गणतंत्र दिवस के अवसर पर अपनी मांगों के पक्ष में शक्ति प्रदर्शन के लिए किसानों द्वारा निकाली गयी ट्रैक्टर परेड में सिर्फ ट्रैक्टर ही नही बल्कि तमाम तरह के यातायात के साधन शामिल किये गये थे । इनमें घोड़ों से लेकर साईकिल, बाइक, तीन पहिया ऑटो, तमाम तरह की कारें, बस, ट्रक और यहां तक कि जेसीबी जैसी भारी मशीनें भी शामिल थीं।
पंजाब के होशियारपुर से आए 36 साल के निहाल सिंह का कहना है कि वह अपने दोस्तों के साथ सिंघू बॉर्डर तक तो पैदल आए थे और दिल्ली तक भी पैदल आने का ही ईरादा था, लेकिन थकान ज्यादा होने पर उन्होंने पूरे दिन के लिए ऑटो भाड़े पर ले लिया।
चारों दोस्तों ने एक दिन के लिए ऑटो चालक को 2,500 रुपये दिए और अपना खाना भी उसके साथ बांटकर खाया।
अपने माता-पिता को घर छोड़कर फरीदकोट से एक सप्ताह पहले ही सगे भाई सुखदेव सिंह और धरमिंदर सिंह आाए हैं।
धरमिंदर ने कहा, ''पापा नहीं चाहते थे कि हम जरा भी देरी से पहुंचें। सच्चा सिख कभी अपने फर्ज से पीछे नहीं हटता ।'' दोनों ई-रिक्शा चलाते हुए ट्रैक्टर परेड में शामिल हुए।
23 साल के सुखदेव का कहना है, ''ई-रिक्शा उस एनजीओ का है जिसके साथ हम काम करते हैं। यह चलने से थक गए लोगों को राहत पहुंचाने के लिए है।''
जेसीबी मशीन के चालक सीट पर बैठे सुरजीत संधू ने जब स्थानीय लोगों को अपनी ओर हाथ हिलाते देखा तो 'वी (विक्टरी)' का चिन्ह बनाया।
परेड में निहंग सिख योद्धा अपने परंपरागत लिबास में घोड़ों पर सवार होकर शामिल हुए। उनमें से एक ने कहा, ''घोड़े ही हमारे ट्रैक्टर हैं।''
कई युवा परेड के साथ-साथ रॉयल एनफिल्ड (बुलेट) पर सवार हो साथ-साथ चल रहे थे।