अपने इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान में आटा-दाल से लेकर रोजमर्रा की वस्तुओं की किल्लत से बिलखते लोगों को पूरी दुनिया ने देखा। रोटी के लिए लोग जान गंवाते देखे गए और एक-दूसरे को मारते-पीटते नजर आए। अब हालात यह है कि पाकिस्तान में बिजली को लेकर बवाल मच चुका है। पहले से ही महंगाई की मार झेल रही पाकिस्तानी आवाम अब भारी-भरकम बिजली के बिलों को देख सड़कों पर उतर आए हैं। पाकिस्तान एक यूनिट बिजली के दाम अब 56 रुपए तक पहुंच चुके हैं। देशभर में कारोबारी संगठनों ने हड़ताल कर दी है। दक्षिणपंथी जमात-ए-इस्लामी और व्यापारिक संगठनों ने विरोध-प्रदर्शन करने का आह्वान किया। हर शहर में वकीलों ने इन विरोध-प्रदर्शनों को अपना समर्थन दिया। कराची, लाहौर, पेशावर, इस्लामाबाद और कई अन्य शहरों में बाजार बंद हो चुके हैं और व्यापारिक गतिविधियां ठप्प पड़ गई है। पाक अधिकृत कश्मीर में पाकिस्तान के हुकुमरानों के खिलाफ हमेशा ही आक्रोश रहा है। महंगी बिजली घरों के खिलाफ अब पीओके में मस्जिदों से लाउड स्पीकरों पर बिजली बिलों का भुगतान न करने की अपीलें की जा रही है।
गुजरांवाला और कई अन्य शहरों में लोग बिजली कार्यालयों का घेराव कर रहे हैं। पीओके से पाकिस्तान से आजादी के स्वर हमेशा ही उठते रहे हैं। कर्ज के बोझ तले पिस रहे पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष ने तीन अरब डालर के बेल आऊट को मंजूरी देते हुए कड़ी शर्तें लगाई हैं। जिसका बोझ पाकिस्तान सरकार की ओर से सालभर में जनता पर टैक्स से लेकर पैट्रोल, डीजल और बिजली की कीमतों में वृद्धि की है। पाकिस्तान के मित्र देश भी अब उससे पिंड छुड़ाने लगे हैं। सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात हमेशा पाकिस्तान की मदद करते आए हैं। अब दोनों देश उससे दूरी बनाकर चल रहे हैं। सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने घोषणा की थी कि वह भारत आने से पहले पाकिस्तान की यात्रा पर जाएंगे। लेकिन अचानक उन्होंने पाकिस्तान का दौरा टाल दिया है। पाकिस्तान को सऊदी प्रिंस का बेसब्री से इंतजार था। क्योंकि सऊदी पाकिस्तान को कर्ज संकट से निकालने के लिए ऋण भी देता रहा है और सहायता भी देता रहा है। सऊदी प्रिंस की पाकिस्तान यात्रा फरवरी 2019 में हुई थी तब उनकी मेजबानी पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने की थी।
पाकिस्तान में महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद फैली राजनीतिक अस्थिरता से सऊदी और संयुक्त अरब अमीरात भी चिन्तित हो उठे हैं। दिसंबर में 2022 पाकिस्तान के ऊपर 126 बिलियन डालर का कर्ज था लेकिन उच्च ब्याज दर के कारण पाकिस्तान के ऊपर कर्ज का बोझ बढ़ता ही जा रहा है। मार्च 2023 में पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ 4.2 अरब डालर रह गया था। डिफाल्ट होने से बचने के लिए पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष से बेलआऊट पैकेज के लिए गुहार लगा रहा था। बड़ी मुश्किल से उसे बेलआऊट पैकेज मिला है। पाकिस्तान की आवाम आजकल जमकर भारत की मोदी सरकार और भारत की उपलब्धियों की प्रशंसा कर रही है। पाकिस्तान के लोग यह स्वीकार कर रहे हैं कि भारत के सामने पाकिस्तान की औकात कुछ नहीं है। भारत के चन्द्रयान-3 और सौर मिशन की सफलता से पाकिस्तान के लोग भी अभिभूत हैं। पाकिस्तान में भारत से करीब 6 गुणा महंगी बिजली मिल रही है। अगर भारत की बात करें तो महाराष्ट्र राज्य में बिजली सबसे महंगी है, यहां एक यूनिट के िलए बिजली उपभोक्ताओं को 8.80 रुपए देने पड़ते हैं, वहीं पश्चिम बंगाल में एक यूनिट बिजली 8 रुपए में आती है। अगर देश में सबसे सस्ती बिजली की बात करें तो ये दिल्ली में मिलती है। यहां 200 यूनिट तक फ्री बिजली है और इससे ऊपर का बिल आने पर अब तक 3 रुपए प्रति यूनिट, 201 से 400 यूनिट तक पर 4.5 रुपए प्रति यूनिट, 401 से 800 यूनिट तक 6.5 रुपए प्रति यूनिट, 801 से 1200 यूनिट तक 7 रुपए प्रति यूनिट और 1200 से ज्यादा यूनिट पर 8 रुपए प्रति यूनिट के िहसाब से बिल भरना होता था।
अब जबकि पाकिस्तान में चुनाव होने वाले हैं और कार्यकारी प्रधानमंत्री अनवारूल हक काकर किसी तरह चुनावों तक टाइम पास कर रहे हैं। सरकार के पास आर्थिक संकट से उभरने की न तो कोई सोच है और न ही कोई ठोस नीति। राजनीतिक दल केवल चुनावी बातें कर रहे हैं और महंगाई को चुनावी मुद्दे के तौर पर पेश कर रहे हैं। पाकिस्तान की जनता का भविष्य क्या होगा यह दीवार पर लिखी इबारत की तरह है। भले ही इमरान खान को निर्वासित कर दिया जाए और नवाज शरीफ को वापिस बुला लिया जाए फिर भी पाकिस्तान के हालात बदलने वाले नहीं। पाकिस्तान आर्थिक संकट के चलते ऐसे अंधकार में फंस चुका है जहां रोशनी की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही।
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