संपादकीय

प्राण प्रतिष्ठा-भव्य आयोजन

Kiran Chopra

भव्य श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में श्री राम लला प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान पतित पावन श्री अयोध्या धाम में सम्पन्न हुआ। इस अभूतपूर्व समारोह में सम्पूर्ण विश्व से ऋषियों, संतों, कलाकारों, जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन में शहीद हुए यौद्धाओं के परिवारों, वैज्ञानिकों, चिकित्सकों, मंदिर निर्माण में योगदान देने वाले कारीगरों, श्रमिकों एवं अनेक विशिष्ठ अतिथियों की उपस्थिति ने इस क्षण की प्रसन्नता को दोगुना उत्साह प्रदान किया।
हमारा सौभाग्य है जो इस ऐतिहासिक एवं दिव्य अनुष्ठान के प्रतिभागी रहकर इसके साक्षी बने। हमारे पूर्वजों ने मंदिर टूटते देखे, हमने मं​िदर बनते देखा। इसका भव्य आयोजन किया गया उसके लिए शब्द कम हैं। इस सारे आयोजन का श्रेय प्राण प्रतिष्ठा कार्यालय (राम जन्मभूमि) के सभी आयोजकों और सदस्यों तथा विशेषकर चम्पत राय जी (महासचिव श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट) को देती हूं। जिनकी अध्यक्षता, देखरेख में मंदिर बन रहा है और उन्हीं की देखरेख में सारा कार्य हुआ। उनकी सारी व्यवस्था की मैं कायल हो गई। जब मुुझे नवम्बर की 12 तारीख को नागपुर से फोन आया कि आपका नाम हमने देश की 15 महिलाओं में भेजा है।
मैं बहुत खुश थी परन्तु अन्दर से थोड़ा सा मन यह भी हो रहा था कि इतना बड़ा आयोजन कैसा होगा, फिर 30 नवम्बर को प्राण प्रतिष्ठा समारोह का प्राथमिक निमंत्रण सूचना पत्र आदरणीय चम्पत राय द्वारा प्राप्त हुआ। उसे देखकर ही समझ गई कि प्रोग्राम बहुत व्यवस्थित होगा। फिर और भी खुशी हुई कि मेरा बेटा आदित्य भी ​मीडिया टीम में शामिल हैं। हम काफी प्रतिष्ठ व्यक्ति दिल्ली से इकट्ठे गए परन्तु सबके बैठने के अलग-अलग स्थान थे। बेटा मीडिया वालों के साथ था और मेरा वीवीआईपी 7 नम्बर में स्थान था, जहां सभी आरएसएस के वरिष्ठ नेता थे और एक तरफ संत थे, दूसरी तरफ एक्टर्स थे। अमिताभ बच्चन हमारे ब्लाक में अपने बेटे के साथ और अम्बानी के साथ थे। बहुत ही मंत्रमुग्ध वातावरण था।
8000 के लगभग लोगों की सुचारू रूप से व्यवस्था करना जो कोई भी वहां उपस्थित किसी से कम नहीं था, बड़ा ही अच्छा इंतजाम था। वहां वालियंटरों की संख्या भी बहुत थी। सबको बड़े आदर सम्मान से पूछा जा रहा था। पहले राम नाम के पटके पहनाए, फिर पानी, फिर नाश्ता दिया गया, फिर​​ डिब्बों के पैकेट में लंच दिया गया। क्योंकि लम्बा प्रोग्राम था। सबको जाते हुए प्रसाद भी​ मिला। अशोक सिंघल फाउंडेशन द्वारा प्रसाद और चांदी का सिक्का दिया गया। मंदिर समिति ने प्रसाद का​ डिब्बा, दीपक, रोली, पंच लड्डू, सरयू का जल, भी। बाबा देवराज के आश्रम से प्रसाद मिला। राष्ट्र धर्म और राम नाम की पुस्तकें भी ​मिलीं।
जब प्राण प्रतिष्ठा हो रही थी सबको घंटियां बांटी गईं और सब घंटी बजा रहे थे। एक मंत्रमुग्ध करने वाला राममयी माहौल था। सबसे बड़ी बात आरदणीय राम लाल जी एक-एक के पास जाकर पूछ रहे थे कि व्यवस्था ठीक है। जिनको सीट नहीं मिल रही थी उनकी व्यवस्था भी कर रहे थे। हैलीकाप्टर से फूलों की बरसात की गई। मेरी तो झोली, सिर फूलों से भर गया, बड़ा ही आनंद आ रहा था। उससे भी बड़ा आनंद आया जब मोदी जी सबको मिलने आए।
सब कुछ बहुत सही चला परन्तु दर्शन के समय बहुत गड़बड़ थी, क्योंकि एकदम 7, 8 नम्बर को दर्शन के लिए कहा गया। सभी भक्तों में अपने राम के दर्शन करने की लालसा थी और भावना थी कि मैं दर्शन कर लूं, बस उस समय व्यवस्था बिगड़ी। ऐसी भीड़ मैंने कभी नहीं देखी परन्तु मेरे साथ बांसुरी स्वराज और कार्तिक शर्मा थे। अन्यथा मैं तो एक साइड पर खड़ी हो जाती क्योंकि चाहे अम्बानी परिवार था या एक्टर थे या संत सभी की एक तरह की दशा थी। जब हमने दर्शन किए तो मंत्रमुग्ध हो गए। सारे धक्के भूल गए। फिर रात को दुबारा गए, इतना सुन्दर मन मोह लेने वाला मंदिर बना है जिसकी सुन्दरता, भव्यता बयान करना मुश्किल है।
अब सवाल यह पैदा होता है कि इस समय देश में कोई भी एक रामभक्त ऐसा नहीं होगा जो दर्शन न करना चाहता हो तो मंदिर के दर्शन की व्यवस्था को बड़ा ही सिस्टेमैटिक करना होगा। क्योंकि विदेशों से बहुत लोग आ रहे हैं और बहुत से आना चाहते हैं। मैं तो कहूंगी देश के हर मंदिर में दर्शनों की व्यवस्था उचित होनी चाहिए। चाहे वो वृंदावन हो या राम मंदिर। क्योंकि हर भक्त अपने भगवान के दर्शन करना चाहता है। राम मंदिर तो राष्ट्र मंदिर है। इसमें तो हर व्यक्ति देश-विदेश से दर्शन करने जाएगा तो आने वाले समय में हर रोज भीड़ बढ़ेगी, आस्था भी बढ़ेगी। क्योंकि राम का स्वरूप ऐसा है वहां जाकर तुम वहीं के हो जाते हो, अभी बहुत कड़ी मेहनत की गई है और हो भी रही है परन्तु सबको दर्शनों के लिए धीरज रखना होगा। हमें राम राज्य लाने के लिए राम जी के गुणों को आत्मसात करना होगा।