सूत्रों के अनुसार, बुधवार सुबह 7 बजे से जयपुर जाने वाली सात और लखनऊ जाने वाली एक उड़ान को डायवर्ट किया गया। बुधवार को दिल्ली के आसपास धुंध की मोटी परत देखी गई और वायु गुणवत्ता 361 पर पहुंच गई जिसे 'बहुत खराब' श्रेणी में रखा गया। स्थानीय लोगों ने सड़कों पर कम दृश्यता की शिकायत की है और उन्हें आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ भी हो रही है।
स्थानीय निवासी उपेंद्र सिंह ने कहा, "प्रदूषण बढ़ गया है और तापमान में भी गिरावट के साथ, हमें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सड़क पर बमुश्किल दृश्यता है और हमें आंखों में जलन, नाक बहना, सांस लेने में तकलीफ और खांसी भी हो रही है।" केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार सुबह 8 बजे आनंद विहार में AQI 399, पंजाबी बाग में 382 और अशोक विहार में 376 पर आ गया।
एक वरिष्ठ नागरिक ने शिकायत की कि प्रदूषण के कारण उन्हें और उनके नाती-नातिन को सांस लेने में दिक्कत और गले में दर्द हो रहा है। उन्होंने कहा, "हमें बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मैं एक वरिष्ठ नागरिक हूं। मेरे नाती-नातिन भी स्कूल जाते समय परेशानियों से जूझ रहे हैं। हमें सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन और गले में दर्द हो रहा है। इसके पीछे मुख्य कारण वाहनों का इस्तेमाल और पराली जलाना है। इस पर कुछ कार्रवाई की जानी चाहिए, सरकार बिना कुछ किए बैठी नहीं रह सकती।"
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत हर नागरिक का मौलिक अधिकार है और कोई भी धर्म प्रदूषण पैदा करने वाली किसी भी गतिविधि को प्रोत्साहित नहीं करता है। दिवाली के दौरान दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध को लागू करने में विफल रहने के लिए अधिकारियों से सवाल करते हुए जस्टिस अभय एस ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने आगे कहा कि अगर इस तरह से पटाखे जलाए जाते हैं, तो इससे नागरिकों के स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार पर भी असर पड़ता है।