दिल्ली

परीक्षा पे चर्चा में बोले PM-मार्क्स के पीछे न भागे, मेहनत करें मार्क्स खुद मिलेंगे

परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम की शुरुआत में पीएम मोदी ने समता पार्टी के संस्थापक और देश के पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस को याद किया।

Desk Team

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम 'परीक्षा पे चर्चा 2.0 ' कार्यक्रम में देश भर के विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं अभिभावकों से तनाव-रहित परीक्षा एवं संबंधित पहलुओं पर चर्चा कर रहे है। इस कार्यक्रम में देश-विदेश से भी विद्यार्थी, शिक्षक और अभिभावक मौजूद है। पीएम मोदी ने कार्यक्रम से पहले एक प्रदर्शनी में भाग लिया।

परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम की शुरुआत में पीएम मोदी ने समता पार्टी के संस्थापक और देश के पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस को याद किया। प्रधानमंत्री मोदी ने बच्चों से कहा, मैं किसी को उपदेश देने नहीं आया हूं। मैं यहां आपके जैसा, आपकी स्थिति वाला पल जीना चाहता हूं।

पीएम मोदी ने अभिभावकों की उम्मीदों पर बच्चों से कहा, 'परीक्षा का महत्व है, लेकिन हमें सोचना है कि यह जिंदगी की परीक्षा नहीं है तो हमारा भार कम हो जाएगा।'

जीवन में हर पल कसौटी जरूरी है, यह हमें कसती है। हमें नई ऊर्जा मिलती है। हमारी विधा सामने आने का मौका मिलता है पीएम मोदी ने कहा कुछ माता-पिता सोसायटी में बच्चों के रिपोर्ट कार्ड को अपना विजिटिंग कार्ड बनाकर ले जाते हैं। प्रेशर से स्थिति बिगड़ती है। निराशा में डूबा समाज किसी का भला नहीं कर सकता।

पीएम मोदी ने कहा, जिंदगी का मतलब ठहराव नहीं है, जिंदगी का मतलब ही होता है गति। लोग कहते हैं मोदी ने बहुत आकांक्षाएं जगा दी हैं, मैं चाहता हूं कि सवा सौ करोड़ देशवासियों की सवा सौ करोड़ आकांक्षाएं होनी चाहिए। मैं आकांक्षाओं को उजागर करना चाहिए, देश तभी चलता है। अपेक्षाओं के बोझ में दबना नहीं चाहिए।

हमें अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए अपने आपको सिद्ध करना चाहिए। निराशा में डूबा समाज, परिवार या व्यक्ति किसी का भला नहीं कर सकता है, आशा और अपेक्षा उर्ध्व गति के लिए अनिवार्य होती है।

पीएम मोदी ने कहा, प्रौद्योगिकी माता-पिता और बच्चों को जोड़ने में सहायक हो सकती है, माता-पिता को धीरे-धीरे बच्चों को सही तरीके से तकनीक का उपयोग करना सिखाना चाहिए, फिर बच्चे प्ले ग्राउंड के लिए प्लेस्टेशन छोड़ देंगे।

हमारी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए टेक का उपयोग किया जाना चाहिए। जो माता-पिता अपने बच्चों पर अपनी अधूरी इच्छाएं थोपने की कोशिश करते हैं, वे असफल होते हैं, उन्हें अपने बच्चों में क्षमता को पहचानने की कोशिश करनी चाहिए।

जीवन में कसौटी होनी आवश्यक है, क्योंकि कसौटी हमें कसती है और इससे हमें ऊर्जा प्राप्त होती है। अगर हम अपने आप को कसौटी के तराजू पर झोकेंगे नहीं तो ठहराव आ जाएगा और ठहराव जिंदगी नहीं हो सकती। क्योंकि जिंदगी का मतलब है गति, सपने, मेहनत।

मेरे लिए मेरे देशवासी मेरा परिवार है, इसलिए मैं थकान महसूस नहीं करता हूं। मैं सोता हूं तो अगले दिन के बारे में सोचता हूं बीते दिन के बारे में नहीं। हर सुबह नई उमंग और जोश के साथ उठता हूं।

लक्ष्य ऐसा होना चाहिए जो पहुंच में तो हो, पर पकड़ में न हो। जब हमारा लक्ष्य पकड़ में आएगा तो उसी से हमें नए लक्ष्य की प्रेरणा मिलेगी।

अपनी रूचि को जानें। आपका पैशन क्या है? इसे पहचानें। इस संबंध में आपने पहले कुछ किया है क्या? आपकी ताकत क्या है? समस्या आपका कंफ्यूज होना होती है।