पाकिस्तान इस समय गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। नकदी संकट से हर कोई परेशान है। उसका विदेशी मुद्रा भंडार केवल 8 बिलियन डॉलर का रह गया है जिससे डेढ़ महीने तक के सामान का आयात किया जा सकता है। घटते विदेशी मुद्रा भंडार के चलते पाकिस्तान को अगले दो महीने में एक बिलियन डॉलर यानी 8.30 हजार करोड़ रुपए का कर्ज चुकाना है। एक तरफ उस पर कर्ज लौटाने का दबाव है तो दूसरी ओर 12 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष से उसे 3 बिलियन डॉलर कर्ज मिलने की समय सीमा भी खत्म हो रही है। अगर कर्ज मिल भी जाए तो भी इस बात की उम्मीद कम है कि पाकिस्तान की आर्थिक हालत कुछ सुधर जाएगी। पाकिस्तान का व्यापार लगभग लुप्त हो चुका है और इस वर्ष पाकिस्तान की जीडीपी महज 2.1 प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना है। अगर नई सरकार भी लड़खड़ाई तो यह दर और भी नीचे आ सकती है। यही कारण है कि पाकिस्तान अब एक बार फिर अपनी हेकड़ी छोड़कर भारत के साथ व्यापार शुरू करने का इच्छुक दिखाई देता है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने भारत से व्यापार शुरू करने की इच्छा जताई है। इससे साफ है कि पाकिस्तान की नई शहनवाज शरीफ सरकार देश को आर्थिक संकट से निकालने की चुनौती किसी न किसी तरह पार कर लेना चाहती है। पाकिस्तान ने अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद भारत के साथ व्यापार को एकतरफा तरीके से रोक दिया था। उससे पहले दोनों देशों में पुलवामा के आतंकी हमले और भारत द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक किए जाने के बाद संबंध काफी तनावपूर्ण चल रहे थे।
पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा छीन लिया था। एक तरफ पाकिस्तान के सत्ता प्रतिष्ठान आतंकवादी गिरोह से मिलकर हमारे सैनिकों का खून बहाएं और दूसरी तरफ वह भारत से फायदा उठाए, यह संभव नहीं है। लेकिन पाकिस्तान ने भारत से व्यापारिक संबंध तोड़कर अपने पांव पर ही कुल्हाड़ी मारी है। पाकिस्तान गेहूं, चीनी, घी और दवाइयां रूस, यूएई, मिस्र, ब्राजील, सिंगापुर आदि देशों से आयात कर रहा है। दूर देशों से आयात करने में पाकिस्तान का शिपिंग चार्ज काफी बढ़ गया है। डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपए के अवमूल्यन ने इस संकट को और गहरा दिया है। इस समय एक डॉलर की कीमत 276 पाकिस्तानी रुपए के बराबर है। भारत कई देशों को जिस दर पर गेहूं बेच रहा है पाकिस्तान को दूसरे देशों से उससे कहीं अधिक पैसे खर्च करके गेहूं खरीदना पड़ रहा है। भारत पाकिस्तान के बीच अधिकतर व्यापार सड़क मार्ग से ट्रकों के माध्यम से होता था। इससे आयात खर्च काफी कम आता था। पाकिस्तान को भारत से चीनी भी सस्ती मिल रही थी। लेकिन अब उसे चीनी के लिए भी अधिक पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं। पाकिस्तान ने व्यापार फिर से शुरू करने का फैसला कोई पहली बार नहीं किया है। 2021 में पाकिस्तान ने भारत से कपास और धागे के आयात की अनुमति दी थी। कोरोना महामारी के दौरान भी पाकिस्तान को दवाओं का संकट झेलना पड़ा था। पाकिस्तान भारत से कपड़ा उद्योग से जुड़ी चीजें कुछ जैविक रासायन, जीरा, धनिया, सरसों भी आयात करता था। भारत पाकिस्तान से खजूर, छुहारे, फल, सेंधा नमक और सीमेंट भी आयात करता था लेकिन भारत इन चीजों के लिए पाकिस्तान पर बहुत अधिक निर्भर नहीं है। विश्व बैंक के शोध से पता चलता है कि अगर पाकिस्तान का भारत के साथ सामान्य व्यापारिक संबंध होता, तो उसका निर्यात जीडीपी और रोजगार पर समान प्रभाव के साथ 80 प्रतिशत तक बढ़ सकता था। इन अनुमानों से निष्कर्ष निकालते हुए, पाकिस्तान के माल का निर्यात, जो 2022 में केवल 31.5 बिलियन डॉलर था, अगर भारत के साथ व्यापार का एहसास हुआ तो लगभग 25 बिलियन डॉलर अधिक हो सकता है। विश्व बैंक के एक अन्य अध्ययन से पता चलता है कि पाकिस्तान की कुल अप्राप्त व्यापार क्षमता में भारत की हिस्सेदारी 85 प्रतिशत है।
भारत के साथ गहरा आर्थिक जुड़ाव पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में अन्य गंभीर समस्याओं का समाधान करने में भी मदद कर सकता है, जिसमें बड़े पैमाने पर मुद्रास्फीति भी शामिल है, जिसके कारण पिछले वर्ष गरीबी में वृद्धि हुई है। किराया मांगने वाला निजी क्षेत्र जो लगातार सुरक्षा और अनुकूल कर उपचार की पैरवी करता है और लंबे समय से चला आ रहा ऊर्जा संकट, चल रही आर्थिक आपदा के कारण और भी गंभीर हो गया है। 2022 के बाद से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में लगातार गिरावट को देखते हुए भारत के साथ व्यापार बहुत मूल्यवान साबित हो सकता है।
पाकिस्तान के व्यापारी, सीमांत क्षेत्रों के बेरोजगार हुए लोग अब मांग करने लगे हैं कि भारत से व्यापार शुरू किया जाए। पाकिस्तान के रुख में नरमी नई संभावनाओं का संकेत तो देती है लेकिन उसे इस बात का ध्यान रखना होगा कि आतंकवाद और व्यापार साथ-साथ नहीं चल सकते। पाकिस्तान आतंकवाद की खेती करना बंद करे और भारत के साथ मिलकर शांति के पौधे रोपे तो भारत उसे फिर से सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र का दर्जा दे सकता है। भारत से दोस्ती ही उसे संकटों से निजात दिला सकती है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
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