नई दिल्ली : पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ने के कारण केन्द्रीय संस्थानों में एक होड़ सी लग गई है कि किसी प्रकार दिल्ली के लोगों को दोषी ठहराया जाए। ऐसा लगता है जैसे कि सारी केन्द्रीय एजेंसियां पड़ोसी राज्य यूपी, हरियाणा और पंजाब में जलाई जा रही पराली से होने वाले प्रदूषण के बचाव में लग गई हैं। यह कहना है आप दिल्ली प्रदेश संयोजक और कैबिनेट मंत्री गोपाल राय का।
पार्टी मुख्यालय में शुक्रवार को एक प्रेसवार्ता के दौरान राय ने कहा कि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने कहा है कि पराली जलने से मात्र सात प्रतिशत प्रदूषण की बढ़ोतरी हुई है। इससे पहले सफर ने भी कुछ आंकड़े जारी कर कहा था कि पराली जलाने से मात्र एक प्रतिशत प्रदूषण की बढ़ोतरी हो रही है। भूरे लाल की कमेटी ने कहा था कि पराली जलाने से मात्र 10 प्रतिशत प्रदूषण हो रहा है।
गोपाल राय ने कहा कि अलग-अलग सरकारी संस्थान अलग-अलग डाटा प्रस्तुत कर रहे हैं। कोई कहता है कि एक प्रतिशत प्रदूषण पराली से हो रहा है, कोई कहता है सात प्रतिशत प्रदूषण पराली से होता है, कोई कह रहा है कि 10 प्रतिशत प्रदूषण पराली से हो रहा है। लेकिन आप पूछना चाहती है की इन सरकारी संस्थानों की रुचि दिल्ली की जनता को बढ़ रहे प्रदूषण से बचाने में है, या के फिर पड़ोसी राज्य हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलने से हो रहे प्रदूषण को रोक पाने में सरकार की नाकामियों को छुपाने में है?
गोपाल राय ने कहा कि सीपीसीबी से हमारा निवेदन है कि दिल्ली सरकार और दिल्ली की जनता यह जानना चाहती है कि दिल्ली में आज की तारीख में प्रदूषण की जो स्थिति है उसमें पराली के जलने से कितना प्रतिशत प्रदूषण हुआ, डस्ट की वजह से कितना प्रतिशत प्रदूषण हुआ, मोटर व्हीकल की वजह से कितना प्रतिशत प्रदूषण हुआ और अन्य चीजों के कारण कितना प्रतिशत प्रदूषण हुआ, उसका एक संपूर्ण निरीक्षण करके रिपोर्ट तैयार करें और दिल्ली की जनता के साथ उसको साझा किया जाए, उस रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए।
यह पहली बार नहीं है कि जब दिल्ली में बढ़ते हुए प्रदूषण के लिए सारी सरकारी एजेंसियां और भाजपा के नेता दिल्ली सरकार और जनता को दोषी ठहराने में लगे हुए हैं।