संपादकीय

पापा जी आपको सब याद करते हैं…

Kiran Chopra

आज आपका जन्मदिन है, आपकी याद में 20 सालों से बुजुर्गों के लिए बहुत काम हो रहा है, जो अच्छे घरों के बुजुर्ग हैं उनके लिए देश भर में एक्टिविटीज आयोजित की जाती हैं और जरूरतमंद को आर्थिक सहायता और उनकी जरूरत का सामान दिया जाता है।
परन्तु हर पल आपकी कमी महसूस होती है, क्यों​कि आप एक आदर्श बेटे, पापा, दादा, भाई, ससुर थे। आप जितनी देर भी जीवित रहे आपने मुझे बेटी की तरह प्यार दिया, सम्मान दिया। खासकर के जब अश्विनी जी नहीं रहे तो आपकी बहुत कमी खलती है। अगर आज आप होते तो मेरे सिर पर पिता की तरह हाथ रखा होता। मुझे कोई भी चिंता न होती। मेरे बेटे अपने दादा के प्यार को पाकर धन्य होते। जब वह कई अपनों को अपने पिता के साथ, दादा के साथ देखते हैं तो उन्हें आपकी कमी बहुत महसूस होती है। निश्चित रूप से आप मेरे ससुर, मेरे पिता और मेरे मार्गदर्शक थे। आपकी शहादत के बाद आपके सिद्धांतों पर ही हमारा परिवार चल रहा है, जो भी आपने अपने जीते जी स्थापित किए थे।
आपके जन्म दिवस को हम सेवा दिवस के रूप में मनाते हैं और आपके शहीदी दिवस को हम बलिदान दिवस के रूप में मनाकर बुजुर्गों के स्वास्थ्य की कामना करते हैं।
हमारे बुजुर्ग कदमों की धूल नहीं हमारे माथे की शान हैं, तो आओ चलें उनके साथ जिन्होंने हमें अंगुली पकड़ कर चलना सिखाया। इसी सोच के साथ लगभग 20 साल पहले हमने वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की स्थापना की। लगभग 20 साल पहले जब मैं और अश्विनी जी अमेरिका गए तो हमने वहां एक ओल्ड होम की विजिट की, जहां हमें बताया गया कि द आर वैटिंग फॉर देयर डेथ। उनके बच्चे साल में एक बार मदर डे और फादर डे में केक और फूल लेकर आ जाते हैं तो अश्विनी जी ने मेरी तरफ देखा कि किरण हमें इस ऐज के लिए कुछ करना चाहिए ताकि माता-पिता सारी उम्र अपने बच्चों और सम्मान के लिए सारा जीवन बिताते हैं, उन्हें इस उम्र में मर्यादा में रहकर जिन्दगी को इंज्वाय करने का और एक अच्छी जिन्दगी जीने का हक है।
मैंने आते ही वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की स्थापना की और वाकय में मैंने समझा कि हर वर्ग के लिए विशेषकर लड़कियों और बच्चों के लिए सभी काम करते हैं, सोचते हैं परन्तु बुजुर्गों के लिए कोई नहीं सोचता। अगर सोचते हैं तो या उनके लिए पूजा-पाठ या वृद्ध आश्रम, तो मैंने एक नई विचारधारा के तहत काम किया, जिसमें बुजुर्ग मर्यादा में रहकर इस जीवन के इस आखिरी पड़ाव को पूरे आत्मविश्वास के साथ जी सकें। इसीलिए मैंने पहले ट्रस्ट बनाया। एनजीओ शब्द मुझे नहीं भाता था, क्योंकि बहुत से एनजीओ हैं, कुछ अच्छा काम करते हैं, कुछ नकली हैं। ट्रस्ट को 80 से कम के अन्तर्गत रखा, ताकि कोई भी इस उम्र के व्यक्तियों की मदद करना चाहते तो कर सके। मैंने इसका नाम आपके नाम पर रखा क्योंकि आप पंजाब केसरी के संस्थापक, एक सच्चे देशभक्त, एक आदर्श बेटा, आदर्श पिता, ससुर और भाई थे। वृद्ध केसरी रोमेश चन्द्र ट्रस्ट है। वरिष्ठ नागरिक क्लब की 23 शाखाएं सारे देशभर में चलती हैं।
मैं बुजुर्गों और जरूरतमंद लड़कियों के लिए काम करती हूं, परन्तु बुजुर्गों के लिए लोगों के बहुत छोटे दिल हैं। वो सोचते हैं कि इनकी उम्र बीत गई अब इनके लिए क्या और बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो सच्चे दिल से बुजुर्गों की सेवा करते हैं और उनमें अपने बुजुर्गों को देखते हैं।
हमने आपकी याद में दुनिया में पहली बार बुजुर्गों की एडोप्शन की प्रथा चलाई है, जो 20 सालों से सफलतापूर्वक चल रही है। बच्चे तो सभी एडोप्ट करते हैं उन बुजुर्गों को एडोप्ट करना जिनके बच्चे हमारे पास आते हैं कि हम अपने माता​-पिता को महंगाई के कारण नहीं रख सकते, तो हम उन्हें कहते हैं हम उनके दवाई और खाने का खर्च देंगे। आप उन्हें अपने साथ रखिये। क्योंकि वृद्ध आश्रम रोटी, छत तो दे सकता है अपनापन, प्यार नहीं। इसी तरह बहुत से बुजुर्ग अपने बच्चों के साथ अपने घरों में रह रहे हैं और उनके आशीर्वाद उन सबको लगते हैं जो उन्हें एडोप्ट करते हैं। आज आपके जन्म दिवस पर उनको जरूरत का सामान भी बांटा जाता है, जिनको हमारी कमेटी सही रूप से सोचती है कि इनको जरूरत है। उनको ब्ल्यू कार्ड धारक कहा जाता है। उनको छड़ियां, वाकर, ​व्हीलचेयर, राशन, कम्बल, स्वैटर, जुराबें, इनर, शालें दी जाएंगी, ताकि इस सर्दी के मौसम में वह अपने आपको सुरक्षित रख सकें। बुजुर्ग अमीर हो, गरीब हो इस अवस्था में सबको सहारे की, प्यार, सम्मान की जरूरत होती है। क्योंकि यह कदमों की धूल नहीं माथे की शान हैं। तो आओ चलें उनके साथ जिन्होंने हमें चलना सिखाया।
अश्विनी जी और पापा जी (रोमेश जी) प्रेरणा देकर गए हैं। उसे मैं, मेरा परिवार मेरे बेटे, बहुएं, बुजुर्गों के आशीर्वाद से आगे बढ़ रहे हैं। आज वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब उनके सम्मान के साथ-साथ उनकी भावनाओं को समझता है। आज वरिष्ठ नागरिकों के लिए वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की अनेकों शाखाएं देशभर में फैली हैं। बुजुर्ग मनोरंजन की गतिविधियों में ​हिस्सा लेते हैं। उनके सम्मान को बढ़ाने के ​लिए उनमें आत्मविश्वास पैदा करने के लिए कि आप किसी से कम नहीं हैं। जिन्दगी के हर पल को मर्यादा में रहकर जीओ। बहुत से एक्टिविटिज करते है। यहां तक कि विदेशों में भी लेकर गए हैं। बहुत सी चुनौतियां भी आती हैं। क्योंकि यह काम आसान नहीं है। यह लोग आपसे दिल से जुड़ जाते हैं, आशीर्वादों की बौछार लगाते हैं, परन्तु जब बिछुुड़ जाते हैं तो बहुत दुख होता है। जाना तो हम सबने एक दिन है, परन्तु इनसे प्यार और लगाव हो जाता है। इनकी एक-एक मुस्कराहट, एक-एक चेहरे की झुर्री आशीर्वादाें से भरी है, जो आपके दिल को सुकून देती है।
पापा जी मुझे पूरी उम्मीद है आप जहां भी हो ऐसे काम को देखकर मुझे आशीर्वाद दे रहे होंगे।