संपादकीय

सोना कितना सोना है

त्यौहारों की लड़ी सज चुकी है और अब पूरा कार्तिक महीना हमारी प्रभु के प्रति आस्था को दर्शाने के लिए बहुत ही पवित्र त्यौहार नए-नए अंदाज में ला रहा है।

Kiran Chopra

त्यौहारों की लड़ी सज चुकी है और अब पूरा कार्तिक महीना हमारी प्रभु के प्रति आस्था को दर्शाने के लिए बहुत ही पवित्र त्यौहार नए-नए अंदाज में ला रहा है। इसी कड़ी में आने वाले दिनों में धनतेरस और उसके बाद दिवाली, अन्नकुट और भईयादूज की तैैयारी है। धनतेरस माता लक्ष्मी से जुड़ा है और माता लक्ष्मी की हमारे यहां सर्वाधिक मान्यता है। युगों-युगों से लक्ष्मी की पूजा होती रही है और होती रहेगी। धन-धान्य और सुख समृद्धि माता लक्ष्मी की ही देन है।

हर इन्सान चाहे गरीब है, अमीर है या मध्यम वर्गीय हर कोई इन सभी त्यौहारों को मनाने की आस्था रखता है। हर कोई अपनी क्षमता और अपने तरीके से मनाता है परन्तु आज हर वस्तु, हर चीज इतनी महंगी हो गई है कि पूछो मत। विशेषकर धन तेरस पर सभी लोग अपनी क्षमता के अनुसार स्टील, चांदी, सोना खरीदते हैं शगुन करने के​ लिए परन्तु हर व्यक्ति के ​िलए अब यह शगुन करना भी मुश्किल हो रहा है। पहले गरीब से गरीब व्यक्ति कन्यादान के समय अपने बेटी या पुत्रवधू को सोने की चेन, दो चुड़ियां आैर कानों के बुंदे जरूर डालता था, अब तो सोने की बात ही मत करो।

सोना हमेशा से भारतीय संस्कृति और अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। लोग इसे न सिर्फ गहनों के रूप में पहनते हैं, बल्कि निवेश के एक सुरक्षित विकल्प के रूप में भी देखते हैं। हाल के दिनों में सोने की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है। इसकी वजह से कई लोगों का ध्यान इस ओर गया है और वे जानना चाहते हैं कि आखिर सोना इतना महंगा क्यों हो गया है।

सोने की कीमतों में इस तेजी के पीछे कई कारण हैं। पहले कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसी घटनाओं ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। ऐसे में निवेशक सुरक्षित निवेश के लिए सोने की ओर रुख कर रहे हैं। अमेरिकी डॉलर के कमजोर होने से सोने की कीमतों में तेजी आई है। डॉलर और सोने की कीमतों का आपस में उल्टा संबंध होता है। दुनियाभर के केंद्रीय बैंक अपने भंडार में सोने की मात्रा बढ़ा रहे हैं जिससे मांग बढ़ रही है। बढ़ती महंगाई के खिलाफ सोना एक अच्छा बचाव माना जाता है। इसलिए लोग सोने में निवेश कर रहे हैं। चीन में सोने की मांग बढ़ रही है जो कीमतों को ऊपर धकेल रही है।"भारत में लोग बड़ी तादाद में सोना ख़रीद रहे हैं। जब आप बैंक में पैसा जमा करते हैं तब ब्याज़ दर कम मिलती है इसलिए बहुत से लोग सोने में निवेश करते हैं। इस वजह से भी बाज़ार में सोने की मांग बढ़ रही है। अमेरिका में चुनाव का समय है। अमेरिकी चुनाव के नतीजे का भी असर हो सकता है। वैश्विक स्तर पर होने वाले भू-राजनैतिक बदलावों का सोने के दाम पर असर होता है। अगर महंगाई बढ़ी तो सोने के दाम और भी बढ़ेंगे।”

जो सोना तीन साल पहले 5500-6000 रुपये प्रतिग्राम तक सीमित था वह अब 8000 रुपये प्रतिग्राम पर पहुंच चुका है अर्थात बाजार में 80000 रुपये तोले तक पहुंच चुका है। यह स्टैंडर्ड गोल्ड या चौबीस कैरेट गोल्ड का रेट है और हालत यह है कि बड़े-बड़े ज्वैलर्स के यहां और आभूषण वालों के यहां लोग लाखों रुपये लेकर खड़े हैं लेकिन माल की डिलिवरी तक उन्हें दो-दो, तीन-तीन दिन तक इंतजार करना पड़ता है। बुलियन मार्किट की रिपोर्ट के अनुसार देश के जाने-माने गोल्ड हाउस धनतेरस से एक महीना पहले ही ऑर्डर बुक कर चुके हैं और आज की तारीख में करोड़ों रुपये का भी सोना खरीदने की कोशिश करें तो कारोबारी कहते हैं कि इंतजार करना पड़ेगा। यह है सोने के प्रति असली क्रेज। बेटी के मंगलसूत्र से लेकर बाकी खरीदोफरोख्त तक हर तरफ सोने का जलवा है। धार्मिक आस्था ने सोने की कीमतों को आसमान पर पहुंचा दिया है।

हमारा मानना है कि सोना अगर 1960 के दशक से लेकर आज की तारीख तक मूल्यांकन किया जाये तो जितनी कीमतें पिछले पांच साल में बढ़ी हैं वह कभी नहीं बढ़ी। इसके पीछे कई बड़े कारण हैं। वे जो भी रहे हो परंतु कीमत वृद्धि का कोई तो अनुपात होता है। अमीर हो, गरीब हो सोना खरीदने की इच्छा हर किसी की रहती है। गरीब के लिए मामूली सोना घर पर होना समृद्धि का एक सुखद एहसास है जबकि अमीर के पास सोना होने का मतलब बड़े ठाठ हैं। देश में सोना-चांदी का व्यापार दुनिया में तेजी से बढ़ा है, बढ़ना चाहिए हमें इसमें कोई दिक्कत नहीं लेकिन हर चीज का एक हिसाब-किताब तय होना चाहिए। लोग कह रहे हैं कि शेयर मार्किट पिछले पन्द्रह दिन से डाउन है और दिवाली को सामने देखकर योजनाबद्ध तरीके से व्यापारी कीमतें बढ़ा रहे हैं। हमारा मानना है कि उस पर नकेल कसी जानी चाहिए। आज के जमाने में सब कुछ स्पष्ट है लेकिन सोना-चांदी के कारोबार में जब गहने बनते हैं तो अभी भी उसमें खोट इस्तेमाल होता है। आखिरकार व्यापार का भी असूल होता है। इसे पारदर्शी बनाना सरकार का काम है। एक फिल्मी गाना याद आ रहा है सोना कितना सोहना है तो अब इसकी सुंदरता को बनाए रखने के लिए कीमतों पर नियंत्रण भी करना चाहिए और इसकी पवित्रता को भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए।