जी 20 के बाद पीएम मोदी विशेष सत्र बलाने का फैसला कर चुके है जिसके बाद से ही विपक्षबीजेपी पर तंज कस रहा है। इन सबके बीच पीएम मोदी विशेष सत्र क्यों बुला रहे है औऱ इससे क्यो होता है इसके साथ ही कितनी बार ये सत्र बुलाया जा चुका है। इन सभी सवालों के बारे में बात करेंगे।
इस दिन को होगा स्पेशल सेशन
मोदी सरकार 18 सितंबर 2023 से संसद के विशेष सत्र का आयोजन कर रही है। यह सत्र 22 सितंबर तक चलेगा बुधवार 13 सितंबर 2023 को संसदीय कार्य मंत्रालय ने एक नॉटिफिकेशन जारी किया था जिसमें उन्होंने संसद के एजेंडे को देश के सामने रखा था. इस विशेष सत्र में सरकार आजादी के 75 साल पूरे होने जी20, चंद्रयान समेत आजादी के 75 साल पूरे होने पर चर्चा करेगी।
संसद में कितने सत्र तय किए गए थे
संसद के विशेष सत्र में अहम विधेयक पेश किए जाएंगे। इसलिए इसकी काफी चर्चा हो रही है। हमारे देश में संसद का सत्र बुलाए जाने को लेकर कोई संसदीय कैलेंडर नहीं है। आजाद भारत में 1955 में एक कमेटी जरूर बनी थी। इस कमेटी ने प्रस्ताव दिया था कि बजट सत्र 1 फरवरी से 7 मई तक, मानसून सत्र 15 जुलाई से 15 सितंबर तक और शीतकालीन सत्र 5 नवंबर से आयोजित किया जाए। हालांकि इस प्रस्ताव पर कभी भी किसी ने ध्यान नहीं दिया। हालांकि संविधान में कहा गया है कि संसद के दो सत्रों के बीच छह महीने से ज्यादा का गैप नहीं होना चाहिए. इसलिए अगर देखें तो भारत में संसद का सत्र तीन बार बुलाया जाता है।
विशेष सत्र की खासियत क्या है
वैसे संविधान में कहीं भी 'विशेष सत्र' का कोई जिक्र नहीं है लेकिन यह आमतौर पर अहम विधायी और राष्ट्रीय घटनाओं से जुड़ी स्थितियों में सरकार को राष्ट्रपति के आदेश से देश के सभी सांसदों को समन करने का अधिकार देता है। साथ ही इस सत्र में प्रश्नकाल को हटाया जा सकता है. अभी तक इस देश में इमरजेंसी के बाद संसद के सात विशेष सत्र बुलाए जा चुके हैं।
अब तक सात सत्र हुए आयोजित
पहला सत्र 1977 में तमिलनाडु और नगालैंड में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने के लिए विशेष सत्र आयोजित किया गया था। इसके बाद आखिरी सत्र 2015 में बुलाया गया था। जैसा की आप जानते है कि संसद का स्वरूप राष्ट्रपति से मिलकर बना होता है. हमारे संविधान के मुताबिक भारत के राष्ट्रपति इस देश के संवैधानिक प्रमुख हैं और संसद के महत्वपूर्ण घटक हैं संसद सत्र बुलाने का अधिकार संविधान का अनुच्छेद 85 के तहत दिया गया है।
सत्रो का इतिहास क्या है
सरकार के संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति की सलाह और फिर औपचारिक निवेदन के बाद भारत की राष्ट्रपति इसकी मंजूरी देती हैं। परंपरा के मुताबिक सरकार तीन सत्र आयोजित करती है जिसमें बजट सत्र, मानसून सत्र और शीतकालीन सत्र शामिल होते हैं।
1955 मे बनी कमेटी ने क्या कहा था
1955 मे बनी एक कमेटी ने संसद के सत्रो को लेकर प्रस्ताव रखा था। जिसमें कहा गया था बजट सत्र 1 फरवरी से 7 मई तक मानसून सत्र 15 जुलाई से 15 सितंबर तक और शीतकालीन सत्र 5 नवंबर से आयोजित किया जाए। वहीं संविधान में कहा गया है कि संसद के दो सत्रों के बीच छह महीने से ज्यादा का गैप नहीं होना चाहिए। इसलिए अगर देखें तो भारत में संसद का सत्र तीन बार बुलाया जाता है।