डिजिटल क्रांति ने मानव जीवन के ढर्रे को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है। इस क्रांति के चलते लोग इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के ऊपर पूरी तरह से निर्भर होते जा रहे हैं। या यूं कहें कि आज के समय का एक अभिन्न अंग बन चुके हैं। इन इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की बात करें तो इसकी लिस्ट बेहद लंबी है, लेकिन मुख्य तौर पर जिन चीज़ों के बिना आज का इंसान जिंदगी नहीं बसर कर सकता वो है मोबाइल फोन या फिर लैपटॉप। हालांकि डिजिटल क्रांति के चलते वरदान स्वरूप इजाद हुआ। हमारे हाथों में रहने वाला फोन हमें तमाम तरह की सुविधाएं देता है, जिसके लिए हमें अभी तक एक बैग या सूटकेस में तमाम जरूरी कागजात साथ लेकर चलने पड़ते थे, वही सारे जरूरी पेपर्स अब हमारे साथ हर वक्त रहने वाले इस मोबाइल फोन के भीतर महफूज रहते हैं। न ही उनके खोने का डर न खराब होने का। वहीं हमें कुछ शॉपिंग करनी हो, कहीं बुकिंग करनी हो या किसी से पैसे का लेन-देन करना हो, तो परेशान होने की जरूरत नहीं पड़ती है, बल्कि फोन और लैपटॉप पर झटपट सब कुछ बड़ी ही आसानी से घर पर बैठकर ही ये सारे काम हो जाया करते हैं लेकिन इस सच्चाई को भी नकारा नहीं जा सकता कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं।
भारत में पहले तो जामतड़ा ही साइबर अपराध के लिए कुख्यात रहा लेकिन अब हरियाणा का मेवात और दिल्ली का पड़ोसी शहर नोएडा और देश के कुछ अन्य शहर साइबर अपराध का गढ़ बनते जा रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से ऐसी खबरें लगातार आ रही हैं कि कम्बोडिया, म्यांमार, दुबई और चीन में बैठे अन्तर्राष्ट्रीय गिरोह भारतीयों को लूटने में लगे हुए हैं। कम्बोडिया से मिली खबर और भी चौंका देने वाली है कि कम्बोडिया में 5000 से अधिक भारतीयों को बंधक बना कर रखा गया है, जहां उन्हें साइबर फ्रॉड करने के लिए मजबूर किया जा रहा है आैर हैरानी की बात यह है कि इन लोगों से किसी और के साथ नहीं बल्कि भारतीयों के साथ ही ठगी कराई जा रही है। एक अनुमान के अनुसार पिछले 6 महीनों में कम्बोडिया में बैठे गिरोहों ने भारत से 500 करोड़ से ज्यादा की ठगी की है। केन्द्रीय एजैंसियों की जांच से पता चला है कि अन्तर्राष्ट्रीय गिरोहों के एजैंटों ने भारतीय युवाओं को डेटा एंट्री की नौकरियां देने के बहाने कम्बोडिया भेजा और बाद में उन्हें साइबर धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए मजबूर किया गया।
जिन युवाओं को कम्बोडिया भेजा गया उनमें गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, दादरी, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और अधिकांश लोग दक्षिणी राज्यों के हैं। अब तक कम्बोडिया में फंसे बैंगलुरु के तीन लोगों को भारत वापिस लाया जा चुका है। कम्बोडिया में बैठे भारतीय युवक वहां से भारत में लोगों को फोन करके शेयर बाजार में निवेश कराने का लालच देते हैं और उनसे गेमिंग एप डाउनलोड कराकर लिंक भेज देते थे। इस जाल में जो लोग फंसे उनके लिंक खोलते ही उनका मोबाइल पूरी तरह से साइबर अपराधियों के हाथ में आ जाता और उसके बाद वह साइबर ठगी को अंजाम दे देते थे।
भारतीय युवाओं को कम्बोडिया भेजने वाले गिरोहों के एजैंटों ने नोएडा, गुरुग्राम और बैंगलुरु और अन्य शहरों में कंसलटैंसी खोल रखी हैं, जहां युवाओं को कम्बोडिया में नौकरी देने के बहाने फंसाया जाता रहा है। गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, सूचना प्रौद्योिगकी मंत्रालय, भारतीय साइबर अपराध समन्वय केन्द्र और सुरक्षा विशेषज्ञ अब रणनीति बनाने में जुटे हैं कि कम्बोडिया में फंसे 5000 भारतीय युवाओं को कैसे वापिस लाया जाए। भारत सरकार ने कम्बोडिया में 5000 भारतीयों को गुलाम बनाने के मामले पर कम्बोडिया सरकार से सम्पर्क किया है। अब तक देशभर में कुछ लोगों को गिरफ्तार किया है, जो लोगों को कम्बोडिया ले जाने के धंधे में शामिल हैं। कर्नाटक सरकार का अनिवासी भारतीय फोरम कम्बोडिया में फंसे युवाओं के परिवारों से सम्पर्क कर रहा है। इस धंधे में चीनी नागरिक भी शामिल बताए जाते हैं। भारतीय युवाओं से गुलामों जैसा व्यवहार किया जाता है उन्हें फेसबुक पर प्रोफाइल ढूंढने और ऐसे लोगों की पहचान करने को कहा जाता है जिनके साथ धोखाधड़ी की जा सकती है। विभिन्न प्लेटफार्मों से ली गई महिलाओं की फोटो के साथ नकली सोशल मीडिया अकाऊंट बनाए जाते हैं और इनका इस्तेमाल लोगों को फंसाने के लिए किया जाता है। युवाओं को ठगी का टारगेट दिया जाता है। अगर भारतीय युवा इसे पूरा नहीं करते तो उन्हें खाना नहीं दिया जाता, उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया जाता है और परिवार से सम्पर्क नहीं करने दिया जाता। अब इन युवाओं के परिवार इनको बचाने के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं। हाइटैक पढ़ाई करने वाले युवाओं के ज्ञान का इस्तेमाल ठगी के लिए किया जा रहा है। यह बहुत दुखदायी है और चिंताजनक है। मोटी कमाई के लालच में भारतीय साइबर अपराधों का शिकार हो रहे हैं। पूरा बैंकिंग तंत्र साइबर अपराधों से बचने के लिए दिन-रात लोगों को जागरूक कर रहा है लेकिन आज भी लोग सतर्क नहीं हो रहे। साइबर अपराधों से बचने का एकमात्र रास्ता सतर्कता ही है, क्योंकि ऐसे अपराधियों को पकड़ना सम्भव नहीं दिखाई देता। फिलहाल सरकार के िलए गुलाम बने भारतीयों को वहां से निकालना ही एक बहुत बड़ी चुनौती है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
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