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भारत-अमेरिका की साझेदारी : ‘शक्ति’ सुरक्षा के लिए बनेगा नया सेमीकंडक्टर प्लांट

Saumya Singh

भारत-अमेरिका की साझेदारी : भारत और अमेरिका ने मिलकर एक अत्याधुनिक सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट स्थापित करने का निर्णय लिया है, जिसे "शक्ति" नाम दिया गया है। यह प्लांट राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बनाया जाएगा और इसे दोनों देशों के नेताओं, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अधिकृत किया गया है। यह फैब्रिकेशन प्लांट अत्याधुनिक सेंसिंग, संचार, पावर इलेक्ट्रॉनिक्स, अगली पीढ़ी के टेलीकम्युनिकेशन और ग्रीन एनर्जी एप्लीकेशन पर केंद्रित होगा।

भारत और अमेरिका स्थापित करेंगे चिप फैब्रिकेशन प्लांट

इस परियोजना के लिए भारत में सेमीकंडक्टर, 3आरडीआईटेक और यूएस स्पेस फोर्स के बीच साझेदारी की गई है। यह नया प्लांट उत्तर प्रदेश में स्थापित किए जाने की संभावना है, जिससे क्षेत्र में उच्च तकनीकी क्षमताओं का विकास होगा। यह प्लांट विशेष रूप से आधुनिक युद्ध के संदर्भ में एडवांस सेंसिंग, कम्युनिकेशन और हाई-वॉल्टेज पावर इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगा।

जीएफ कोलकाता पावर सेंटर के निर्माण पर चर्चा

बैठक के दौरान, दोनों नेताओं ने ग्लोबलफाउंड्रीज (जीएफ) द्वारा कोलकाता में जीएफ कोलकाता पावर सेंटर के निर्माण पर भी चर्चा की। यह पहल सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित और टिकाऊ बनाने के लिए संयुक्त प्रयासों को दर्शाती है। जीएफ ने भारत के साथ लंबी अवधि की क्रॉस-बॉर्डर मैन्युफैक्चरिंग और टेक्नोलॉजी पार्टनरशिप की संभावनाओं पर विचार किया है, जिससे दोनों देशों में उच्च-गुणवत्ता वाली नौकरियों का सृजन होगा।

भारत सरकार का सेमीकंडक्टर सेक्टर पर विशेष ध्यान

भारत सरकार सेमीकंडक्टर सेक्टर पर विशेष ध्यान दे रही है। वर्तमान में, भारत में 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश से पांच सेमीकंडक्टर प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं। इस पहल से भारत की तकनीकी क्षमता में वृद्धि होगी और यह वैश्विक सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन में महत्वपूर्ण योगदान देगा।

दोनों देशों के बीच तकनीकी साझेदारी में हागी वृद्धि

दोनों देशों ने भी अमेरिकी, भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय ऑटोमोटिव बाजारों के लिए सुरक्षित, संरक्षित और मजबूत आपूर्ति श्रृंखला बनाने के प्रयासों की सराहना की है। इसमें फोर्ड मोटर कंपनी द्वारा भारत के चेन्नई संयंत्र का उपयोग करके वैश्विक बाजारों में निर्यात करने के लिए दिए गए आशय पत्र (एलओआई) को शामिल किया गया है। इस तरह के सहयोग से न केवल दोनों देशों के बीच तकनीकी साझेदारी में वृद्धि होगी, बल्कि यह वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करने में सहायक सिद्ध होगा। भारत और अमेरिका का यह नया प्रयास दोनों देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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