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GST: आम जनता के लिए बड़ी खबर है। बता दें, GSTके टैक्स से लोगों को राहत मिलने वाली है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के जरिए वित्त मंत्री ने आंकड़े पेश करते हुए ये दावा किया है कि GST से आम लोगों पर टैक्स का बोझ बढ़ा नहीं बल्कि घटा है। राज्यों को होने वाली आमदनी घटी नहीं बल्कि बढ़ी है।
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GST पर अपने इस पोस्ट के पीछे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमणण ने खास मौके का जिक्र किया। उन्होंने लिखा है कि आज दो वजहों से GST यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स अपने सफर में अहम पड़ाव पर पहुंच चुका है। पहला- GST अपीलेट ट्रीब्यूनल के प्रेसिडेंट की नियुक्ति हुई है। दूसरा- GST कलेक्शन ₹2 लाख करोड़ के आंकड़े को पार कर चुका है। इस मौके पर उन्होंने विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए लिखा है कि GST का प्रस्ताव सबसे पहले अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने लाया था। लेकिन दस साल तक सत्ता में रहने के बावजूद यूपीए की सरकार GST पर आम सहमति बनाने में नाकाम रही. फिर प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में सभी पक्षों को ख्याल रखते हुए आम सहमति बनाई गई और संसद से 2016 में जीएसटी एक्ट्स पारित हुए।
वित्त मंत्री ने जीएसटी को आम लोगों पर बोझ के आरोपों को भी सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने लिखा है कि पहले जहां इनडायरेक्ट टैक्स बिखरा हुआ था। हर राज्य के अपने अपने कानून थे। कच्चे माल पर लगने वाला टैक्स यानी इनपुट क्रेडिट भी कई बार नहीं मिल पाता था। इन सबका नतीजा ये था कि आम लोगों पर टैक्स का बोझ बढ़ जाता था। लेकिन GST ने 17 तरह के टैक्स और 13 प्रकार के सेस को महज पांच हिस्सों में बांटकर पूरी टैक्स व्यवस्था को बेहद सरल बना दिया।
पहले जहां VAT के तहत ₹5 लाख से ज्यादा के टर्नओवर वाले कारोबारियों के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी होता था उस सीमा को बढ़ाकर गुड्स के लिए ₹40 लाख और सर्विस के लिए ₹20 लाख किया गया। पहले जहां अलग अलग राज्यों में कुल मिलाकर जहां 495 तरह के फॉर्म, चालान, डिक्लेयरेशन आदि देने होते थे वो घटकर सिर्फ 12 कर दिए गए।
रिटर्न फाइलिंग को आसान बनाने के लिए खास स्कीम Quarterly Returns with Monthly Payment (QRMP) scheme लाई गई जिससे करीब 44 लाख छोटे टैक्सपेयर्स और MSMEs को फायदा हुआ। ई-वे बिल की वजह से ना सिर्फ राज्यों के बॉर्डर पर नाके खत्म हुए बल्कि वहां होने वाले भ्रष्टाचार भी दूर हुए. इसकी वजह से ट्रक पहले के मुकाबले 44% ज्यादा दूरी तय करने लगे. इन सबका फायदा ये हुआ कि एक राज्य से दूसरे राज्यों में मालों की आवाजाही 2018 में जहां जीडीपी का 18% हुआ करता था वो 2022 में बढ़कर 35% पर पहुंच गया.
नोट – इस खबर में दी गयी जानकारी निवेश के लिए सलाह नहीं है। ये सिर्फ मार्किट के ट्रेंड और एक्सपर्ट्स के बारे में दी गयी जानकारी है। कृपया निवेश से पहले अपनी सूझबूझ और समझदारी का इस्तेमाल जरूर करें। इसमें प्रकाशित सामग्री की जिम्मेदारी संस्थान की नहीं है।