव..

Desk Team

कोविड की वजह से लॉकडाउन के
चलते हम सबकी लाइफ में एक शब्द बहुत ही कॉमन हो गया है। वो शब्द है ओटीटी
प्लेटफार्म। ओटीटी हम सबकी लाइफ में अब पानी की तरह घुल गया है। पिछले दो सालों से
शायद ही कोई ऐसा होगा जिसके जुबां पर ये शब्द नहीं आया होगा। क्या बच्चा क्या बुढ़ा
हर किसी की जुबां पर ओटीटी प्लेटफार्म ने जगह ले ली है।
अब आप उठते-बैठते, जब चाहें बस अपना फोन उठाते हैं और मन के मुताबिक सीरीज़, शोज़ और फिल्म देखना शुरू कर देते हैं। ये बात
तो माननी पड़गी कि ओटीटी ने हमारे लिए मनोरंजन का रास्ता आसान कर दिया है। लेकिन
क्या आपने कभी सोचा है
OTT का मतलब क्या
है..
?भारत में इसकी शुरुआत कब हुई..? भारत का पहला ओटीटी प्लेटफार्म क्या है..? अगर हां तो चलिए आपको बताते हैं इन सभी
प्रश्नों के जबाव..

क्या है ओटीटी
शब्द का मतलब

ओटीटी का मतलब
समझने से पहले इसका फुलफार्म जानते हैं। ओटीटी की फुल फॉर्म होती है
'ओवर द टॉप' । यानि की एक ऐसा
प्लेटफॉर्म जो कुछ और प्लेटफॉर्म्स की मदद से आपके फोन पर ही आपको तमाम तरह की
फिल्में
, सीरीज़ और शोज़ प्रदान
करता है। ओटीटी प्लेटफार्म पर आपको रोमांटिक
, थ्रिलर, एक्शन से लेकर
तमाम तरह का कंटेंट मिल जाते हैं। कुछ ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ऐसे होते हैं जिनपर
कंटेंट देखने के लिए आपको भुगतान करना पड़ता है
, तो कुछ ऐसे भी हैं जहां आपको फ्री में कंटेंट मिलता है।
ओटीटी प्लेटफार्म पर मूवी, सीरीज या शो देखने के लिए आपको बस एक चीज की खास जरुरत
है वो है आपके फोन में इंटरनेट।

ओटीटी से कैसे
होती है कमाई

कोविड के दौरान
बहुत सी बड़ी बजट की फिल्मों भी ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज हुई है। अब सिनेमाघर
खुलने के बाद भी आप सबने कई लोगों को ऐसा बोलते हुए सुना होगा कि
'यार फिल्म जब किसी ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आ जाएगी तब देख
लेंगे
'। लेकिन आपने कभी सोचा कि सिनेमाघरों में टिकट का पैसे जाता है, फिल्में रिलीज़ करने के लिए प्रोडक्शन हाउस की तरफ से पैसे दिए जाते हैं और भी
बहुत कुछ…पर ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का बिजनेस कैसे होता है
? चलिए आपको ये भी बताते है। दरअसल में ओटीटी प्लेटफॉर्म तीन तरह काम करता है। TVOD यानी Transactional Video
On Demand, SVOD
यानी Subscription Video On Demand और AVOD Advertising Video On Demand। टीवीओडी यानी जब यूज़र किसी प्लेटफॉर्म से कुछ डाउनलोड करता है तो उसे इसके
लिए पैसे देने पड़ते हैं। हर बार डाउनलोड करने पर पैसे देने होते हैं यानी
ट्रांजेक्शन होता है।

फिर आता है
एसवीओडी
, इसमें यूजर एक महीने या कुछ दिन के लिए (प्लान के मुताबिक)
एक बार पैसे देता है और महीनेभर तक जी भर के अपना पसंदीदा कंटेंट देखता है। एवीओडी
, इसमें यूजर को कोई चार्ज तो नहीं देना पड़ता पर कंटेंट देखने के दौरान बीच में
कई बार एड्स आते हैं जिन्हें आप स्किप भी नहीं कर पाते। इन एड्स के लिए भी ओटीटी
प्लेटफॉर्म्स को पैसे दिए जाते हैं। इन विज्ञापनों के ज़रिए ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की
तगड़ी कमाई होती है। तो इस तरह ओटीटी प्लेटफॉर्म्स अपनी कमाई करते हैं।

भारत का पहला
ओटीटी प्लेटफार्म

वैसे तो ओटीटी
प्लेटफार्म की शुरुआत अमेरिका में हुई थी। लेकिन अब भारत में भी इसका क्रेज लोगों के सर
चढ़कर बोल रहा है। लेकिन भारत का पहला ओटीटी प्लेटफार्म नेटफिलक्स या अमेजन नहीं
है।
भारत में रिलायंस
एंटरटेनमेंट ने साल 2008 ओटीटी प्लेटफॉर्म की शुरुआत की थी। रिलायंस एंटरटेनमेंट
ने भारत में सबसे पहला ओटीटी प्लेटफॉर्म
Bigflix लॉन्च को लॉन्च
किया था। उसके बाद साल 2010 में
Digivive
ने  NEXG TV नाम से ओटीटी
मोबाइल एप लॉन्च किया जिसमें वीडियो ऑन डिमांड के साथ टीवी भी देखा जा सकता था।