संपादकीय

राम मंदिर : राष्ट्र का उत्सव-11

Aditya Chopra

सम्पूर्ण भारत आज राममय है। मंदिरों से शंख ध्वनियां गूंज रही हैं। राम भक्त मंदिरों में अक्षत चावल चढ़ाने में और पूजा-अर्चना में व्यस्त हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अयोध्या के श्रीराम मंदिर के गृभगृह में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर उपस्थित रहेंगे। राष्ट्र आज भव्य उत्सव मना रहा है। भारत आस्थावान देश है। श्रीराम मंदिर के निर्माण से करोड़ों हिन्दुओं के हृदय में सुख का उजियारा छा गया है। 500 वर्षों से भी अधिक समय से इंतजार करने के बाद आज उनका सपना साकार हुआ है। आज का दिन हर भारतवासी के ​लिए गौरव का दिन है। पुरानी बातों को भूल जाने का दिन है। जो लोग आज भी विवाद खड़ा कर रहे हैं उनसे मेरा आग्रह है कि वे संकीर्णता की मानसिकता को छोड़ें और भारत में उन्माद, घृणा, विद्वेश और कट्टरपंथ को समाप्त करें।
गुजरते वक्त के साथ भले ही विश्व के कई देश जैसे मेसोपोटामिया की सुमेरियन, असीरियन, बेबीलोनियन, मिश्र, यूनान, ईरान और रोम की संस्कृतियां काल के गाल में समा गईं लेकिन भारतीय संस्कृति का अस्तित्व आज भी सुरक्षित है। मुझे लगता है इसका मुख्य कारण है कि आज भी भारतीय अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं और अपने धर्म और आस्था के प्रति उनका लगाव गहरा है और ऐसा हो भी क्यों न आखिर सनातन काल से परम्पराओं, रीति-रिवाजों, धार्मिक अनुष्ठानों, नृत्य, संगीत और साहित्य के माध्यम से पीढ़ी-दर-पीढ़ी संस्कृति को सहेजने के लिए भारतीयों ने सतत् प्रयास किया है।
''मजहब नहीं सिखाता आपस
में बैर रखना,
हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्तान हमारा,
यूनान-ओ-मिस्त्र-ओ-रूमा,
सब मिट गए जहां से,
अब तक मगर है बाकी
नाम-ओ-निशां हमारा,
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी,
सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-जमां हमारा,
सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा।''
हमारी संस्कृति हमारी ताकत है। हमारी संस्कृति का आध्यात्म से भी गहरा नाता है। भव्य, दिव्य, आलौकिक राम मंदिर पूरी दुनिया को संदेश दे रहा है कि सनातन संस्कृति ही सर्वश्रेष्ठ है। दुनिया को सोचना होगा कि असहिष्णु विचारधारा से समाज में कभी शांति नहीं आएगी। इसके लिए सभी धर्मों के मंगल की कामना करते हुए आगे बढ़ना होगा। श्रीराम धर्म का स्वरूप हैं। वह विग्रहवान धर्म है। यह श्रीराम नाम का ही आधार है जिसने सनातन संस्कृति की रक्षा की। जब मध्यकाल का घोर अंधकार था तब उन्होंने एक संबल प्रदान किया। राम लोक में व्याप्त होते चले गए, क्योंकि उनका जीवन आदर्शपूर्ण था। देश के किसी भी हिस्से में जाएं तो सुबह की राम-राम से लेकर जय सिया राम और जय श्रीराम हमारे लिए अभिवादन और समाज के व्यवहार में सम्माहित नजर आता है। भव्य श्रीराम मंदिर करोड़ों भारतीयों की आस्था, विश्वास और भारत के पुनर्जागरण का प्रतीक है। राम मंदिर निर्माण से सम्पूर्ण भारत में उल्लास है और ऐसा महसूस हो रहा है कि देश के भविष्य का नया सूर्य उदय हुआ है। भारतीय वेदों और उपनिषदों के दर्शन में मानते हैं कि व्यक्ति, समाज, सृष्टि, ब्रह्मांड आैर ईश्वर सभी परस्पर रूप से जुड़े हुए हैं। हम उन्हें अलग-अलग नहीं बल्कि समग्र रूप से देखते हैं। यह दर्शन पूरी पृथ्वी को धरती माता के रूप में मानता है। इसी दर्शन ने वसुधैव कुटुम्बकम को जन्म दिया। भारतीय सनातन संस्कृति कर्म प्रधान है जिसमें संस्कार, परम्पराएं, उदारता, प्रेम और सहिष्णुता का संगम नजर आता है। राम मंदिर आज पुकार रहा है ः-
-समस्त देशवासी समाज को आदर्श रूप में स्थापित करने के प्रयास करें।
-देशवासी सांस्कृतिक, एकता, भाईचारा और समरसता स्थापित करने का प्रयास करें।
-देशवासी सभी के लिए शांति, न्याय और समानता सुनिश्चित करने का प्रयास करें।
-देेशवासी समाज की कुरीतियों काे समाप्त कर एकता के साथ राष्ट्र को मजबूत करें और आतंकवादी और हिंसक ताकतों को खत्म करने का प्रयास करें।
-अधर्म जब भी फैलता है तब आवश्यकता होती है वीरों की। तब सभी को क्षात्र धर्म निभाने के लिए तैयार रहना होगा।
राम मंदिर पुकार रहा है कि देशवासियों को जागना होगा और मर्यादा की रक्षा के लिए संकल्प लेना होगा। आइये आज घर-घर दीपक जलाएं और राष्ट्र का उत्सव मनाएं। (समाप्त)

आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com