दिल्ली

क्या दिल्ली के प्रदूषण में आएगी कमी, पर्यावरण मंत्री ने खुले में कचरा जलाने के खिलाफ शुरू किया अभियान

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बृहस्पतिवार को गाजीपुर लैंडफिल स्थल का निरीक्षण कर खुले में कचरे और जैव ईंधन को जलाने के खिलाफ एक महीना लंबा अभियान शुरू करते हुए पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) के अधिकारियों को आग नियंत्रण योजना तैयार करने का निर्देश दिया।

Desk Team
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बृहस्पतिवार को गाजीपुर लैंडफिल स्थल का निरीक्षण कर खुले में कचरे और जैव ईंधन को जलाने के खिलाफ एक महीना लंबा अभियान शुरू करते हुए पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) के अधिकारियों को आग नियंत्रण योजना तैयार करने का निर्देश दिया।
सरकार गाजीपुर लैंडफिल (कचरा निपटान स्थल) में 'पुराने कचरे' के संसाधित होने की 'धीमी गति' की समीक्षा करेगी। मंत्री ने कहा कि ढाई वर्ष में सिर्फ पांच फीसदी कचरे को संसाधित किया गया है। राय ने संवाददाताओं से कहा कि खुले में कचरे और जैव ईंधन को जलाने से रोकने के लिए अभियान की शुरुआत की गई है ताकि दिल्ली के भीतर के प्रदूषण के कारकों को कम किया जा सके। इस अभियान में डीपीसीसी, नगर निगम, राजस्व विभाग, दिल्ली विकास प्राधिकरण, विकास विभाग समेत कई विभाग शामिल हैं।
मंत्री ने बताया कि कुल 550 गश्त टीमों को तैनात किया गया है, जिनमें से 246 को रात में तैनात किया जाएगा। उन्होंने बताया कि धूल के खिलाफ दूसरे चरण का अभियान 12 नवंबर से 12 दिसंबर तक चलेगा। राय ने कहा कि ईडीएमसी के अधिकारियों के गाजीपुर लैंडफिल स्थल पर आग को नियंत्रित करने की योजना तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं क्योंकि यहां 'कई दिनों तक आग लगी रहती है और वायु प्रदूषण होता रहता है।'
उन्होंने कहा कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की हालिया रिपोर्ट के अनुसार ढाई साल में यहां केवल पांच प्रतिशत पुराने कचरे को संसाधित किया जा सका। मंत्री ने कहा कि इस दर से कार्य को पूरा करना मुश्किल है। ऐसा बताया गया कि इसे पूरा करने में 13 साल लगेंगे। यह बहुत धीमी गति है। इसके लिए ईडीएमसी को कार्य योजना तैयार करने की जरूरत है। राज्य सरकार भी इसके पीछे की वजह की समीक्षा करेगी।
दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में बृहस्पतिवार को प्रदूषण युक्त कोहरे की परत छाने से छठ पूजा के दौरान श्रद्धालुओं को सूर्य के दर्शन आंशिक रूप से ही हो पाए। शहर में मौसम संबंधी प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण एक बार फिर वायु गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच गई।
विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (सीएसई) ने कहा कि कोहरा एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति है। सीएसई की कार्यकारी निदेशक (अनुसंधान) अनुमिता रॉयचौधरी ने कहा, ''इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए उन मोर्चों पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है, जिससे प्रदूषण अधिक फैलता है जैसे वाहनों से, कुछ उद्योगों से, अपशिष्ट जलाने से….। वहीं, भवन निर्माण, सड़क जैसे धूल फैलाने वाले स्रोतों पर तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता है।''