संपादकीय

नायडू और जनसंख्या वृद्धि

आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमन्त्री व तेलगूदेशम पार्टी के सर्वेसर्वा चन्द्रबाबू नायडू ने ‘जनसंख्या नियन्त्रण’ के विरुद्ध ‘जनसंख्या वृद्धि’ की बात कह कर राजनैतिक क्षेत्र में तहलका मचा दिया है। श्री नायडू के मत में भारत 2047 तक ऐसा देश हो जाएगा जिसमें बुजुर्गों की संख्या अधिक होगी अतः आजकल के युवा जोड़ों को दो से अधिक बच्चे पैदा करने चाहिए।

Aditya Chopra

आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमन्त्री व तेलगूदेशम पार्टी के सर्वेसर्वा चन्द्रबाबू नायडू ने ‘जनसंख्या नियन्त्रण’ के विरुद्ध ‘जनसंख्या वृद्धि’ की बात कह कर राजनैतिक क्षेत्र में तहलका मचा दिया है। श्री नायडू के मत में भारत 2047 तक ऐसा देश हो जाएगा जिसमें बुजुर्गों की संख्या अधिक होगी अतः आजकल के युवा जोड़ों को दो से अधिक बच्चे पैदा करने चाहिए। उनके मत में सभी दक्षिणी राज्यों में बूढे़ व्यक्तियों की संख्या बढ़ती जा रही है, खासकर आन्ध्र प्रदेश में तो 2047 तक बुजुर्गों की संख्या बहुत ज्यादा हो जाएगी। इसलिए उनकी प्रदेश सरकार ने ऐसे दम्पतियों को विशेष लाभ देने का फैसला किया है जिनके दो से अधिक सन्तान हो। उनके अनुसार राज्य सरकार ऐसा कानून लाने जा रही है जिससे स्थानीय निकायों (पंचायत से लेकर नगर निगम तक) के चुनाव वे व्यक्ति ही लड़ सकेंगे जिनके दो से अधिक बच्चे हैं। इससे पहले राज्य में विधान था कि जिस व्यक्ति के अधिकतम दो बच्चे हैं वही निकाय चुनावों में उम्मीदवार हो सकता है। चन्द्र बाबू नायडू की सरकार ने इस कानून को समाप्त कर दिया है और इसके बदले अब उनकी सरकार ऐसा कानून लाने जा रही है जिसमें अधिक बच्चों वाले दम्पतियों को विशेष राहत दी जाएगी। नायडू के अनुसार उनके राज्य में ऐसे गांवों की संख्या बढ़ती जा रही है जिनमें अधिसंख्या में बुजुर्ग लोग ही रहते हैं। गांवों से या तो युवा अन्य बड़े शहरों को पलायन कर गये हैं अथवा विदेश में जाकर बस चुके हैं।

नायडू की सरकार ने पिछले 7 अक्तूबर को अपने मन्त्रिमंडल की बैठक में दो से अधिक बच्चे रखने वाले दम्पतियों को विशेष लाभ देने का निर्णय कर लिया है। अगर हम राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो भारत में चीन से भी अधिक आबादी हो चुकी है। यह दुनिया का सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश बन चुका है। इसकी आबादी 140 करोड़ से अधिक है। मगर दूसरी तरफ यह भी हकीकत है कि भारत में जनसंख्या वृद्धि दर भी लगातार घटती जा रही है। 1950 के दशक में जहां यह वृद्धि दर 6.2 थी वहीं 2021 तक यह घटकर 2.1 रह गई है। ऐसे में श्री नायडू की सरकार का फैसला दूरदर्शिता पूर्ण कहा जा सकता है क्योंकि चीन जैसे बड़ी जनसंख्या वाले देश में भी वहां की सरकार ने लोगों से एक बच्चे की जगह इसमें वृद्धि करने का निर्देश दिया है (चीन में कम्युनिस्ट सरकार है)। फिलहाल भारत को युवा देश माना जाता है। वर्तमान समय में देश में 35 वर्ष तक की आयु वाले लोग 65 प्रतिशत से अधिक हैं। मगर 2047 तक ये आंकड़े घट जाएंगे क्योंकि वर्तमान पीढ़ी के अधिसंख्या लोग दो से अधिक बच्चे करना पसन्द नहीं करते। आन्ध्र प्रदेश में तो इसकी जनसंख्या वृद्धि की दर 1.6 तक गिर चुकी है। दक्षिण के अन्य राज्यों में भी कमोबेश हालत यही है।

इसलिए चन्द्र बाबू नायडू का कहना है कि जनसंख्या वृद्धि के मामले में आन्ध्र प्रदेश पहले से ही बहुत पीछे रह गया है क्योंकि यहां लोग एक से अधिक बच्चा पैदा करना ठीक नहीं मानते हैं। अतः 2047 तक यह राज्य बूढ़ों के राज्य में बदल सकता है। मगर महत्वूर्ण यह है कि आन्ध्र प्रदेश में जनसंख्या को नियन्त्रित करने वाला पुराना कानून भी चन्द्रबाबू नायडू की ही सरकार अपने पिछले शासन के दौरान दस साल पहले लाई थी जिसमें दो से कम बच्चे वाले लोगों को विशेष राहत दी गई थी। राजनैतिक क्षेत्रों विशेषकर केन्द्र में सत्तारूढ़ एनडीए गठबन्धन के घटक दलों में इस मुद्दे पर भारी मतभेद है। नायडू की तेलगूदेशम पार्टी भी इस गठबन्धन में शामिल है। जहां तक केन्द्र सरकार की नीति का सवाल है तो वह जनंख्या नियन्त्रण के हक में है। भारत में पिछले 76 वर्षों में इस मोर्चे पर केन्द्र की हर दल की सरकार ने भारत की जनसंख्या की रफ्तार कम करने के लिए ही कदम उठाये हैं। इसी वजह से यह वृद्धि दर 6.2 से घट कर 2.1 हुई है। इसके साथ ही भारत में जिस प्रकार महिलाओं में शिक्षा का प्रसार हुआ उसी के सापेक्ष जन संख्या में कमी दर्ज होती चली गई। मगर नायडू अपने राज्य का भविष्य अब जनसंख्या अभिवृद्धि में देख रहे हैं लेकिन एक राजनैतिक कारण और लगता है।

2026 तक पूरे देश में लोकसभा क्षेत्रों का परिसीमन होना है। दक्षिण के राज्यों ने अपनी आबादी को नियन्त्रित किया है जबकि उत्तर भारत के राज्यों में ऐसा नहीं हो पाया है जिसकी वजह से लोकसभा में दक्षिणी राज्यों की सीटें घट सकती हैं। परिसीमन जनगणना के बाद ही संभव है अतः जब भी भारत में जनगणना होगी तभी हमें पता लगेगा कि दक्षिणी राज्यों की जनसंख्या में असल में उत्तरी राज्यों के मुकाबले कितनी वृद्धि हुई है। पिछली जनगणना 2011 में हुई थी मगर 2021 में यह जनगणना नहीं हो सकी क्योंकि पूरा देश कोरोना के प्रकोप से जूझ रहा था। जनगणना हर दस वर्ष बाद कराये जाने का नियम है। मगर अब इसमें जातिगत जनगणना का सवाल भी जुड़ गया है, जिसकी मांग लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता श्री राहुल गांधी पुरजोर तरीके से कर रहे हैं। हालांकि 2011 में भी जातिगत जनगणना हुई थी मगर इसके आंकड़े सरकार ने प्रकाशित नहीं किये थे। अतः चन्द्रबाबू नायडू के बयान को समग्र दृष्टि से देखा जाना चाहिए।

आदित्य नारायण चोपड़ा

Adityachopra@punjabkesari.com