रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते कच्चे तेल की कीमतें बढ़ रही हैं। अगर ये 110 डॉलर प्रति बैरल के पार जाती हैं, तो इससे भारत की अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है।भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है। अगर कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हैं, तो भारत को अधिक तेल खरीदने के लिए अधिक पैसा खर्च करना होगा। इससे महंगाई बढ़ेगी और चालू खाते का घाटा बढ़ेगा।
मॉर्गन स्टैनली के मुताबिक, अगर कच्चे तेल की कीमतें 110 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचती हैं, तो इससे भारत की महंगाई दर 50 आधार अंक और चालू खाते का घाटा 30 आधार अंक बढ़ सकता है।इससे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को ब्याज दरें बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। RBI ने मई 2022 से अब तक छह बार ब्याज दरें बढ़ा दी हैं।
अगर कच्चे तेल की कीमतें 95 डॉलर प्रति बैरल के आसपास रहती हैं, तो RBI को ब्याज दरों में कटौती करने में आसानी होगी। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मई 2022 में ब्याज दरें बढ़ाना शुरू की थीं। तब से अब तक, RBI ने छह बार ब्याज दरें बढ़ा दी हैं। इससे रेपो रेट 4% से बढ़कर 6.5% हो गया है।
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