संपादकीय

‘गाजा’ की चुनौती और ‘बाइडेन’

Aditya Chopra

पश्चिम एशिया में फिलिस्तीनी गाजा में जिस तरह के हालात बनते जा रहे हैं उनसे अब वैश्विक स्तर पर दुनिया के विभिन्न देशों के बीच भी रंजिश बढ़ने का खतरा पैदा होता जा रहा है। गाजा में गत रात्रि जिस तरह इजरायली हमले के दौरान एक अस्पताल पर राकेट गिरने से 500 निरीह बीमार स्त्री-पुरुषों व बच्चों की जान गई है उसने मानवीय त्रासदी को जन्म देकर जारी युद्ध को 'युद्ध अपराध' की श्रेणी में रख दिया है। हालांकि इजरायल कह रहा है कि अस्पताल पर उसकी तरफ से छोड़े गये राकेटों ने हमला नहीं किया बल्कि ये राकेट हमास के ही थे जो निशाना चूक गये थे जबकि हमास का कहना है कि यह काम इजरायली सेना का ही है। विगत 7 अक्तूबर को इजरायल पर हमास ने जो हमला किया था उसमें 1300 से ज्यादा इजरायली नागरिकों की मृत्यु हुई और हमास ने दो सौ नागरिकों को बन्धक भी बनाया। इसके जवाब में इजरायली सेना ने जवाबी हमला गाजा क्षेत्र में किया जिसमें अभी तक तीन हजार लोग हलाक हो चुके हैं। इजरायल ने हमास के आतंकवादी हमले का बदला लेने के लिए पूरे गाजा क्षेत्र को अपने निशाने पर लिया और इसमें भी उत्तरी गाजा के इलाकों को जहां हमास अपने लाव-लश्कर के साथ सक्रिय है।
इजरायल के प्रधानमन्त्री एलानिया तौर पर हमास को सबक सिखाने के लिए उत्तरी गाजा के लोगों से कह रहे हैं कि वे इस इलाके को खाली करके दक्षिणी गाजा की तरफ चले जायें क्योंकि इजरायली फौजें अपने टैंकों पर सवार होकर हमास को नेस्तानाबूद करेंगी। इस हिंसा के चक्र के चलने के बाद गाजा के निहत्थे नागरिक बेघर-बार हो रहे हैं और उनकी जान की बाजी लगा कर इजरायल व हमास अपना बदला ले रहे हैं। इजरायल ने उत्तरी गाजा के 11 लाख नागरिकों का बिजली, पानी, रसद व ईंधन बन्द कर दिया है जिसकी वजह से इस क्षेत्र में मानवीय संकट बढ़ता जा रहा है। इसके साथ ही इजरायल विश्व संगठनों द्वारा गाजा के लोगों को भेजी जा रही मदद सामग्री को गाजा में प्रवेश भी नहीं दे रहा है जिसकी वजह से मानव अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्थाओं की चिन्ता बढ़ती जा रही है। इसके समानान्तर इजरायल ने सीरिया के दो हवाई अड्डों पर हमला करके उसे युद्ध से दूर रहने की चेतावनी दे दी है परन्तु इसकी सीमा से लगे दूसरे देश लेबनान में सक्रिय हिजबुल्लाह संगठन ने इजरायल पर राकेट दागे हैं जिसका जवाब इजरायल ने भी दिया है। साथ ही ईरान घोषणा कर रहा है कि इजरायल गाजा की जनता पर जुल्म करने से बाज आये वरना उसके परिणाम भयंकर होंगे।
पिछले चार दिनों में उत्तरी गाजा के छह लाख लोग दक्षिण की ओर कूच कर गये हैं और इस मानवीय त्राजली के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन इजरायल पहुंचे हैं। अमेरिका ने पहले ही दिन घोषणा कर दी थी कि वह हमास के हमले से जख्मी हुए इजरायल के साथ डट कर खड़ा हुआ है। उसने अपने दो जंगी जहाजी बेड़ों को भी इलाके के भूमध्यसागर में तैनात कर दिया और लड़ाकू विमानों को भी इजरायल की मदद के लिए तैयार कर दिया। अब सवाल यह है कि इस युद्ध में सामान्य नागरिकों की मृत्यु को रोकने के लिए क्या किया जाये? यह युद्ध अन्तर्राष्ट्रीय नियमों के तहत नहीं लड़ा जा रहा है और अस्पताल तक इसकी जद में आ रहे हैं। गाजा में बस्तियों की बस्तियां जमीदोज हो रही हैं और लोग रोटी-पानी व इलाज के लिए तरस रहे हैं। अतः सबसे पहले बाइडेन साहब को यह देखना होगा कि युद्ध को मानवीय संकट खड़ा करने से रोका जाये और बदला केवल हमास व इजरायली फौज के बीच ही हो। यह भी समझने की जरूरत है कि इजरायल व फिलिस्तीन की समस्या की जड़ में कोई धार्मिक मसला नहीं है बल्कि जमीन के मालिकाना हुकूक की समस्या है क्योंकि अरब फिलिस्तीनी जमीन पर ही 1948 में एक अलग स्वतन्त्र देश बनाया गया था जिसे 'इजरायल' कहा गया। भारत ने इसे 1950 में मान्यता प्रदान की और 1992 में इसके साथ राजनयिक सम्बन्ध स्थापित किये। भारत दुनिया भर में शस्त्रों की होड़ के खिलाफ और विश्व शान्ति का पक्षधर रहा। भारत मानता है कि हर देश को अपनी रक्षा करने का अधिकार है मगर किसी भी देश के लोगों का अपनी जमीन पर भी अधिकार होता है। इसी वजह से यह एक स्वतन्त्र व संप्रभु फिलिस्तीन राष्ट्र के हक में शुरू से ही रहा है। प्रधानमन्त्री श्री मोदी का ताजा हालत पर यह कहना कि मानवीय हितों का संरक्षण हर हाल में किया जाना चाहिए बताता है कि भारत हर मसले का शान्तिपूर्ण ढंग से हल चाहता है परन्तु यह समय है कि अमेरिका समेत सभी पश्चिमी देशों को इस क्षेत्र में शान्ति बनाये रखने के लिए अपने सद प्रयास करने चाहिए और किसी स्थायी हल की तरफ चलना चाहिए। क्योंकि राष्ट्रपति बाइडेन के साथ जार्डन, मिस्र व फिलिस्तीनी प्रमुखों ने अपनी बैठक को स्थगित कर दिया है।