सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चिकित्सा आधार पर सत्येंद्र जैन की अंतरिम जमानत 25 सितंबर तक बढ़ा दी। मामला न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और बेला एम त्रिवेदी की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया, जिन्होंने अगली सुनवाई 25 सितंबर के लिए निर्धारित की। 21 जुलाई को जैन की सर्जरी हुई और चिकित्सा आधार पर जैन की अंतरिम जमानत समय-समय पर बढ़ाई जाती रही। शीर्ष अदालत ने 26 मई को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जैन को छह सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत दे दी थी, लेकिन कुछ शर्तें तय की थीं, जिसमें उन्हें मीडियाकर्मियों से बात करने या बिना अनुमति के दिल्ली छोड़ने पर रोक लगाना शामिल था।
चिकित्सा उपचार को लेकर हाई कोर्ट के फैसले को दी थी चुनौती
शीर्ष अदालत ने जैन को अपने चिकित्सा उपचार के लिए अपनी पसंद का कोई भी अस्पताल चुनने की अनुमति भी दी थी। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट कर दिया था कि अंतरिम जमानत पर केवल चिकित्सीय स्थितियों में ही विचार किया जा रहा है। जैन ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी जमानत याचिका खारिज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया। उनके वकील ने शीर्ष अदालत के समक्ष दलील दी थी कि उनका वजन 35 किलोग्राम कम हो गया है और वह सलाखों के पीछे 'कंकाल' में बदल गए है। 6 अप्रैल को जैन की जमानत याचिका खारिज करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि आवेदक एक प्रभावशाली व्यक्ति है और सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है।
मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में हुए थे गिरफ्तार
कई सुनवाइयों के बाद बचाव और अभियोजन पक्ष की दलीलें पूरी होने के बाद HC ने 21 मार्च को उन्हें जमानत देने का आदेश सुरक्षित रख लिया था। उच्च न्यायालय में बहस के दौरान, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश हुए और दलील दी कि जैन और अन्य सह-अभियुक्तों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप बिल्कुल स्पष्ट था।जैन ने अपनी जमानत याचिका में कहा, "मैं सात मौकों पर ईडी के सामने पेश हुआ। मैंने सहयोग किया है और जांच में भाग लिया है। मुझे 2022 में गिरफ्तार किया गया था।