संपादकीय

कोचिंग सेंटर हादसे होने ही नहीं चाहिए

Shera Rajput

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के राजेंद्र नगर इलाके में कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भर जाने से यूपीएससी उम्मीदवारों की मौत के मामले में स्वतः संज्ञान लिया। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने सुरक्षा मानदंडों को सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों पर दिल्ली और भारत सरकार से जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि यह घटना एक आंख खोलने वाली घटना है। किसी भी संस्थान को सुरक्षा मानदंडों का पालन किए बिना संचालित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। ये जगहें (कोचिंग सेंटर) मौत के चैंबर बन गए हैं। कोचिंग संस्थान ऑनलाइन काम कर सकते हैं जब तक कि सुरक्षा मानदंडों और जीवन के लिए बुनियादी मानदंडों का पूरी तरह से पालन न हो। दिल्ली के राजेंद्र नगर में तीन छात्रों की मौत से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। जो युवा सुनहरे भविष्य के लिए दिल्ली गये थे, उन्हें क्या पता था कि भ्रष्ट व्यवस्था और लालची व्यवस्थापकों की मिलीभगत उनकी जान ले लेगी।
तीन युवा छात्रों की पानी के तेज बहाव में, एक इमारत के बेसमेंट में फंस कर, मौत हो गई। यह आपदा या हादसा नहीं, हत्याकांड है। उस इमारत में आईएएस की कोचिंग देने वाला प्रख्यात केंद्र चलता है, जिसके बड़े-बड़े विज्ञापन अखबारों में छपते हैं और युवा छात्रों को आकर्षित करते रहे हैं। यह केंद्र कोचिंग देने की फीस लाखों में लेता है, लेकिन सुविधा और सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। उस इमारत के बेसमेंट में लाइब्रेरी बनाई गई है, जो कानूनन अवैध है। जो छात्र बच गए हैं, उनकी नियति ही ऐसी थी, अलबत्ता पानी का बहाव किसी बाढ़ से कम नहीं था। वहां इतना तेज पानी कैसे घुसा? इसी सवाल के गर्भ में तमाम भ्रष्टाचार और कदाचार निहित हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय के पास मुखर्जी नगर की वह घटना आज भी याद आती है, जब आग से बचने के लिए युवा छात्रों ने खिड़कियों से ही छलांग लगा दी थी अथवा किसी रस्सी के सहारे, जलते हुए कमरे से, बाहर कूद पाए थे। कुछ मौतें भी हुई थीं। वहां भी आईएएस, आईपीएस बनने का सपना पाले युवा छात्र पढ़ते हैं। वहां भी बंद प्राय कोचिंग सेंटर में आग लगी थी। राजेंद्र नगर के दुखद हादसे 4-5 दिन पहले दिल्ली के पटेल नगर में एक युवा करंट की चपेट में आकर मारा गया। वह भी आईएएस की तैयारी कर रहा था।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आईएएस कोचिंग सरीखे 550 से अधिक केंद्र दिल्ली में चल रहे हैं, जिनमें से 60-65 ही पूरी तरह 'वैध' हैं। अधिकतर इमारतों में अग्नि-सुरक्षा के न तो बंदोबस्त हैं और न ही प्रमाणपत्र हैं। उनका कोई क्या बिगाड़ सकता है, क्योंकि ऊपर से नीचे तक सब मामला सेट है। इन हादसों के बाद अब प्रशासन ने इमारतों के ऑडिट करने का फैसला लिया है। उससे भी क्या होगा, क्योंकि प्रशासन ने ही आंखें मूंदी हुई हैं, कान भी बंद कर रखे हैं, संज्ञान पर सन्नाटा छाया है। दिल्ली में हादसे के बाद देश के अन्य राज्यों में भी कोचिंग सेंटरों पर छापेमारी और कानून कार्रवाई जारी है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लखनऊ विकास प्राधिकरण 107 प्रतिष्ठानों की जांच की, जिसमें 20 अवैध बेसमेंट में चल रहे कोचिंग सेंटरों और लाइब्रेरियों को सील कर दिया गया। लखनऊ में अवैध बेसमेंट में चल रहे कोचिंग सेंटरों और लाइब्रेरी पर कार्रवाई शुरू हुई है। हालांकि, शहर में करीब 2000 अवैध बेसमेंट वाली इमारतों पर कार्रवाई कब होगी, यह सवाल अब भी बना हुआ है। एलडीए के मुताबिक, नक्शा स्वीकृत कराए बिना और पास कराए नक्शे के सापेक्ष निर्माण न करना अवैध की श्रेणी में आता है। हजरतगंज, अमीनाबाद, तेलीबाग, चौक, आलमबाग और गोमती नगर की इन अवैध इमारतों में पार्किंग की जगह बेसमेंट बनाकर कमाई की जा रही है। लखनऊ के अलावा प्रयागराज, वाराणसी, कानपुर, आगरा व अन्य नगरों में भी अवैध तरीके से बेसमेंट में चल रही कोचिंग को सील किया गया है।
राजस्थान की कोचिंग मंडी कहे जाने वाले कोटा में प्रशासन सतर्क हो गया है। मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने भी कोचिंग एरिया में सुरक्षा व्यवस्थाओं को पुख्ता करने के निर्देश दिए हैं। कोटा के स्थानीय प्रशासन ने बेसमेंट में चल रही 13 लाइब्रेरी को बंद करने का आदेश दिल्ली की घटना के बाद दिया है। साथ ही लाइब्रेरी मालिकों को हिदायत दी गई है कि अगर आदेश का उल्लंघन किया गया तो लाइब्रेरी को सील कर दिया जाएगा।
दिल्ली में हुए कोचिंग हादसे के बाद जयपुर में भी ग्रेटर निगम और पुलिस प्रशासन अलर्ट मोड पर आ गया है। स्थानीय प्रशासन ने गुलाबी नगरी जयपुर शहर में संचालित कोचिंग संस्थानों को सख्त निर्देश दिए कि सुरक्षा मानकों में किसी प्रकार की लापरवाही एवं कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बीते दिनों जयपुर में 438 कोचिंग संस्थानों एवं लाइब्रेरियों का पुलिस द्वारा निरीक्षण कर जांच की गई। जांच में 65 संस्थानों में सुरक्षा मानकों की अनियमितता पाई गई, जिसमें 31 संस्थानों को नोटिस देने एवं 38 संस्थानों के सील की कार्रवाई की गई।
पहाड़ी राज्य उत्तराखंड की सरकार ने भी कोचिंग सेंटर्स के लिए कड़े निर्देश जारी किए हैं। कमोबेश हर राज्य ने दिल्ली की घटना के बाद छात्रों की सुरक्षा को लेकर संवेदनशीलता दिखाई है। असल बात यह है कि ये संवेदनशीलता किसी घटना के घट जाने के बाद ही नहीं, हमेशा दिखाने की जरूरत है। स्थानीय प्रशासन को समय-समय पर कोचिंग संस्थानों की जांच करती करते रहना चाहिए। दिल्ली में घटी घटना या फिर अन्य प्रदेशों में कोचिंग सेंटर में घटी ऐसी ही दुखद घटनाओं में कोचिंग संचालकों के साथ ही साथ व्यवस्था में शामिल अधिकारियों और कर्मचारियेां की जवाबदेही तो तय होनी ही चाहिए, वहीं ऐसे लापरवाह, कानून के पालन में कोताही बरतने वाले और असंवेदनशील अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ उचित कानून एवं प्रशासनिक कार्रवाई भी होनी चाहिए। स्थानीय पुलिस और प्रशासन को हर छोटी बड़ी गतिविधि की जानकारी रहती है। लेकिन कोचिंग संचालकों की ऊंची पहुंच और भ्रष्ट व्यवस्था के चलते अवैध गतिविधियां धड़ल्ले से जारी रहती हैं और किसी घटना के बाद प्रशासन गहरी नींद से जागता है।
दिल्ली में हुए हादसे के बारे में उपराज्यपाल और केजरीवाल सरकार, दोनों को इस विषय के बारे में गंभीरता से सोचना होगा। दिल्ली के अलावा देश के अन्य राज्यों में भी ऐसी घटनाएं न होना, उसके लिए जरूरी उपाय और निर्णय करने होंगे। छात्रों के लिए सुरक्षित माहौल उपलब्ध करवाना सरकार और स्थानीय प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी है। ऐसे हादसे दोबारा न हों, इसके लिए कारगर व्यवस्था करनी होगी। आखिरकार यहां सवाल देश के भविष्य का है।

– राजेश माहेश्वरी