जैसा कि नाम से जाहिर है कि जी-20 अर्थात ग्रुप ऑफ़ 20, सब जानते हैं कि भारत दुनिया के एक बड़े ग्रुप की एक ऐतिहासिक बैठक का आयोजन अपने घर में करने जा रहा है। यह आयोजन दिल्ली में 8 से 10 सितम्बर के बीच होगा। हालांकि बड़ी बात यह है कि दुनिया के सबसे बड़े मुद्दे दिग्गजों की सबसे बड़ी बैठक में 9 और 10 सितम्बर को ही चर्चा के लिए उभरेंगे और आगे की रणनीति भारत की अध्यक्षता में ही तय होगी। एक अहम बात यह है कि इतने बड़े अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन जिसमें रूस, अमरीका, फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, और ऑस्ट्रेलिया जैसे 20 देश शामिल हों तो उन सबकी आवाज भारत बनने जा रहा है। जरूरी यह है कि जी-20 के आयोजन को लेकर राजधानी दिल्ली का जिस तरह कायापलट हो रहा है उसकी खूबसूरती को चार चांद लगे हैं तो ऐसे में दिल्ली की इस खूबसूरती को स्थायीत्व के तौर पर अगर हम स्वीकार कर लेते हैं तो फिर दुनिया के नक्शे पर भारत की एक अलग ही तस्वीर उभरेगी। जैसा कि सब जानते हैं कि जी-20 एक ऐसा अंतर्राष्ट्रीय मंच है जो आर्थिक मुद्दों और इकाेनॉमी से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में सक्षम है तो वहीं भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह आह्वान एक धरती एक परिवार अर्थात वसुधेव कुटुम्बकुम का संदेश भी इसमें छिपा है। दुनिया में जलवायु से लेकर पर्यावरण तक, प्रदूषण की समस्याओं से लेकर कीमतें बढ़ने की चुनौतियां हैं, दुनिया में सब मैत्री के साथ विकास को आगे बढ़ाये। कहीं पर भी किसी देश के साथ दूसरे देश का युद्ध न हो। शांति का संदेश अगर भारत दे रहा है तो यह बात भी प्रमाणित हो रही है कि भारत दुनिया को एक परिवार मानता है और सब मिलकर आगे बढ़ें इससे बड़ी थीम और क्या हो सकती है।
जी-20 को लेकर सारे देश में और विशेष रूप से दिल्ली में बहुत उत्साह है, हमने कोरोना जैसी महामारियों को झेला। इसके अलावा आर्थिक मंदी भी पूरी दुनिया ने झेली परन्तु भारत ने इन दोनों ही मुसीबत भरी मुश्किलों के दौर में खुद को तो उबारा ही साथ ही पूरी दुनिया को मिलकर आगे बढ़ने की दिशा भी दिखाई। मेरा व्यक्तिगत तौर पर यह मानना है कि दिल्ली जैसी ऐतिहासिक राजधानी की अपनी अलग किस्म की समस्याएं हो सकती हैं। अब जी-20 के आयोजन को लेकर सब समस्याएं खत्म हो रही हैं। केन्द्र और राज्य सरकारें मिलकर जी-20 को लेकर भारत की शान बढ़ाने के लिए कृतसंकल्प हैं परन्तु हम सब नागरिकों का एक राष्ट्रीय कर्त्तव्य और एक राष्ट्रीय धर्म भी होना चाहिए कि अपनी दिल्ली को स्वच्छ और सुन्दर बनाकर रखें। कूड़ा और कचरा डस्टबिन में ही फैंकें, ट्रैफिक अपनी-अपनी लाइन में चले, सब लाल बत्ती पर नियमों का पालन करें। ऐसे में आधी समस्या तो वैसे ही हल हो जाएगी। ऐसा करना या ऐसी पहल के लिए तैयार होना लोगों की एक अच्छी सोच को दर्शाता है। अगर हम हर रोज सड़कों पर बाजारों में अनुशासित जीवन बिताते हैं तो हम एक राष्ट्रीय सेवा का धर्म निभा रहे हैं। किसी आयोजन का मतलब बड़ी चकाचौंध प्रस्तुत करना ही काफी नहीं बल्कि हम अनुशासित होकर अगर आगे बढ़ रहे हैं तो यह देश का शृंगार कहा जाना चाहिए।
मुझे खुशी इस बात की है कि पूरा देश का हर राज्य मोदी सरकार हो या राज्यों की सरकारें सब मिलकर इस आयोजन को सफल बना रहे हैं। शिक्षा, रोजगार के अवसर, आर्थिक मंदी पर कंट्रोल जैसे विषयों के अलावा जलवायु और पर्यावरण नियंत्रण को लेकर अगर कोई साझी रणनीति भारत की अध्यक्षता में बन रही है तो हम इसका स्वागत करते हैं। कश्मीर से कन्याकुमारी तक गोवा, चेन्नई, श्रीनगर, बैंगलुर, जयपुर तक इस जी-20 के आयोजन को लेकर विदेशी प्रतिनिधियों के साथ भारतीय पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है। शिक्षा और रोजगार के अलावा युद्ध टालने तक की संभावनाओं पर भारत के नेतृत्व में एक बड़ा संदेश शक्तिशाली देशों चाहे वह रूस, अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस, आस्ट्रेलिया ही क्यों न हो जाने-माने प्रतिनिधि और दिग्गज इस जी-20 की शोभा बढ़ा रहे हैं लेकिन एक सबसे बड़ी उपलब्धि भारत के खाते में दर्ज हो चुकी है। पिछले तीन सालों के आंकड़े बता रहे हैं कि कोरोना जैसी महामारी की मार झेलने वाले भारत में पर्यटन बहुत तेजी से बढ़ा है। इसमें जी-20 का बड़ा योगदान है अगर वर्ष 2023 की पहली छमाही को देखा जाए तो अकेले दिल्ली में 44 लाख टूरिस्ट आए। अब तक जी-20 के 220 आयोजन हो चुके हैं और विदेशी मेहमानों की संख्या बढ़ती जा रही है। कुल मिलाकर जहां 2019 तक अलग-अलग पर्यटन स्थलों पर देश में 53 लाख टूरिस्ट पहुंचे तो 2021 में यह आंकड़ा 68 करोड़ था लेकिन 2022 समाप्त होते-होते यह 174 करोड़ पर पहुंच गया। विदेश टूरिस्टों की संख्या में वृद्धि का एक बड़ा कारण जी-20 आयोजन है। मैंने जो आंकड़े सर्च किए हैं वो भारत की कमाई को लेकर हैं जरा देखिये 2022 और 2023 के बीच विदेशी टूरिस्टों की संख्या 104 प्रतिशत बढ़ चुकी है और आज की तारीख तक हमारे देश में 13,130,14 अरब डालर का मुद्रा भंडार बढ़ चुका है। लोग विशेष रूप से विदेशी टूरिस्ट कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारतीय चीजों को खरीद रहे हैं। भारतीय प्रोडक्ट्स बनाने वाले व्यापारियों को 3-3 साल के ऑर्डर मिल रहे हैं।
कुल मिलाकर जब-जब भी देश में कोई बड़ा अंतर्राष्ट्रीय आयोजन होता है तो हर शहरी और हर भारतीय का यह पहला परम कर्त्तव्य होना चाहिए कि जहां-जहां भी आयोजन हो रहा है उस जगह को सुन्दर बनाने के साथ-साथ सार्वजनिक जीवन में नियमों का पालन भी करना चाहिए। यह सबसे बड़ा अनुशासन है जो किसी भी नागरिक और राष्ट्र को महान बनाता है। भारत की पहचान तो इससे भी अलग है क्योंकि वह दुनिया के हर व्यक्ति को परिवार का सदस्य मानता है। आओ अपना राष्ट्रीय धर्म निभायें, जी-20 को सफल बनायें और खूबसूरत दिल्ली को और भी सुन्दर बनाने की पहल को सदा नई पहचान देते रहें। यही हमारा राष्ट्रीय धर्म और कर्त्तव्य होना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी हो या दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल या अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री हों। इस वक्त जी-20 ने भारत को दुनिया के विकास का अग्रदूत बना दिया है।