संपादकीय

खाड़ी देशों में भारत का डंका

Aditya Chopra

संयुक्त अरब अमीरात के दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अबूधाबी के पहले हिन्दू मंदिर का उद्घाटन किया। इसके अलावा उन्होंने इंडिया मार्ट का भी शुभारम्भ किया। आबू धाबी का भव्य मंदिर बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामी नारायण संस्था (बीएपीएस) द्वारा बनाया गया है। इस मंदिर के लिए जमीन संयुक्त अरब अमीरात सरकार ने दान में दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जलवा मंगलवार की शाम उस समय भी दिखाई दिया जब आबू धाबी के स्टेडियम में आयोजित अहलन मोदी कार्यक्रम में उन्हें सुनने हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी। संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद ने परोटाेकॉल तोड़कर हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगवानी की और उन्हें गले लगाकार अभिनंदन किया। उससे दोनों की अच्छी कैमिस्ट्री सामने आई। अपने 10 वर्ष के शासनकाल में प्रधानमंत्री मोदी के सातवें यूएई दौरे से इस खाड़ी देश के महत्व का पता चलता है। दोनों नेताओं ने रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने पर बातचीत की और कई समझौतों पर हस्ताक्षर भी हुए। इसमें कोई संदेह नहीं कि 10 वर्ष के एनडीए शासनकाल में भारत के खाड़ी देशों से संबंध काफी मजबूत हुए हैं।
मोदी सरकार की विदेश नीति में खाड़ी देशों को ज्यादा महत्व दिया जा रहा है। वैश्विक भूराजनीति के चलते एक सवाल जो बहुत मुखर होकर सामने आया है, वह यह है कि भाजपा नीत गठबंधन सरकार अपनी हिन्दुत्व की पहचान को लेकर काफी आक्रामक है। इसके बावजूद खाड़ी के देश जो कभी पाकिस्तान के करीब माने जाते थे, अब भारत के करीब कैसे आ गए। इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जाता है कि वह अपनी संस्कृति और मान्यताओं से पूरी तरह जुड़े होने के बावजूद आर्थिक संबंधों को प्राथमिकता देते हैं। यही कारण है कि मध्य पूर्व में आधुनिक इस्लाम के चैम्पियन बने देश भारत के अहम साझीदार हैं। इस समय भारत के अधिकांश खाड़ी देशों से अच्छे संबंध हैं। कतर, ओमान, सऊदी अरब और ईरान जैसे देशों के साथ अच्छे संबंध हैं। इन संबंधों के चलते भारत को पाकिस्तान से कूटनीतिक बढ़त मिली हुई है।
भारत और खाड़ी देशों के बीच संबंधों का सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट वर्ष 2017 में आया था जब ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कारपोरेशन के पूर्ण अधिवेशन में तत्कालीन विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज को भाषण देने के लिए आमंत्रित किया गया था। यद्यपि पाकिस्तान ने श्रीमती सुषमा स्वराज को आमंत्रित करने का विरोध किया और अधिवेशन का बायकाट कर दिया था लेकिन श्रीमती सुषमा स्वराज ने अधिवेशन को सम्बोधित किया। बीते एक दशक में दुनिया की राजनीति सैद्धांतिक न होकर काफी हद तक अर्थतंत्र से जुड़ चुकी है। जहां भी बेहतर सम्भावनाएं दिखती हैं तो देश अपने संबंध बना लेते हैं। भारत और संयुक्त अरब अमीरात की दोस्ती सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक संबंधों पर आधारित है।
हाल ही के वर्षों में इन संबंधों में व्यापकता आई है और नवीकरणीय ऊर्जा, रक्षा, अंतरिक्ष और सुरक्षा सहयोग के तहत ऊर्जा गैस के क्षेत्र में व्यापार एवं निवेश के अलावा कई क्षेत्रों में आदान-प्रदान हो रहा है। सबसे बड़ा कारण खाड़ी देशों में काम करने वाले भारतीयों की बड़ी संख्या और उनके द्वारा अपने परिवार को भेजा जाने वाला धन भी है। यूएई अब भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। जहां तक सऊदी अरब का संबंध है, 2016 में सऊदी अरब ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपने देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया था। अरब देशों में 90 लाख भारतीय रहते हैं और अरब देश अब महसूस करते हैं कि भारत में निवेश करने का उन्हें बहुत फायदा होगा। जबकि अमेरिका में​ निवेश करने का उन्हें कोई खास फायदा नहीं होगा। पाकिस्तान की इन देशों के लिए अब कोई कीमत नहीं रह गई। इराक, कतर, ओमान और ईरान का भी भारत से व्यापार बढ़ रहा है। भारत अपनी गैस और तेल की जरूरतें इनसे पूरी करता है। भारत और बहरीन रक्षा और समुद्री सुरक्षा के क्षेत्रों में संबंधों को मजबूत बना रहे हैं। यूएई में तो अब यूपीआई, रूपे कार्ड सर्विस शुरू हो गई है। इससे वहां रह रहे भारतीयों को काफी फायदा होगा।
आज तकनीक की दु​निया में भारत तेजी से बढ़ा है। जिस तेजी से भारत डिजिटली आगे बढ़ा है उसने पूरी दुनिया को चौंकाया है। भारत आज पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ने वाली आर्थिक ताकत है। हर क्षेत्र में आज भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। सऊदी अरब और खाड़ी के ज्यादातर देशों के लिए विकास और व्यापार ज्यादा मायने रखता है। जी-20 में भी भारत ने मध्य पूर्व यूरोप कॉरिडोर के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए और जी-20 की सफलता ने पूरी दुनिया में भारत के झंडे गाड़ दिए। यही कारण है कि खाड़ी देशों में भारत का डंका बज रहा है।