भारतीय राजनीति में बेहतरी का दौर आ गया है। चुनाव के फैसले का सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के व्यवहार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। जैसा कि चुनाव के बाद संसद के चल रहे पहले सत्र से पता चलता है, विपक्ष के शोर-शराबा और वॉकआउट के बावजूद संसदीय कार्यवाही में व्यवस्था की झलक लौटती दिख रही है। एक शब्द में, सरकार कम आक्रामक है और विपक्ष कम टकराववादी है।
त्रिशंकु चुनाव के फैसले का सबसे बड़ा सबूत बजट में देखने को मिल सकता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का रिकॉर्ड लगातार 7वां बजट बेरोजगार युवाओं की विशाल सेना के रोजगार और कौशल पर जोर देता है। हमारे युवाओं को, जो अच्छे प्रतिशत के साथ स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री का दिखावा करते हैं, कागज पर लिखे गए अंकों के लायक नहीं, उन्हें उत्पादक कार्यों में रोजगार योग्य बनाने की प्रेरणा बजट का मुख्य आकर्षण है। एक हजार औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) के उन्नयन के साथ-साथ पांच वर्षों में एक करोड़ युवाओं को कुशल बनाने के लिए दो लाख करोड़ रुपए का आंवटन हमारे वर्तमान लक्ष्यहीन शैक्षिक क्षेत्र को एक नई और व्यवसाय उन्मुख दिशा दे सकता है। हमारे युवाओं को रोजगार योग्य बनाने के उद्देश्य से पांच अलग-अलग योजनाएं बेरोजगारी की समस्या का समाधान करने के लिए शुरू हो सकती हैं।
5,000 रुपये मासिक वजीफे के साथ उद्योगों और व्यवसायों में सशुल्क इंटर्नशिप को बड़ी संख्या में बेरोजगारों को आकर्षित करना चाहिए। ऐसे इंटर्नशिप की पेशकश करने वाले व्यवसायों को पर्याप्त रूप से प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, उन्हें इंटर्नशिप योजना पर अपने कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व निधि का एक हिस्सा खर्च करने की अनुमति दी जानी चाहिए। सरकार को उन्हें इंटर्नशिप प्रोग्राम का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित करना होगा। यह स्पष्ट है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा के 272 के जादुई आंकड़े से पीछे रह जाने का एक कारण बेरोजगारी था, खासकर शहरी युवाओं के बीच।
चुनाव के बाद पहला बजट इसे महत्वपूर्ण तरीके से सामंजस्य करने का प्रयास करता है। निसंदेह बजट में पूंजीगत व्यय के लिए 11.1 लाख करोड़ या जीडीपी का 3.4 फीसदी यह तो दर्शाता है कि मोदी सरकार उन्नत ग्रामीण बुनियादी ढांचे सहित सार्वजनिक ढांचागत विकास पर ध्यान केंद्रित रखेगी। पर बेरोजगार युवाओं को कुशलता प्रदान करने के लिए कार्य कर रहे निजी क्षेत्रों को भी पर्याप्त रूप से प्रोत्साहन की जरूरत है। नए स्टार्ट-अप पर एंजेल टैक्स हटाना भी बाजार की धारणा के लिए सकारात्मक है। सोने और चांदी पर सीमा शुल्क में कटौती से उनकी कीमतों में लगातार वृद्धि को रोकने और तस्करी को कम करने में मदद मिलेगी। हालांकि बजट से मध्यम वर्ग ज्यादा खुश नहीं नजर आ रहा है। क्योंकि बजट में मुद्रास्फीति के प्रभाव को कम करने के लिए आयकर स्लैब और छूट सीमा के साथ मामूली छेड़छाड़ को छोड़ दें तो इस वर्ग को इमसें इसके अलावा कुछ भी नजर नहीं आ रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि रुपये कमाने वालों के लिए 30 प्रतिशत का उच्चतम स्लैब 15 लाख या उससे अधिक अभी भी अपरिवर्तित है। वहीं बिहार के सीएम नीतीश कुमार को बाढ़ से राहत और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए विशेष वित्तीय पैकेज तो मिल गया है हालांकि विपक्ष से यही उम्मीद संभव थी।
दूसरी तरफ कांग्रेस ने विशेष रूप से कौशल योजना का जिक्र करते हुए कहा कि सीतारमण उसके घोषणापत्र से प्रेरित हैं, इसलिए बजट में यह साफ नजर आता है। ऐसे में कांग्रेस को खुश होना चाहिए न की शिकायत करनी चाहिए। वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस बजट 'कुर्सी बचाओ बजट' कहा है लेकिन हमने कहीं भी ऐसी सरकार नहीं देखी जो अपने लिए खुद कब्र खोदे।
– वीरेंद्र कपूर