''युद्ध केवल युद्ध नहीं होता,
अंत में अधिक हिंसक, अधिक अमानवीय बन जाता है,
जिन्हें युद्ध चाहिए अंत में मारे जाते हैं,
जिन्हें युद्ध नहीं चाहिए अंत में वे भी मारे जाते हैं।
युद्ध के बाद कोई उम्मीद नहीं बचती,
शांति के लिए यदि युद्ध जरूरी है
तो ऐसी शांति भी अशांत है।''
युद्ध की स्थिति पर बहुत कुछ लिखा जाता रहा है और वर्तमान में दुनिया एक के बाद एक नई जंग देख रही है। इजराइल और हमास युद्ध तो चल ही रहा था, अब इजराइल और लेबनान में शुरू हुई लड़ाई में सैकड़ों लोगों की मौत का मातम मनाया जा रहा है। लेबनान के संगठन हिजबुल्लाह के युद्ध में कूदने के बाद इजराइल पर एक के बाद एक किए गए रॉकेट हमलों के बाद इजराइल द्वारा किए गए ताबड़तोड़ हमलों में 500 से ज्यादा लोग मारे गए हैं और 1700 के करीब लोग घायल हुए। हताहतों में बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं। पहले इजराइल ने लेबनान में हिजबुल्लाह के सदस्यों को निशाना बनाकर पेजर, वॉकी-टॉकी जैसे संचार उपकरणों में विस्फोट के जरिये हमले किए थे।
अक्तूबर 2023 में गाजा में युद्ध भड़कने के बाद इजराइल आैर हिजबुल्लाह के दरम्यान सीमा पार झड़पें तो हो रही थीं जो कि अब एक जंग में तब्दील हो चुकी हैं। इस जंग के चलते लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं। जंग से दुनिया में एक बार फिर शरणार्थी संकट पैदा होने का खतरा मंडराने लगा है। कोविड-19, आर्थिक मंदी और चार वर्ष पहले भी राजधानी बेरूत में हुए भीषण बम विस्फोटों के बाद एक बार फिर बहुत बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। ऐसा लगता है कि पिछले एक साल से गाजा में जिस तरह से मानवता कराह रही है उससे वैश्विक शक्तियों ने कोई सबक नहीं सीखा है। हिजबुल्लाह ने जिस तरह से इजराइल के भीतर सैकड़ों रॉकेट दागे इससे उनके हमलों की अंधाधुंध प्रवृति जाहिर होती है। जो कुछ इजराइल कर रहा है वह भी अमानवीय है। वह लेबनान को दूसरा गाजा बनाने को तैयार है। इजराइल किसी खतरे का इंतजार नहीं कर रहा, उसका मकसद उन गांव को खाली कराने का है जहां हिजबुल्लाह ने अपने बड़े हथियार छुपा रखे हैं। इजराइल लेबनानी लोगों को गांव खाली करने की चेतावनियां दे रहा है। फिलहाल इस जंग को रोकने के लिए कोई कूटनीतिक प्रयास नहीं हो रहे। अमेरिका के नेतृत्व में किए जा रहे प्रयास, गाजा में युद्ध विराम और इजराइली बंधकों की िरहाई के लिए बातचीत की कोशिशें भी आगे नहीं बढ़ी हैं। यह बराबरी की लड़ाई नहीं है।
इजराइल को मालूम है कि वह हिजबुल्लाह को हरा सकता है लेकिन दोनों ही पक्ष एक-दूसरे के विनाश और पीड़ा पहुंचाने में बहुत बड़ी क्षमता रखते हैं। जो कुछ भी हो रहा है वह कल्पना से परे है। संयुक्त राष्ट्र चीख-चीख कर कह रहा है कि लेबनान को नया गाजा बनाने के इजराइल के इरादों को रोका जाए। अन्तर्राष्ट्रीय मानवीय कानूनों का पालन किए जाने की उसकी पुकार सुनी जाए लेकिन कोई उसकी आवाज सुनने को तैयार नहीं है। इजराइल में अभी तक 60 हजार लोग विस्थापित हुए हैं। इजराइली हमलों के कारण लेबनान के दक्षिणी इलाके से लगभग 30 हजार से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। गाजा पट्टी में 19 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं, जो गाजा पट्टी की लगभग 90 प्रतिशत आबादी है। 2006 में भी इजराइल और लेबनान के बीच युद्ध लड़ा गया था। युद्ध के बाद दोनों देशों ने खुद को विजयी बताया था, परन्तु बाद में इजराइली पक्ष ने अपनी हार स्वीकार कर ली थी। इस युद्ध में हिजबुल्लाह ने इजराइल को पहली बार हार का स्वाद चखाया था। हिजबुल्लाह को ईरान का हर तरह से समर्थन प्राप्त है और उसकी सेना मध्य पूर्व की सबसे मजबूत और प्रशिक्षित सेना है। अब ईरान भी इजराइल से बदला लेने को तैयार बैठा है। ईरान कह रहा है कि पूरी दुनिया इजराइल के अत्याचार देख रही है। इजराइल ने 11 महीनों में हजारों मासूमों को निर्ममता से मारा है। उसने ईरानी वैज्ञानिकों, राजनयिकों और अतिथियों की भी हत्या की है। इजराइली सत्ता तंत्र के अपराधों और उपनिवेशवाद के पीड़ितों को ईरान अपना समर्थन दे रहा है। अगर ईरान इस युद्ध में सीधे कूद गया तो यह दुनिया विश्व युद्ध की ओर बढ़ सकती है। मध्यपूर्व का संकट किस दिशा में जाएगा, कुछ कहा नहीं जा सकता। जो भी कुछ हो रहा है उसे दुनिया सहन नहीं कर पाएगी। इजराइल-लेबनान युद्ध का भारत पर भी असर हो सकता है। हालांकि लेबनान इतना छोटा देश है जहां की अर्थव्यवस्था भारत के सामने कहीं नहीं टिकती। भारत पिछले कई वर्षों से लेबनान से कैल्शियम फॉसफेट खरीदता है, कैल्शियम फॉसफेट का सबसे ज्यादा इस्तेमाल दवाइयों में होता है। फर्टिलाइजर में भी अहम कम्पोनेंट कैल्शियम फॉसफेट ही होता है। लेबनान से भारत स्क्रैप आयरन, स्क्रैप एल्युमिनियम भी खरीदता है। इसलिए युद्ध का कुछ न कुछ असर भारत पर पड़ना स्वाभाविक है। युद्ध खत्म हो भी गया तो स्थितियां कितनी बदत्तर हो जाएंगी इसका अनुमान लगाना मुश्किल है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com