लोकसभा चुनाव का प्रचार युद्ध अब आर-पार की लड़ाई के चक्र में आता हुआ दिखाई दे रहा है। एक तरफ जहां भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव प्रचार की डोर संभाले हुए हैं वहीं दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के प्रचार की कमान राहुल गांधी, श्रीमती प्रियंका गांधी और इस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने संभाली हुई है। कांग्रेस पार्टी की ओर से श्रीमती प्रियंका गांधी जिस तर्ज का चुनाव प्रचार कर रही हैं वह दूसरे नेताओं से अलग माना जा रहा है। प्रियंका गांधी लोगों को समझा रही हैं कि वह नेताओं की आदत ना खराब करें। चुनाव के समय उनके द्वारा धर्म या जाति के जो उलझाव पैदा किए जाते हैं अथवा उनके नाम पर जो वोट मांगा जाता है उससे बचें और उनसे उनके पिछले 5 साल के काम का हिसाब-किताब मांगें, केवल इतना ही नहीं प्रियंका गांधी यह भी कहती हैं कि यह चुनाव आम लोगों को मजबूत बनाने के लिए होते हैं क्योंकि लोकतंत्र में उन्हीं के एक वोट से सरकारें बनती और बिगड़ती हैं।
वह लोगों से जागरूक बनने की अपील करती हैं और कहती हैं कि लोकतंत्र में उनका हक सरकार या सत्ता में भागीदारी का होता है। वे जब धर्म या मजहब के नाम पर वोट डालते हैं तो अपने ही अधिकारों का हनन करते हैं। चुनाव में धार्मिक या जातिगत समूहों पर विचार करने की जगह अपने हकों के बारे में विचार किया जाना चाहिए। उनके प्रचार का यह तरीका सामान्य से अलग माना जा रहा है क्योंकि वह अपने भाषण में भारत के लोक कल्याणकारी राज होने का रहस्य भी खोलती हैं और बताती हैं कि सरकार की सभी नीतियां उन्हें ध्यान में रखकर बनाई जानी चाहिए जिससे उनका विकास हो वे आधिकारिक मजबूत बने। उनके मजबूत बनने से ही देश मजबूत बनेगा। प्रियंका का यह अंदाज उन्हें अन्य चुनाव प्रचारकों से अलग रखता है और बताता है कि जनतंत्र में आम मतदाता का जागरूक होना कितना जरूरी होता है।
चुनाव प्रचार का यह चक्र इस हद तक आर-पार का माना जा रहा है कि इसमें अब यह फैसला होकर ही रहेगा कि भाजपा की नीति और सरकार के जो काम हैं उनकी समीक्षा किस प्रकार की जाए। प्रियंका गांधी लोगों से कहती हैं कि उन्हें जो 5 किलो प्रति व्यक्ति के हिसाब से हर महीने मुफ्त राशन मिलता है वह कांग्रेस द्वारा बनाई गई नीतियों और कानून के तहत ही किसी भी सरकार द्वारा दिए जाने की मजबूरी है। वह बताती हैं कि कांग्रेस की डा. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में भोजन के अधिकार का कानून बनाया था जिसमें सरकार की जिम्मेदारी थी कि देश में कोई भी व्यक्ति भोजन से वंचित नहीं रहना चाहिए। इसी कानून के तहत देश के लोगों की गरीबी को देखते हुए 5 किलो मुफ्त भोजन की व्यवस्था हुई है, इससे गरीब व्यक्तियों के अधिकारों को छीना नहीं जा सकता। उनके स्वास्थ्य और रोजगार की जिम्मेदारी उठाना भी सरकार का काम है।
वह कहती हैं कि कांग्रेस की सरकार यदि आती है तो केंद्र सरकार के जो 30 लाख कर्मचारियों के पद खाली पड़े हुए हैं उन्हें वरीयता के आधार पर जल्दी से जल्दी भरा जाएगा तथा फौज में जवानों की भर्ती की जो अग्नि वीर योजना बनाई गई है उसको खत्म किया जाएगा तथा फौज में जवानों की स्थाई भर्ती होगी। प्रियंका गांधी को आम जनता से संवाद स्थापित करने का माहिर माना जाता है। वह जनता की भावनाओं को व्यक्त करने में सक्षम मानी जाती हैं। इस बात का वह ध्यान रखती हैं कि जब भी वह कोई बात करें तो श्रोताओं की तरफ से उन्हें स्वीकृति का स्वर सुनाई पड़े।
फौज में भर्ती के संदर्भ में वह यह बात कहना नहीं भूलती कि पहले हिंदुस्तान की सड़कों पर ग्रामीण व अर्ध शहरी क्षेत्र में नौजवान अर्ध रात्रि के बाद सुबह सवेरे दौड़ लगाते हुए और वर्जिश करते हुए दिखाई पड़ते थे जब से आग्नि वीर योजना आई है तब से उनका उत्साह ठंडा हो गया है क्योंकि इस योजना के तहत केवल 4 साल के लिए फौज में भर्ती होती है उसके बाद वे बेरोजगार हो जाते हैं। प्रियंका विवादों से बचने वाली नेता मानी जाती हैं। वह धारा प्रवाह हिंदी बोलती हैं और एक-एक शब्द को तोल कर बोलती हुई दिखाई पड़ती हैं। जनसभा में उनके चेहरे पर जो हाव-भाव आते हैं उनसे सुनने वाले लोग प्रभावित होते हैं। वह अपने गांधी परिवार की विरासत का उल्लेख इसलिए नहीं करती कि उन्होंने इस देश पर 55 साल तक शासन किया है बल्कि इसलिए करती हैं कि गरीब गुरबों की जिंदगी सुधारने के लिए उनके दौर में जो भी काम किए गए वे कानूनी रूप से लोगों को अधिकार देने के लिए किए गए।
वह अपने भाषणों के दौरान जनता से संवाद स्थापित करने का प्रयास भी करती हैं। इसमें वह सफल भी रहती हैं, इसकी वजह यह है कि वह जो बात कहती हैं वह जन सामान्य के जीवन में गुजर रही होती है। एक राजनीतिक के खराखोटा होने की सबसे बड़ी पहचान लोकतंत्र में यही मानी जाती है कि उसकी जुबान से जो शब्द निकले वह लोगों के दिल में होना चाहिए।
चुनावी प्रचार के इस दौर में सत्तारूढ़ भाजपा की तरफ से भी ऐसी कोशिश की जा रही है कि जनता की अधिक से अधिक हामी इसके नेताओं द्वारा दिए गए भाषणों में नजर आए। प्रियंका गांधी को कांग्रेस आलाकमान ने रायबरेली और अमेठी सीटों की निगरानी करने के लिए भेजा है। चुनाव होने तक प्रियंका गांधी इन दोनों क्षेत्रों में 500 से अधिक नुक्कड़ सभाएं संबोधित करेंगी। एक दिन में वह 10 से 15 नुक्कड़ सभाएं संबोधित कर सकती हैं। नुक्कड़ सभाएं करना बड़े राजनेता अपनी शान के खिलाफ मानते हैं मगर प्रियंका गांधी इन दोनों क्षेत्रों के लोगों के दिल में उतरना चाहती हैं। इसी वजह से वह नुक्कड़ सभाओं का जोखिम उठाती हुई दिखाई पड़ रही हैं।
रायबरेली से राहुल गांधी चुनाव लड़ रहे हैं जबकि अमेठी से कांग्रेस के एक साधारण कार्यकर्ता किशोरी लाल शर्मा चुनाव मैदान में है। अमेठी में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी उम्मीदवार है। ऐसा माना जा रहा है की प्रियंका गांधी के चुनाव क्षेत्र में होने की वजह से मीडिया का आकर्षण इन दोनों क्षेत्रों की तरफ रहेगा परंतु जहां तक अमेठी का सवाल है तो प्रियंका गांधी की कोशिश यह है कि वह एक सामान्य कार्यकर्ता को केंद्रीय मंत्री के सामने खड़ा करके लोगों से यह पूछे कि वह कांग्रेस की नीतियों और सिद्धांतों के प्रति अपना वोट डालना पसंद करेंगे या फिर पिछले चुनाव की तरह भावुकता में वोट डालेंगे। वैसे तो स्मृति ईरानी और किशोरी लाल शर्मा में कोई मुकाबला नहीं है मगर यहां व्यक्ति नहीं पार्टियां लड़ रही हैं। मैंने 1984 के लोकसभा चुनाव में स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह के साथ उत्तर प्रदेश के बहुत बड़े क्षेत्र को कवर किया था। चौधरी साहब का चुनाव प्रचार करने का तरीका अनोखा था। वह केवल मोटर द्वारा ही चुनाव प्रचार के लिए उतरते थे। जिस भी गांव या शहर से उनकी मोटर गुजरती थी वहां लोग प्राय यह सुनकर इकट्ठे हो जाते थे कि चौधरी चरण सिंह का काफिला इस मार्ग से गुजरेगा। सड़कों पर इकट्ठा हुआ जमघट चौधरी साहब के मोटर काफिले को रोक लेता था। लोग उनसे भीड़ को संबोधित करने की प्रार्थना किया करते थे। चौधरी साहब अपनी मोटर से उतरकर भीड़ को संबोधित करने लगते थे। उनके चुनावी भाषण संवाद रूप में होते थे। वे लोगों से सीधी बात करते थे। वे समझाते थे कि भारत में गरीबी क्यों है।
वह कहते थे कि जब तक गांव का गरीब आदमी गरीब है तब तक भारत विकास कैसे कर सकता है। यही बात आज प्रियंका गांधी अपने संशोधित शब्दों में लोगों को समझने की कोशिश कर रही हैं। रायबरेली और अमेठी चुनाव क्षेत्र इस समय अंतर्राष्ट्रीय मीडिया तक की नजर में है। जहां कांग्रेस ने रायबरेली से राहुल गांधी को लड़ाकर आश्चर्य पैदा किया वहीं दूसरी तरफ अमेठी से किशोरी लाल शर्मा को खड़ा करके पूरे राजनीतिक जगत को चौंका दिया। इस आश्चर्य को अंजाम तक पहुंचाने के लिए ही लगता है प्रियंका गांधी अमेठी में डेरा डाले हुए है।
– राकेश कपूर