नई दिल्ली : वॉलमार्ट-फ्लिपकार्ट सौदे और रिटेल में विदेशी निवेश के खिलाफ खुदरा कारोबारियों के शीर्ष संगठन अखिल भारतीय व्यापार महासंघ (कैट) ने आज शुक्रवार को'भारत व्यापार बंद' है। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल के अनुसार भारत व्यापार बंद में देश भर के 40 हजार से ज्यादा व्यापार संगठन भाग लेंगे और लगभग 7 करोड़ व्यापारिक प्रतिष्ठान से बंद है ।
स्वदेशी जागरण मंच सहित ट्रांसपोर्ट, किसान, उपभोक्ता, लघु उद्योग, हॉकर्स सहित अन्य संगठनों ने भी बंद का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि व्यापारियों ने वॉलमार्ट -फ्लिपकार्ट सौदे पर तुरंत रोक लगाने और रिटेल व्यापार में किसी भी प्रकार के विदेशी निवेश को अनुमति नहीं देने की मांग की है। इसके साथ ही व्यपारियों ने जीएसटी में केवल दो प्रकार की कर दरें रखने की अपील की है।
दवा दुकानदारों की एक शीर्ष संस्थान ने ऑनलाइन दवा बिक्री को नियमित करने के केंद्र के कदम के खिलाफ एक दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर है. ऑल इंडिया ऑर्गनाइजेशन ऑफ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट (एआईओसीडी) ने सरकार के फैसले का विरोध किया जा रहा है। और कहा कि ई-फार्मेसी से उनके धंधे पर खतरा उत्पन्न हो गया है और इससे दवाओं के दुरुपयोग का जोखिम पैदा हो सकता है।एआईओसीडी के संगठन सचिव और रिटेल डिस्ट्रब्यूटर्स केमिस्ट्स एसेासिएशन के अध्यक्ष संदीप नांगिया ने कहा, ''एआईओसीडी ने ज्ञापनों के माध्यम से प्रशसन और संबंधित विभागों से बार बार अपील की है। इस मुद्दे की गंभीरता ई-फार्मेसी और ऑनलाइन दवाओं की अवैध बिक्री के ढेरों मामलों से जगजाहिर है।
उन्होंने कहा, ''एआईओसीडी पहले ही दो बार भारत बंद कर चुका है। यदि अपील पर सरकार का सकारात्मक जवाब नहीं आता है तो हमारे पास राष्ट्रव्यापी बंद के अलावा अन्य विकल्प नहीं होगा। 28 सितंबर को देशभर में दवा की दुकानें बंद रहेंगी। '' दवा के दामों का विनियमन सरकार करती है। ऑनलाइन पोर्टल 70 फीसद तक छूट देते हैं जबकि थॉक विक्रेताओं की दुकानों पर दस फीसद छूट मिलती है। एआईओसीडी के सदस्यों का आरोप है कि ई-फार्मेसी से दवाओं के अतार्किक इस्तेमाल और नकली दवाओं की बिक्री को बढ़ावा मिलेगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ई-फार्मेसी द्वारा दवाओं की बिक्री पर मसविदा नियमावली लायी है जिसका लक्ष्य भारत में दवाओं की बिक्री का विनियमन करना तथा मरीजों को प्रामणिक ऑनलाइन पोर्टलों से असली दवाएं उपलब्ध कराना है।