संपादकीय

विदेश मंत्री की दो टूक

Aditya Chopra

अमेरिका के कैलिफोर्निया में एक हिन्दू मंदिर पर फिर हमला हुआ। हमलावरों ने मंदिर की दीवारों पर भारत विरोधी नारे लिखकर उसे गंदा किया है। यह हमला तब हुआ है जब अमेरिका की एक सरकारी एजैंसी ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर जहर उगला था। अमेरिका धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर दूसरे देशों को ज्ञान तो देता है लेकिन उसके यहां खुद क्या होता है, इस पर वह आइना नहीं देखता। इस घटना से भारतीय समुदाय की भावनाएं आहत हुई हैं। सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई तस्वीरों में दिखाई दे रहा है कि खालिस्तान शब्द के साथ अन्य आपत्तिजनक नारे मंदिर के बाहर एक साइन पोस्ट पर स्प्रे पेंट किया गया है। अमेरिका में हिन्दू मंदिरों पर हमले पहले भी हो चुके हैं। इससे पहले भी खालिस्तानी तत्व ऐसी हरकतें कर चुके हैं। अमेरिका के अलावा कनाडा, यूके और आस्ट्रेलिया में भी इस तरह की घटनाएं होती रही हैं। अमेरिका की संस्था यूएस कमीशन फॉर इंटरनैशनल रिलि​िजयस फ्रीडम ने अमेरिकी धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत भारत को 'विशेष चिंता का देश' नामित करने की मांग की थी। अमेरिका के हिन्दू मंदिर पर हमले के बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि भारत अब थप्पड़ खाकर किसी के आगे अपना दूसरा गाल नहीं बढ़ाएगा। पिछले 10 वर्षों में भारत बहुत बदल चुका है और अब ईंट का जवाब पत्थर से देने की नीति से आगे बढ़ रहा है। अगर कोई सीमा पर आतंकवाद कर रहा है तो जवाब देना ही होगा।
उन्होंने कहा है कि भारत के बाहर अलगाववादी ताकतों को जगह नहीं मिलनी चाहिए। भारतीय दूतावास ने वहां की सरकार और पुलिस को शिकायत की है। अमेरिकी जांच एजैंसियों के सामने तत्काल जांच करने और तोड़फोड़ करने वाले खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए दबाव बनाया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर के इस बयान का व्यापक अर्थ है। उन्होंने अमेरिका को दो टूक शब्दों में जवाब दे ​िदया है। आस्ट्रेलिया में पहले भी कई बार ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं। दो महीने पहले भी खालिस्तानियों ने हिन्दू मंदिर को निशाना बनाया था। उन्होंने श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर पर हमला किया था। इस दौरान मंदिर की दीवार को नुक्सान पहुंचाया था। वहीं इस वर्ष जनवरी में तीन हिन्दू मंदिरों को मेलबर्न में निशाना बनाया गया था। इस दौरान खालिस्तानी समर्थकों की ओर से नारे लिखे गए थे। गौरतलब है कि मंदिरों पर हमले को लेकर भारत की ओर से विरोध जताया जा चुका है। आस्ट्रेलिया की सरकार से मामले में तुरंत कार्रवाई की मांग की गई थी।
यद्यपि अमेरिकी पुलिस इस मामले की जांच कर रही है और घृणा अपराध के ऐंगल से भी इस मामले को देखा जा रहा है। इन घटनाओं से अमेरिका में रह रहे हिन्दू खुद को काफी आहत महसूस कर रहे हैं। कनाडा भारत पर खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारतीय एजैंटों के शामिल होने के अनर्गल आरोप तो लगा ही रहा था। उसके बाद अमेरिका के न्याय विभाग ने खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश में भारतीय अधिकारी की भूमिका का आरोप लगाया। भारत ने हमेशा कहा है कि विदेशों में रह रहे भारत विरोधी तत्वों से निपटने का ऐसा तरीका उसकी आधिकारिक नीतियों में शामिल नहीं है। यह अजीब बात है कि अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया आदि अनेक देश वहां रहकर भारत के विरुद्ध षड्यंत्र रचने और देश को अस्थिर करने का प्रयास करने वाले संगठनों और अलगाववादियों को नियंत्रित करने के लिए कुछ नहीं करते। इन प्रकरणों के बाद भी पन्नू ने अनेक बार खुलेआम भारतीय विमानों में विस्फोट करने की धमकी दी है। हाल के समय में पश्चिमी देशों में खालिस्तानी गिरोहों की सक्रियता बढ़ी है और उन्होंने भारतीय दूतावासों को भी नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया है, ये संगठन उन देशों में रह रहे भारतीय समुदाय के बीच फूट डालने में भी लगे हुए हैं। पश्चिम में बसे भारतीय मूल के लोग तथा वहां कार्यरत भारतीय उन देशों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, वहां उन्हें सम्मान के साथ देखा जाता है।
अलगाववादी तत्व भारतीयों की छवि को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं तथा उन देशों के लिए भी खतरा बन रहे हैं। पश्चिमी देशों को भारत पर निराधार आरोप लगाने के बजाय ऐसे तत्वों पर लगाम लगानी चाहिए, ये गिरोह हवाला, नशे और हथियारों के आपराधिक कारोबार में लिप्त हैं, जो भारत के लिए ही नहीं, पश्चिमी देशों के लिए भी गंभीर समस्या है। अमेरिका समेत उन सभी देशों को इस बारे में पूरी जानकारी है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया है कि अमेरिका ने संगठित अपराधियों, हथियारों के तस्कर और आतंकवादियों के बीच के गठजोड़ से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण जानकारी भारत से साझा की है।
एक तरफ अमेरिका दुनियाभर से आतंकवाद के समूल नाश के लिए ऐलान करता रहता है लेकिन दूसरी तरफ वह खुद आतंकवाद को लेकर दोमुंही रणनीति अपनाता है। दूसरों को उपदेश देने वाला अमेरिका भारतीय मंदिरों की सुरक्षा करने में विफल क्यों हो रहा है। दरअसल भारत से अच्छे संबंध बनाना उसकी विवशता भी है। भारत दुनिया की उभरती आर्थिक शक्ति है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का राजनीतिक कद बहुत बड़ा हो चुका है। जी-20 सम्मेलन की सफलता के बाद कहीं न कहीं अमेरिका भी भारत से ईर्ष्या रख रहा है। अब समय आ गया है कि अमेरिका को दो टूक शब्दों में कहा जाए कि हम अपने धर्मस्थलों पर हमले बर्दाश्त नहीं करेंगे।

आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com