संपादकीय

चुनावों में ‘मोदी लहर’ बरकरार

Aditya Chopra

पांच राज्यों में हुए चुनावों में से चार मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ व तेलंगाना के चुनाव परिणाम आ चुके हैं और इनमें से शुरू के तीन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी ने धुआं उड़ाते हुए अपनी विजय पताका फहराई है। भाजपा की इस तूफानी जीत का सेहरा प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी के सिर बांधा जायेगा क्योंकि उन्होंने इन सभी राज्यों में क्षेत्रीय नेतृत्व की बजाय अपना चेहरा आगे रखते हुए पार्टी निशान का बटन दबाने की लोगों से अपील की थी। श्री मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान बेशक बीच-बीच में कांग्रेस के बनाये विमर्श से भी कुछ तत्वों को उठाने में गुरेज नहीं किया और लोक कल्याणकारी विमर्श के कुछ अंशों को भी स्वीकार किया मगर इसके बावजूद भाजपा की प्रचंड विजय बताती है कि लोगों ने 'मोदी की गारंटी' को ज्यादा विश्वसनीय माना और भाजपा के मूल हिन्दुत्व व राष्ट्रवाद के विमर्श को स्वीकृति प्रदान की। भाजपा ने जिस प्रकार से छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार को उखाड़ा और मध्य प्रदेश में अपनी पार्टी की सरकार के समर्थन में पुनः प्रचंड जनसमर्थन प्राप्त किया उसकी कल्पना स्वयं भाजपा के नेताओं ने भी नहीं की थी।
मध्य प्रदेश में भाजपा को दो तिहाई बहुमत इस हकीकत के बावजूद मिला कि पिछले 18 साल से उसकी ही राज्य में सरकार चल रही है। राजस्थान में नतीजे अप्रत्याशित इसलिए कहे जायेंगे क्योंकि राज्य में कांग्रेस के मतों में वृद्धि होने के बावजूद इसकी सीटें 200 सदस्यीय विधानसभा में 70 के लगभग ही आयी हैं और राज्य में भाजपा को स्पष्ट बहुमत प्राप्त हुआ है। भाजपा की इस विजय को निश्चित रूप से प्रभावशाली विजय कहा जा सकता है जिसका असर पांच महीने के भीतर होने वाले लोकसभा चुनावों पर भी रह सकता है। मगर इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि भाजपा उत्तर भारत के अपने गढ़ को न केवल बचाने में सफल रही है बल्कि इसे और मजबूत बनाने में कामयाब हुई है। इन तीनों राज्यों में से दो छत्तीसगढ़ व राजस्थान में कांग्रेस की सरकारें थी।
राजस्थान के मुख्यमन्त्री अशोक गहलोत तो देश के सर्वाधिक लोकप्रिय मुख्यमन्त्री बताये जा रहे थे मगर लगता है कि उन्हें कांग्रेस के भीतर की लड़ाई मार गई। अपनी ही पार्टी के युवा नेता सचिन पायलट से उनके मतभेद जिस तरह से जगजाहिर होकर सार्वजनिक विमर्श का विषय बने उससे कांग्रेस के चुनावी गणित पर विपरीत असर पड़ा। मगर भाजपा की ओर से श्री नरेन्द्र मोदी ने चुनाव प्रचार की खुद कमान संभाल कर जिस तरह गहलोत को चुनौती दी उसमें विजयश्री मोदी की रही लेकिन हिन्दी क्षेत्र के तीनों राज्यों में कांग्रेस की सबसे सम्मानजनक पराजय राजस्थान में ही हुई जबकि छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश की हार को हम इस श्रेणी में नहीं रख सकते। लेकिन दक्षिण के राज्य तेलंगाना में कांग्रेस पार्टी की जीत भी कोई कम दमदार नहीं कही जा सकती। कांग्रेस ने 119 सदस्यीय विधानसभा की 65 सीटें जीतने में सफलता प्राप्त की है। इस राज्य में भाजपा ने आठ सीटें जीत कर भी हैरानी पैदा कर दी है क्योंकि पिछले 2018 के चुनावों में इसकी मात्र एक सीट आयी थी। इसकी वजह भी मोदी की मेहनत मानी जा रही है क्योंकि श्री मोदी व गृहमन्त्री अमित शाह की जोड़ी ने इस राज्य में जिस शिद्दत से चुनाव प्रचार किया था उसका संज्ञान अन्ततः तेलंगाना वासियों ने लिया और उनकी पार्टी को आठ सीटें दे दीं। कर्नाटक हारने के बाद तेलंगाना में भाजपा की प्रभावी मौजूदगी अपना राजनैतिक सन्देश तो देती ही है। कुल मिलाकर भाजपा की उत्तर के राज्यों में विजय को हम मोदी लहर भी मान सकते हैं।