दिल्ली हाईकोर्ट ने एक रामलीला समिति को रामलीला और दशहरा मेला आयोजित करने के लिए जगह बुक करने की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने की अनुमति देने पर अधिकारियों के प्रति सख्त नाराजगी जाहिर की है। हाईकोर्ट ने कहा कि समिति ने शुरू में 43 दिन के लिए जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम के पास एक खुली जगह बुक की थी, जिसे बाद में घटाकर 23 दिन की कर दी। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उस अवधि के लिए कोई अन्य समिति स्थान बुक न कर सके।
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा……
आपको बता दें जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा, ''प्रतिवादी नंबर चार रामलीला समिति ने 26 सितंबर से 30 अक्टूबर, 2023 तक आयोजन स्थल को बुक करके और फिर बुकिंग की अवधि को 5 अक्टूबर से 28 अक्टूबर, 2023 तक, केवल 23 दिन में बदल कर प्रक्रिया का दुरुपयोग किया. इसका गुप्त उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि कोई अन्य समिति उस अवधि के लिए आयोजन स्थल बुक न कर सके.'' आगे उन्होंने कहा, ''दुर्भाग्य से सरकार ने प्रक्रिया को तथ्यात्मक रूप से मंजूरी दे दी और इस अनुचित तौर तरीके में शामिल हो गई.'' अदालत ने यह भी कहा कि प्रक्रिया को और भी बदतर बनाते हुए अधिकारियों ने बुकिंग के लिए समिति को रियायत भी दी.
प्राधिकारों को आयोजन स्थल बुक करने का निर्देश
हाईकोर्ट ने कहा कि वह मूकदर्शक बने नहीं रह सकता। रामलीला और दशहरा मेले में कई लोग आते हैं और विक्रेताओं द्वारा कई स्टॉल और अन्य सुविधाएं बुक की जाती हैं, जिसके लिए रामलीला समितियां शुल्क लेती हैं। हाईकोर्ट का यह आदेश एक अन्य रामलीला समिति-दक्षिणी दिल्ली धार्मिक रामलीला समिति की याचिका पर आया है, जिसने भारतीय खेल प्राधिकरण सहित अन्य प्राधिकारों को आयोजन स्थल बुक करने का निर्देश देने का अनुरोध किया।
अवधि के दौरान गतिविधियां अब केवल सामाजिक नहीं
न्यायाधीश ने कहा कि चूंकि रामलीला और दशहरा मेले की अवधि के दौरान गतिविधियां अब केवल सामाजिक नहीं रह गई हैं, बल्कि इसने व्यावसायिक रंग ले लिया है, इसलिए अदालत का मानना है कि समिति को उस अवधि के प्रत्येक दिन के लिए 2.25 लाख रुपये की पूरी राशि और 18 प्रतिशत की दर से माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का भुगतान करना चाहिए। बता दें कि अधिकारियों ने पहले इसे प्रति दिन 1.5 लाख रुपये की दर से बुकिंग की अनुमति देकर रियायत दी थी।