नई दिल्ली : उद्योग जगत ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को अधिक कर्ज देने के लिए बैंकों को प्रोत्साहित करने की आरबीआई की पहल का स्वागत किया। उद्योगों का मानना है कि रिजर्व बैंक के इस कदम से एनबीएफसी में नकदी का संकट दूर करने में मदद मिलेगी। वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम की यहां जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि आरबीआई के इस कदम से यह भी संदेश जायेगा कि एनबीएफसी को लेकर हाल के घटनाक्रमों से किसी तरह की प्रणालीगत समस्या का संकेत नहीं है बल्कि यह केवल धारणा प्रभावित होने से जुड़ा मामला है जो कि एक बड़े एनबीएफसी के डिफाल्ट होने की वजह से प्रभावित हुई।
इन उपायों के तहत बैंक एनबीएफसी और एचएफसी को जितना अधिक कर्ज देंगे उन्हें उसी के बराबर अपने पास की सरकारी प्रतिभूतियों को रिजर्व बैंक के पास रख कर उसके आधार पर कर्ज लेने के लिए इस्तेमाल की छूट होगी। इससे बैंकों के पास कर्ज देने योग्य धन बढ़ सकता है और वे अधिक कर्ज सहायता देने की स्थिति में होंगे। यह सुविधा एनबीएफसी/ एचएफसी पर बैंकों के बकाया कर्ज के स्तर से ऊपर दिए गए कर्ज के लिए होगी और आगामी दिसंबर तक जारी रहेगी।
उम्मीद है कि इससे बैंकों के पास 50,000 से 60,000 करोड़ रुपये एनबीएफसी को ऋण के रूप में देने के लिए उपलब्ध हो सकेंगे। एसोचैम के मुताबिक दीर्घकालिक ऋण देने वाली वित्तीय कंपनियों जैसे कि हाउसिंग फाइनेंस कंपनीज और ढांचागत क्षेत्र को वित्तपोषण करने वाले एनबीएफसी के मामले में संपत्ति देनदारी असंतुलन अधिक मायने रखता है।