दिल्ली

उच्चतम न्यायालय ने हरियाणा में जाट आरक्षण पर यथास्थिति कायम रखने के आदेश दिए 

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Desk Team

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के फैसले के कार्यान्वयन पर अगले आदेश तक यथास्थिति कायम रखने के आज आदेश दिए। उच्च न्यायालय ने हरियाणा में जाटों और पांच अन्य जातियों को दस फीसदी आरक्षण मुहैया कराने के कानून की संवैधानिक वैधता बरकरार रखी थी। याचिकाकर्ता सतवीर सिंह सैनी और अन्य की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता के. सुल्तान सिंह ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि पिछड़ा वर्ग आयोग आरक्षण के प्रतिशत पर अपनी रिपोर्ट31 मार्च को सौंपेगे जिसके बाद हरियाणा सरकार आदेश को लागू कर सकती है। उन्होंने इस पर स्थगन या यथास्थिति बनाए रखने की मांग की। गौरतलब है कि याचिकाकर्ताओं ने हरियाणा पिछड़ा वर्ग अधिनियम2016 का विरोध किया था। न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने कहा कि वह मामले पर सुनवाई करेगी और अगले आदेश तक यथास्थिति बनाए रखी जानी चाहिए। पीठ ने कहा, '' याचिकाकर्ताओं के वकील के आग्रह पर मामले को अगले हफ्ते के लिए सूचीबद्ध किया जाए। इस बीच यथास्थिति बनाए रखी जाए।''

हरियाणा विधानसभा ने29 मार्च2016 को हरियाणा पिछड़ा वर्ग( सेवाओं और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण) विधेयक2016 को सर्वसम्मति से पारित किया था। सरकार ने12 मई2016 को अपने सरकारी गजट में अधिनियम को अधिसूचित किया था। नये कानून में जाटों और पांच अन्य वर्गों को आरक्षण मुहैया कराया गया है जिनमें जाट सिख, बिश्नोई और त्यागी शामिल हैं। इन्हें नया पिछड़ा वर्ग( सी) श्रेणी का सृजन कर उसमें शामिल किया गया है। अधिनियम के मुताबिक, ये समुदाय सरकारी सेवाओं और शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन में दस फीसदी आरक्षण के हकदार होंगे। बहरहाल, 26 मई2016 को उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इन वर्गों के लिए आरक्षण पर रोक लगा दी थी। याचिका में हरियाणा पिछड़ा वर्ग( सेवाओं और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण) विधेयक2016 के अनुसूची तीन( खंड- सी) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी।

जनहित याचिका में मांग की गई कि यह विधेयक उच्चतम न्यायालय द्वारा इंदिरा साहनी मामले में बनाए गए कानून के खिलाफ है और इसे दरकिनार किया जाए। याचिका के मुताबिक नया विधेयक पारित होने से आरक्षण करीब70 फीसदी पहुंच गया है लेकिन उच्चतम न्यायालय द्वारा तय कानून के मुताबिक आरक्षण की सीमा50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकती है। उच्च न्यायालय ने एक सितम्बर2017 को कानून की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा था। हरियाणा में जाट समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर फरवरी2016 में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। आंदोलन में कई लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे।

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