संपादकीय

उप्र में नए राजनीतिक समीकरण की सुगबुगाहट

Shera Rajput

रालोद के सपा से नाता तोड़ने के बाद पल्लवी पटेल, स्वामी प्रसाद मौर्य समेत सभी की अखिलेश यादव से नाराजगी शांत होने का नाम नहीं ले रही है। सत्ता के गलियारों में सुगबुगाहट है कि उत्तर प्रदेश में नया समीकरण बनता दिख रहा है, उम्मीद है कि कांग्रेस, बसपा, अपना दल (कमेरवादी) और स्वामी प्रसाद मौर्य एक गठबंधन में आगे आएंगे और उत्तर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ लड़ेंगे। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस नेता मायावती, पल्लवी और मौर्य के संपर्क में हैं, हालांकि मायावती घोषणा कर चुकी हैं कि उनकी पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी।
कांग्रेस का मानना ​​है कि बसपा के साथ गठबंधन करने से दलित वोट पर पकड़ मजबूत करने में मदद मिलेगी, साथ ही यह भी सुनिश्चित होगा कि मुस्लिम वोट कई तरह से विभाजित न हो। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना ​​है कि 'बसपा, अपना दल (कमेरवादी) मौर्य और कांग्रेस के एक साथ आने की किसी भी संभावना से 2024 के संसदीय चुनावों से पहले नई राजनीतिक व्यवस्था सामने आने की उम्मीद है।'
राहुल की इंडिया गठबंधन को बचाने की कवायद
आम आदमी पार्टी (आप) ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला है कि वह दिल्ली या पंजाब में कांग्रेस के साथ किसी भी गठबंधन की उम्मीद नहीं कर रही है। जहां दोनों पार्टियां पंजाब में अलग-अलग लड़ने पर सहमत हुई हैं, वहीं दिल्ली में चार-तीन सीटों पर समझौता होने की संभावना है। लेकिन आप ने कांग्रेस के बारे में कहा कि दिल्ली में उसकी कोई ताकत नहीं है और उसके लिए एक सीट काफी होनी चाहिए। भाजपा विरोधी वोटों का बंटवारा अब अपरिहार्य लग रहा है।
राहुल गांधी के करीबी सहयोगी और कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अजय माकन यकीनन राजधानी से लोकसभा के लिए सबसे मजबूत कांग्रेस उम्मीदवार थे, लेकिन माकन राज्यसभा विकल्प लेने के लिए उत्सुक हैं, ऐसे में दिल्ली में कांग्रेस के आत्मविश्वास की कमी फिर से उजागर हो गई है। दूसरी ओर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गठबंधन की बातचीत को पटरी पर लाने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को फोन किया। सूत्रों के अनुसार, राहुल ने इस मामले में हस्तक्षेप किया, क्योंकि उन्हें लगा कि आप की नाराजगी इंडिया गठबंधन को पटरी से उतार देगी, जो पहले से ही जद (यू) और आरएलडी के पाला बदल लेने से संकट में है। उधर, तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने घोषणा की कि उनकी पार्टी पश्चिम बंगाल की सभी 42 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। माना जाता है कि राहुल ने केजरीवाल से कहा कि चर्चा जारी रहनी चाहिए और दोनों पक्षों को उदार होने की जरूरत है।
सीएम मोहन के जरिए यादवों पर नजर
इस साल अप्रैल-मई में होने वाले संसदीय चुनावों से पहले भाजपा ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को उत्तर प्रदेश में 'यादव' बहुल लोकसभा सीटों पर तैनात करने का फैसला किया है। 'यादव' समुदाय तक भगवा पार्टी की पहुंच बढ़ाने के लिए इस कड़ी में एमपी के सीएम ने आज़मगढ़ में भाजपा पदाधिकारियों के साथ एक बैठक की। आजमगढ़ समाजवादी पार्टी का गढ़ है और विधानसभा में जाने के लिए इस्तीफा देने से पहले पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव लोकसभा में इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। मोहन यादव राज्य के अन्य यादव बहुल लोकसभा क्षेत्रों जैसे मैनपुरी, फिरोजाबाद, कन्नौज और फर्रुखाबाद का दौरा भी करेंगे। उनकी योजना में यादव समुदाय के मतदाताओं को लुभाने के उद्देश्य से वहां बैठकें करना शामिल है। राज्य में बीजेपी नेतृत्व का मानना ​​है कि यूपी में यादव बहुल सीटों पर मोहन यादव को तैनात करने से सपा के पारंपरिक वोट बैंक की ताकत कम हो सकती है।
किसानों को लुभाने के लिए कांग्रेस का दांव
लोकसभा चुनावों से पहले, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि अगर सबसे पुरानी पार्टी सत्ता में आती है, तो कांग्रेस प्रत्येक किसान को कानूनी गारंटी देगी कि उन्हें स्वामीनाथन आयोग के अनुसार उनकी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिलेगा। हालांकि राहुल की घोषणा से पहले कांग्रेस एमएसपी के वादे को अपने चुनावी घोषणापत्र का हिस्सा बनाने की योजना बना रही थी। छत्तीसगढ़ के अंबिकपुर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सम्मेलन को संबोधित करते हुए मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने कहा कि पार्टी की सरकार एमएसपी की गारंटी वाले कानून के साथ ही किसानों की सभी मांगें स्वीकार करेगी।
नरेंद्र मोदी सरकार के 'विश्वासघात और दमन' पर दुख व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी सरकार आने पर स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को पूर्ण रूप से लागू किया जाएगा। गौरतलब है कि प्रदर्शनकारी किसान ऐसा कानून चाहते हैं, जो हर फसल पर एमएसपी की गारंटी दे। हालांकि, वैश्विक कीमतें, खरीद के लिए सरकार पर दबाव, निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता और केंद्रीय व्यय कुछ ऐसी वजहें हैं, जिनके कारण भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार किसानों की जरूरतों पर सहमत होने में झिझक रही है। किसान एमएसपी के अलावा स्वामीनाथन रिपोर्ट को पारित करने की मांग कर रहे हैं।
सपा के पीडीए पर उठाए सवाल
समाजवादी पार्टी (सपा) और उसके सहयोगी अपना दल (कामेरवादी) के बीच दरारें तब और अधिक बढ़ गईं, जब समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव का पद छोड़ने की घोषणा की। पल्लवी पटेल ने कहा कि वह सपा के राज्यसभा उम्मीदवारों का विरोध करेंगी। पल्लवी ने समाजवादी पार्टी के राज्यसभा उम्मीदवारों के बीच पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) की अनुपस्थिति पर सवाल उठाया।
उन्होंने कहा-बच्चन और रंजन में पीडीए कहां है? जबकि सपा ने उत्तर प्रदेश से राज्यसभा की तीन सीटों के लिए पूर्व सांसद रामजी लाल सुमन, सेवानिवृत्त (आईएएस) के अधिकारी आलोक रंजन की उम्मीदवारी की घोषणा की और जया बच्चन को फिर से राज्यसभा के लिए नामांकित किया। 403 सदस्यीय उत्तर प्रदेश विधानसभा में 108 सदस्यों वाली सपा आसानी से यह सुनिश्चित कर सकती है कि उसके तीन सदस्य राज्यसभा चुनाव में जीत हासिल करें।

– राहिल नोरा चोपड़ा